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Substandard Drug Case : उच्च न्यायालय ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के मुआवजे के फैसले को बरकरार रखा

उच्च न्यायालय की डिवीजन बैंच ने घटिया दवा से रामनगर में बच्चों की मौत के मामले में पीड़ित परिवारों को तीन-तीन लाख रुपये का मुआवजा देने के राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के आदेश को बरकरार रखा है। इसके साथ ही जम्मू-कश्मीर सरकार की याचिका को खारिज कर दिया गया।

By Lokesh Chandra MishraEdited By: Published: Mon, 05 Apr 2021 07:13 PM (IST)Updated: Mon, 05 Apr 2021 07:13 PM (IST)
Substandard Drug Case : उच्च न्यायालय ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के मुआवजे के फैसले को बरकरार रखा
सामाजिक कार्यकर्ता सुकेश खजूरिया ने मामले को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग तक पहुंचाया।

जम्मू, राज्य ब्यूरो : जम्मू कश्मीर उच्च न्यायालय की डिवीजन बैंच ने घटिया दवा से रामनगर में बच्चों की मौत के मामले में पीड़ित परिवारों को तीन-तीन लाख रुपये का मुआवजा देने के राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के आदेश को बरकरार रखा है। इसके साथ ही जम्मू-कश्मीर सरकार की याचिका को खारिज कर दिया गया। गत वर्ष ऊधमपुर जिले के रामनगर में घटिया दवा पीने से बच्चों की मौत हो गई थी। सामाजिक कार्यकर्ता सुकेश खजूरिया ने मामले को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग तक पहुंचाया। आयोग ने प्रदेश सरकार को आदेश दया था था कि प्रत्येक पीड़ित परिवार को तीन-तीन लाख का मुआवजा दिया जाए।

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केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर सरकार, स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग, स्टेट ड्रग कंट्रोलर एंड फूड कंट्रोल आर्गेनाइजेशन ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के 18 जनवरी, 2021 के आदेश को निरस्त करने की मांग की थी। डिवीजन बैंच में शामिल जम्मू कश्मीर के मुख्य न्यायाधीश पंकज मित्थल और न्यायाधीश सिंद्धू शर्मा ने सरकार की याचिका को खारिज कर दिया। न्यायाधीशों ने आपने आदेश में कहा कि मामले के तथ्यों और तमाम पहलुओं को देखकर हम आयोग के फैसले में अपने क्षेत्राधिकार का हस्तक्षेप करना सही नहीं समझते। उच्च न्यायालय में वरिष्ठ एडिशनल एडवोकेट जनरल एचए सिद्धीकी ने न्यायालय में कहा कि खासी की दवा बनाने वाले कंपनी ही पीड़ित परिवारों को मुआवजा देने के लिए जिम्मेदार है।

क्या था मामला : दिसंबर 2019 से जनवरी 2020 के बीच रामनगर में खांसी की घटिया दवा पीने से 11 बच्चों की मौत हो गई थी। सुकेश खजूरिया ने मामले को राष्ट्रीय मानवाधिकार के समक्ष उठाया। एक जुलाई, 2020 को जम्मू कश्मीर सरकार के स्वास्थ्य विभाग ने आयाेग को रिपोर्ट सौंपी, जिसमें कहा गया कि ड्रग एंड फूड कंट्रोलर आर्गेनाइजेशन ने मामले की जांच की। विशेष दवा के 33 सैंपल लिए गए और आइआइआइएम जम्मू ने 22 फरवरी, 2020 को फाइनल टेस्ट रिपोर्ट सौंपी। मामले में एफआइआर दर्ज की गई। आयोग ने 11 मार्च 2021 तक अनुपालन रिपोर्ट पेश करे।


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