Junaid Sehrai Killed: मौत सामने देख जुनैद ने OGW से मांगी थी मदद की भीख, whatsapp ऑडियो मैसेज भेजा था
जुनैद के मोबाइल फोन की लोकेशन से सुरक्षाबलों को उसे ढेर करने में मदद मिली। सूत्रों की मानें तो जुनैद सहराई भी स्मार्ट फोन का शौकीन था।
श्रीनगर, राज्य ब्यूरो: Hizbul Mujahideen top militant Commander Junaid Sehrai: आतंकियों और अलगाववादियों का गढ़ कहलाने वाले डाउन टाउन में मंगलवार को मुठभेड़ के दौरान मौत को सामने देख आतंकियों ने खुद को बचाने के लिए सुरक्षाबलों पर पथराव कराने की साजिश रच डाली। इसके बावजूद वह इसमें कामयाब नहीं हुए और सुरक्षाबलों के हाथों मारे गए।
दरअसल, जब आतंकी तारिक और जुनैद सहराई मुठभेड़ में बुरी तरह फंस तो गए तो उन्होंने खुद को बचाने के लिए एक ओवर ग्राउंड वर्कर को वाट्सएप पर ऑडियो मैसेज भेजकर मदद मांगी थी। इसमें उसने ओवरग्राउंड वर्कर से कहा कि वह और जुनैद सहराई मुठभेड़ में फंस गए हैं। इसलिए वह कुछ पत्थरबाजों को लेकर मुठभेड़ स्थल पर तुरंत पहुंचे और सुरक्षा बलों पर पथराव कराए। ताकि वह बच सके।
युवाओं को आतंकी बना रहा था जुनैद : मुठभेड़ में मारा गया आतंकी जुनैद सहराई हिजबुल मुजाहिदीन का सेंट्रल कश्मीर का डिवीजनल कमांडर था। हिजबुल ने उसे श्रीनगर, बड़गाम और गांदरबल में संगठन में नए लड़कों की भर्ती का जिम्मा सौंपा था। वह श्रीनगर में स्थानीय युवकों को आतंकी बनने और सुरक्षाबलों पर ग्रेनेड हमलों के लिए तैयार कर रहा था। उसने बीते कुछ दिनों के दौरान श्रीनगर में अपने संपर्क सूत्रों के जरिए कई जगह बैठकें की थी। वह कई आतंकी वारदात में भी शामिल था।
गिलानी ने जुनैद के पिता को बनाया था चेयरमैन : जुनैद के पिता मोहम्मद अशरफ सहराई जमात-ए-इस्लामी के पुराने और सक्रिय कार्यकर्ताओं में एक हैं। 2004 में जब कट्टरपंथी सैयद अली शाह गिलानी ने तहरीके हुर्रियत कश्मीर नामक अलगाववादी संगठन बनाया तो जमात की अनुमति से अशरफ सहराई उसका हिस्सा बना था। करीब दो साल पहले ही गिलानी ने सहराई को तहरीके हुर्रियत का चेयरमैन नियुक्त किया था। मूलत: उत्तरी कश्मीर में कुपवाड़ा का रहने वाला अशरफ खान सहराई बीते कई सालों से श्रीनगर के पीरबाग इलाके में रह रहा है।
मोबाइल लोकेशन से खोजा : जुनैद के मोबाइल फोन की लोकेशन से सुरक्षाबलों को उसे ढेर करने में मदद मिली। सूत्रों की मानें तो जुनैद सहराई भी स्मार्ट फोन का शौकीन था। वह लोकेशन बदलते हुए अपना मोबाइल फोन इस्तेमाल करता था। सुरक्षाबल जब उस जगह पर पहुंचते, तब तक वह फोन बंद कर किसी दूसरे स्थान पर जा चुका होता था। 15 दिन पहले भी उसके मोबाइल फोन की लोकेशन के आधार पर जिला गांदरबल में कंगन के पास उसकी घेराबंदी की गई थी। वह वहां दो अन्य आतंकियों के साथ था और अपने एक करीबी के मोबाइल फोन पर हॉटस्पाट का इस्तेमाल कर रहा था। सुरक्षाबल जब पहुंचे तो वह निकल चुका था।
