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अस्पतालों में लगे फायर हाइड्रेंट आग लगने पर दे जाते हैं दगा

जम्मू एक निजी अस्पताल में आगजनी की घटना के बाद अस्पतालों में एक बार फिर से आग से निपटने के लिए किए जाने वाले प्रबंधों पर प्रश्नचिन्ह लग गए हैं।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Wed, 19 Dec 2018 11:06 AM (IST)Updated: Wed, 19 Dec 2018 11:08 AM (IST)
अस्पतालों में लगे फायर हाइड्रेंट आग लगने पर दे जाते हैं दगा
अस्पतालों में लगे फायर हाइड्रेंट आग लगने पर दे जाते हैं दगा

जम्मू, राज्य ब्यूरो । मुंबई के एक निजी अस्पताल में आगजनी की घटना के बाद अस्पतालों में एक बार फिर से आग से निपटने के लिए किए जाने वाले प्रबंधों पर प्रश्नचिन्ह लग गए हैं। जम्मू के अस्पतालों में आगजनी से निपटने के लिए प्रबंध तो जरूर किए गए हैं। परंतु जरूरत पड़ने पर यह काम नहीं आते और फायर एंड सर्विसेस विभाग ही काम आता है।

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पिछले कुछ वर्ष में जम्मू संभाग में मेडिकल कालेज, श्री महाराजा गुलाब सिंह अस्पताल, सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में आगजनी की कई घटनाएं हो चुकी हैं। सुपर स्पेशिलटी अस्पताल बनने के छह साल के दौरान आगजनी की तीन बड़ी घटनाएं हुई हैं। इनमें करोड़ों रुपयों का नुकसान हुआ है। एक बार तो आपरेशन थियेटर भी कई दिन तक बंद रहे थे। वहीं एसएमजीएस अस्पताल में कई बार आगजनी की घटनाएं हुई। ईएनटी आपरेशन थियेटर में आग लगने के कारण लाखों रुपयों का नुकसान हुआ था। राजकीय मेडिकल कालेज के स्टोर और वाडों के बाहर बने कारीडोर में भीषण आग लग चुकी है। कहने को तो आग से निपटने के लिए अस्पतालों में फायर हाइड्रेंट बनाए गए हैं, लेकिन जरूरत पड़ने पर भी यह नहीं चलते हैं। जीएमसी में फायर हाइड्रेंट लगाए हैं और यह चल भी रहे हैं। लेकिन हर बार जब भी आग की घटना होती है तो कोई न कोई समस्या आ जाती है और यह आग पर काबू पाने में विफल हो जाते हैं। इनमें पाइप इतनी छोटी हैं कि यह आग लगने वाले स्थान पर पहुंचती ही नहीं। समय पर अगर दमकल विभाग की गाड़ियां न आएं तो आग से काफी नुकसान होने की आशंका रहती है। सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में फायर हाइड्रेंट सिस्टम तो हैं। परंतु दोनों बार आग लगने के बाद यह चलाया ही नहीं गया। अब अस्पताल प्रशासन ने अग्निशमन यंत्र जरूर लगाए हैं। वहीं एसएमजीएस और सीडी अस्पतालों में भी आग से निपटने के पुख्ता प्रबंध नहीं हैं।

अब तक हुए नुकसान

पहली बार सुपर स्पेशलिटी में आग लगी तो तीन महीने के लिए ऑपरेशन थियेटर बंद हो गए। दूसरी बार नवंबर 2014 में आग लगी और एक सप्ताह के लिए इमरजेंसी सेवाएं और एक पूरा ब्लॉक बंद रहा। तीसरी बार आग लगी तो सीटी स्कैन मशीन बंद हो गई। जीएमसी में तीन बार आग लगी। हालांकि तीनों ही बार कोई बड़ा नुकसान नहीं हुआ। एसएमजीएस में पहली बार वार्ड में आग लगी तो मरीजों को बाहर निकालना पड़ा। इसके बाद तीन बार आग लगी लेकिन तीनों ही बार कोई अधिक नुकसान नहीं हुआ।

अस्पताल प्रशासन के दावे

अस्पताल प्रशासन का दावा है कि पिछले कुछ समय से आगजनी की घटनाओं से निपटने के लिए पुख्ता प्रबंध किए गए हैं। राजकीय मेडिकल कालेज अस्पताल के मेडिकल सुपरिटेंडेंट डा. दारा सिंह का कहना है कि अस्पताल में अग्निशमन यंत्र लगाए गए हैं। फायर हाइड्रेंट भी ठीक करवाए गए हैं। समय-समय पर अब माक ड्रिल की जाती है। कर्मचारियों काे भी जागरूक किया जाता है। वहीं सुपर स्पेशलिटी अस्पताल के मेडिकल सुपरिटेंडेंट डा. अरुण शर्मा का कहना है कि उन्होंने फायर हाइड्रेंट और अग्निशमन यंत्र ठीक करवाए हैं। अस्पताल में अब आगजनी की घटनाओं से रोकने के लिए पुख्ता प्रबंध किए हैं।


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