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मेटाबोलिक सिंड्रोम से बढ़ रहे हृदय रोग, शहरी क्षेत्रों में अध्ययन से चला है पता

भारत के शहरी क्षेत्रों में किए गए अध्ययनों से पता चला है कि लगभग एक तिहाई भारतीय मेटाबोलिक सिंड्रोम से पीड़ित हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में मेटाबोलिक सिंड्रोम के बारे में कम ही जाना जाता है जहां 70 प्रतिशत आबादी रहती है।

By Lokesh Chandra MishraEdited By: Published: Sun, 07 Aug 2022 09:21 PM (IST)Updated: Sun, 07 Aug 2022 09:21 PM (IST)
मेटाबोलिक सिंड्रोम में तेजी से वृद्धि हुई है और महिलाओं में इसका प्रसार 16.8 प्रतिशत से 28.6 प्रतिशत तक है।

जम्मू, राज्य ब्यूरो : सुपर स्पेशलिटी अस्पताल जम्मू में हृदय रोग विभाग के एचओडी डा. सुशील शर्मा का कहना है कि हृदय रोगों का मुख्य कारण मेटाबोलिक सिंड्रोम होना है। भारत के शहरी क्षेत्रों में किए गए अध्ययनों से पता चला है कि लगभग एक तिहाई भारतीय मेटाबोलिक सिंड्रोम से पीड़ित हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में मेटाबोलिक सिंड्रोम के बारे में कम ही जाना जाता है, जहां 70 प्रतिशत आबादी रहती है। ग्रामीण आबादी में मेटाबोलिक सिंड्रोम में अब तेजी के साथ वृद्धि हुई है और महिलाओं में इसका प्रसार 16.8 प्रतिशत से 28.6 प्रतिशत तक है।

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ग्रामीण बुजुर्गों (60-69 वर्ष) में 13.5 प्रतिशत तक मेटाबोलिक सिंड्रोम पहुंचने का अनुमान है। मधुमेह, उच्च रक्तचाप, अधिक वजन, मोटापा और शराब के उपयोग की दर दोनों ही क्षेत्रों में काफी बढ़ गई है, लेकिन ग्रामीण आबादी में रिस्क फैक्टर अधिक हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में, मधुमेह और अधिक वजन या मोटापे तिगुना और उच्च रक्तचाप दोगुनी है। डा. सुशील ने कहा कि भारत के सीमित सार्वजनिक स्वास्थ्य संसाधनों को देखते हुए हृदय रोगों में वृद्धि की खतरनाक दर को कम करना जरूरी है।

भारत की ग्रामीण आबादी के बीच रिस्क फैक्टरों के बारे में ज्ञान का स्तर काफी हद तक कम है। सामान्य आबादी के अध्ययन में हृदय रोग के बारे में कम जानकारी मिली है। यही कारण है कि आज अखनूर में कैंप आयोजित किया गया है। ब्राह्मण सभा अखनूर में आयोजित इस कैंप में 150 लोगों के स्वास्थ्य की जांच की गई। डा. सुशील के अलावा डा. नसीर अली, डा. दिनेश्वर कपूर ने भी लोगों की जांच की। बाद में डा. सुशील ने कहा कि इस प्रकार के कैंप भविष्य में भी ग्रामीण क्षेत्रों में आयोजित किए जाएंगे। उन्होंने लोगों से भी हृदय रोगों से बचाव के लिए कदम उठाने को कहा।


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