पत्थरबाज से आतंकी बना था जुनैद : 23 मार्च 2018 को नमाज ए जुमा के बाद घर से गायब हो आतंकी बनने वाले जुनैद सहराई को सब एमबीए का डिग्रीधारी छात्र बताते हैं। उसने कश्मीर विश्वविद्यालय से बेशक एमबीए किया था, लेकिन वह इस डिग्री का इस्तेमाल आतंकी और अलगाववादी गतिविधियों के लिए इस्तेमाल करना चाहता था।
तीसरा आतंकी कहां: नवाकदल में तीन आतंकियों के छिपे होने की बात सामने आ रही है। हालांकि पुलिस ने पुष्टि नहीं की है, लेकिन सूत्रों की मानें तो एक आतंकी मुठभेड़ की शुरुआत में ही घेराबंदी तोड़ भागने में कामयाब रहा है। भागने वाला एक स्थानीय आतंकी जिसका नाम कुछ लोग गिलकार बताते हैं तो कुछ इश्तियाक उर्फ इफ्तिखार।
आतंकवाद के समूल नाश तक जारी रहेंगे अभियान: डीजीपी दिलबाग सिंह ने कहा कि प्रदेश में आतंकवाद के समूल नाश तक हमारे अभियान जारी रहेंगे। कोरोना वायरस के नाम पर आतंकरोधी अभियान नहीं रोके जाएंगे। इस साल अब तक विभिन्न मुठभेड़ों में 73 आतंकी मारे गए हैं, जबकि 95 पकड़े गए हैं। उन्होंने कहा कि हिजबुल मुजाहिदीन के डिवीजनल कमांडर जुनैद सहराई के मारे जाने के बाद अब सेंट्रल कश्मीर के तीनों जिले श्रीनगर, बडगाम व गांदरबल में सक्रिय आतंकियों की संख्या मात्र 14 रह गई है। जुनैद की मौत से सेंट्रल कश्मीर को फिर से आतंकवाद का गढ़ बनाने की साजिश पूरी तरह नाकाम हो गई है। इस समय कश्मीर में 240 से ज्यादा आतंकी नहीं हो सकते।
डेढ़ साल बाद श्रीनगर के भीतर पहली मुठभेड़ : श्रीनगर शहर में बीते डेढ़ साल के दौरान मंगलवार को पहली बार सुरक्षाबलों और आतंकियों के बीच मुठभेड़ हुई है। इससे पूर्व 17 अक्तूबर 2018 को डाउन-टाउन के फतेहकदल इलाके में सुरक्षाबलों ने एक मुठभेड़ में लश्कर के तीन आतंकियों को मार गिराया था। इनमें से दो मेहराजुदीन बांगरू और फहद वाजा श्रीनगर शहर के के ही रहने वाले थे।
महिलाओं और बच्चों को कंधों पर लाद सुरक्षित जगह पहुंचाया
डाउन-टाउन में मंगलवार को मुठभेड़ के दौरान पुलिस के जवान महिलाओं और बच्चों को कंधों पर उठाकर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाते रहे। आतंकी घनी आबादी और तंग गलियों वाले इलाके में छिपे थे। ऐसे हालात में बख्तरबंद गाड़ी मोहल्ले में दाखिल नहीं हो सकती थी। जम्मू कश्मीर पुलिस के जवानों का एक दस्ता आतंकियों की गोलियों का जवाब दे रहा था तो दूसरा दस्ता साथ सटे मकानों से औरतों, बच्चों और बीमार लोगों को कंधों पर उठाकर मुख्य सड़क तक ला रहा था। इस दौरान तीन आतंकियों के हमले में सुरक्षाकर्मी जख्मी भी हो गए। कंधे पर वृद्ध और बीमार औरतों को उठाकर लाते पुलिसकर्मियों की तस्वीरों को स्थानीय मीडियाकर्मियों ने भी सोशल मीडिया पर शेयर करते हुए उन लोगों को जवाब देने का प्रयास किया जो पुलिस पर मुठभेड़ के दौरान आम लोगों से मारपीट व लूटपाट के आरोप लगा रहे हैं।
ऑपरेशन ऑलआउट के तहत 2020 में 31वीं मुठभेड़ : घाटी में आतंकियों के खात्मे के लिए बीते तीन साल से जारी ऑपरेशन ऑल आउट के तहत वर्ष 2020 के दौरान मंगलवार को कश्मीर में सुरक्षाबलों व आतंकियों के बीच यह 31वीं मुठभेड़ थी।