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Doda encounter: परिहार बंधुओं-आरएसएस नेता का हत्यारा हरूण डोडा मुठभेड़ में मारा गया, मुठभेड़ जारी

सेना एसओजी के जवानों ने डोडा में गुंदना जंगलों में छिपे इन आतंकियों को चारों ओर से घेर रखा है। आतंकियों के बचकर निकलने की कोई संभावना नहीं है।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Wed, 15 Jan 2020 01:09 PM (IST)Updated: Wed, 15 Jan 2020 01:25 PM (IST)
Doda encounter: परिहार बंधुओं-आरएसएस नेता का हत्यारा हरूण डोडा मुठभेड़ में मारा गया, मुठभेड़ जारी
Doda encounter: परिहार बंधुओं-आरएसएस नेता का हत्यारा हरूण डोडा मुठभेड़ में मारा गया, मुठभेड़ जारी

डोडा, जेएनएन। किश्तवाड़ के परिहार बंधुओं आैर आरएसएस नेता चंद्रकांत शर्मा, उनके पीएसओ का हत्यारा हिजबुल आतंकी हरूण काे सुरक्षाबलों ने डोडा में जारी मुठभेड़ में मार गिराया है। मुठभेड़ स्थल पर अभी भी एक आतंकी छिपा हुआ है और दोनों ओर से गोलीबारी जारी है। सेना, एसओजी के जवानों ने डोडा में गुंदना जंगलों में छिपे इन आतंकियों को चारों ओर से घेर रखा है। आतंकियों के बचकर निकलने की कोई संभावना नहीं है। यही नहीं सुरक्षाबलों ने डोडा के साथ लगते जंगलों में सर्च आपरेशन भी चलाया हुआ है।

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एसएसपी डोडा मुमताज अहमद ने हरूण के मारे जाने की पुष्टि करते हुए कहा कि आज उन्हें विश्वसनीय सूत्रों से जानकारी मिली की वह अपने कुछ साथियों के साथ डोडा के गुंदला के जंगलों में छिपा हुआ है। सेना, पुलिस के एसओजी के जवानों ने जंगल की घेराबंदी करते हुए पहले तो हरूण को आत्मसमर्पण करने के लिए। परंतु उसने उनकी बात न मानते हुए सुरक्षाबलों पर गोलीबारी शुरू कर दी। जवाब में सुरक्षाबलों ने भी गोलियां चलाई। करीब एक घंटे तक चली मुठभेड़ में हरूण को मार गिराया गया। अभी भी उसका एक साथ जंगल में छिपा हुआ है। हालांकि छिपा हुआ आतंकी मसूद नहीं है। मुठभेड़ अभी भी जारी है। दोनों ओर से घेराबंदी की हुई है।

मारे गए हिजबुल मुजाहिदीन के जिला कमांडर हरुण की डोडा व किश्तवाड़ पुलिस कई महीनों से तलाश कर रही थी। यही नहीं डोडा पुलिस ने हरूण और उसके साथी मसूद पर डोडा पुलिस ने 15 लाख का इलाम भी रखा था। हरुण वानी डोडा का ही रहने वाला था। एमबीए कर चुका हरूण डोडा में एमआर की नौकरी भी कर चुका है। वर्ष 2017 में अचानक वह घर से लापता हो गया। घरवालों ने उसकी तलाश की परंतु कुछ पता नहीं चला। वर्ष 2018 में हरूण को हिज्ब के एक ग्रुप फोटाे में श्रीनगर में देखा गया। घरवालों ने उसे वापस बुलाने का काफी प्रयास किया परंतु वह नहीं माना। जहां तक की उसने घर पर बात करना भी बंद कर दी।

श्रीनगर में सुरक्षाबलों द्वारा आतंकवादियों के खिलाफ अभियान तेज कर दिए जाने के बाद हरूण किसी तरह किश्तवाड़ पहुंचा और अमीन भट्ट उर्फ जहांगीर सरूरी के अधीन काम करने लगा। उसके साथ औसामाबिन जावेद भी था।

पुलिस सूत्रों का कहना है कि हरूण और औसामाबिन जावेद ने भी किश्तवाड़ के अनिल परिहार, अजीत परिहार की हत्या की।यही नहीं डीसी किश्तवाड़ अंग्रेज सिंह राणा के पीएसओ की बूंदक छीनने उसके बाद 9 अप्रैल को आरएसएस नेता चंद्रकांत व उनके पीएसओ राजेंद्र सिंह की हत्या में भी इन्हीं दोनों का हाथ था। कुछ माह पहले पीडीपी जिला प्रधान शेख नसिर हुसैन के पीएसओ की बंदूक छिनने में भी हरूण का ही हाथ था।

इन घटनाओं के बाद किश्तवाड़ में पुलिस की सक्रियता बढ़ने पर हरूण भागकर डोडा में छिप गया था। वहीं औसामाबिन जावेद और उसके दो साथियों को सुरक्षाबलों ने बटोत एनकाउंटर में मार गिराया था।


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