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Ladakh: सुनें रेजांग ला के वीरों की कहानी, 5 घंटे में 114 भारतीय सैनिकों ने 1300 चीनी सैनिकों को मार पाया बलिदान

उन पांच घंटों की यादों को ताजा किया जाएगा जब मेजर शैतान सिंह के नेतृत्व में सेना के जवानों ने 18 दिसंबर 1962 को पांच घंटों में दुश्मन के सात हमले नाकाम कर लड़ते-लड़ते जान देकर लद्दाख पर कब्जा करने की दुश्मन की साजिश को नाकाम बना दिया था।

By Vikas AbrolEdited By: Published: Wed, 17 Nov 2021 07:15 PM (IST)Updated: Wed, 17 Nov 2021 07:44 PM (IST)
बुधवार को सेना की चुशुल ब्रिगेड ने नए वार मेमाेरियल पर मुख्य कार्यक्रम की तैयारियों की अंतिम रूप दिया।

जम्मू, राज्य ब्यूरो। पूर्वी लद्दाख के चुशुल में शून्य से 20 डिग्री नीचे के तापमान में 59 साल पहले लड़ी गई रेजांगला की लड़ाई के 114 नायकों को रक्षामंत्री राजनाथ सिंह वीरवार रेजांग ला बैटल डे पर श्रद्धांजलि देकर क्षेत्र में देश की सरहदों की रक्षा कर रहे सैनिकों का हाैसला बढ़ाएंगे।

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रक्षामंत्री असाधारण बहादुरी के प्रतीक रेजांग ला के शहीदों को समर्पित नए वार मेमोरियल का उद्घाटन करेंगे। वीरवार को होने वाले कार्यक्रम में उन पांच घंटों की यादों को ताजा किया जाएगा, जब मेजर शैतान सिंह के नेतृत्व में सेना के जवानों ने 18 दिसंबर 1962 को पांच घंटों में दुश्मन के सात हमले नाकाम कर लड़ते-लड़ते जान देकर लद्दाख पर कब्जा करने की दुश्मन की साजिश को नाकाम बना दिया था।

बुधवार को सेना की चुशुल ब्रिगेड ने नए वार मेमाेरियल पर मुख्य कार्यक्रम की तैयारियों को अंतिम रूप दिया। इसके साथ रेंजाग ला की लड़ाई की यादों को ताजा करने के लिए चुशुल में सेना का तीन दिवसीय कार्यक्रम भी शुरू हो गया।

रक्षामंत्री राजनाथ सिंह वीरवार सुबह लेह पहुंच रहे हैं। इसके बाद वह पूर्वी लद्दाख के चुशुल के लिए रवाना हो जाएंगे। रक्षामंत्री चुशुल में रेंजाग ला के वीरों की याद में बने नए वार मेमोरियल का उद्घाटन कर चीन के हौसले परास्त करते बलिदान देने वाले सेना के वीरों को श्रद्धांजलि देंगे। रक्षामंत्री के साथ चीफ आफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत भी चुशल आ रहे हैं।

सैन्य सूत्राें के अनुसार, रक्षामंत्री अपने दौरे के दौरान फील्ड कमांडरों से बैठक कर क्षेत्र के मौजूदा सुरक्षा परिदृश्य का भी जायजा लेंगे। थलसेना अध्यक्ष जनरल एमएम नरवने इस समय इजरायल के दाैरे पर हैं। ऐसे में वे इस कार्यक्रम में नही होंगे। उन्होंने कुछ समय पहले चुशुल का दौरा कर नए रेजांग ला वार मेमोरियल में शहीदों को श्रद्धांजलि दी थी।

लद्दाख पहुंचे श्रीनगर के पीआरओ डिफेंस कर्नल एमरान मुसावी ने जागरण को बताया कि नए वार मेमोरियल में शहीदों को श्रद्धांजलि देने का कार्यक्रम सुबह 10 बजे के करीब शुरू होगा। उन्होंने बताया कि चुशुल में रेजांग ला वार मेमोरियल का विस्तार कर इसे नया रूप दिया गया है। पहले वार मेमारियल छोटा था, अब इसका विस्तार करने के साथ नया बुनियादी ढांचा विकसित किया गया है। वार मेमोरियल भारतीय सैनिकों की असाधरण वीरता का प्रतीक होगा।

अठारह नवंबर 1962 को सुबह साढ़े तीन बजे के करीब छह हजार से अधिक चीनी सैनिकों ने लद्दाख पर कब्जा करने के लिए चुशुल पर हमला बोल दिया था। ऐसे में चुशुल एयरफील्ड की सुरक्षा का जिम्मा संभालने वाले 3 कुमाउं रेजीमेंट की चार्ली कंपनी के 120 वीरों ने कड़ी ठंड में परमवीर चक्र विजेता मेजर शैतान सिंह की कमान में मोर्चा संभाल लिया। बर्फ से लदी अठारह हजार फीट उंची रेजांग ला चोटी पर भरतीय सैनिकों ने अंतिम गोली अंतिम सांस तक लड़ते हुए चीन के सात हमले नाकाम कर उसके 1300 सैनिकों को मार गिराया था।

दुश्मन को रोकते हुए एक-एक कर 114 सैनिक देश के लिए कुर्बान हो गए। चीन रेंजागला पर कब्जा नही कर पाया व दो दिन बाद 20 नवंबर को उसने सीजफायर कर दिया। इस समय चुशुल में बनाए गए नए रेजांग ला वार मेमोरियल पर लगा 108 फीट उंचा तिरंगा पूर्वी लद्दाख के पार बैठे चीनी सैनिकों को भी भारतीय सैनिकाें की वीरता की याद दिलाता है।

चीन पर कहर बरसाने वाले सैनिकों की असाधारण बहादुरी को हमेशा जिंदा रखेगा नया वार मेमोरियल

चुशुल में रेजांगला के शहीदों को समर्पित नया वार मेमोरियल नई पीढ़ी को 59 साल पहले चीन की सेना पर कहर बरपाने वाले सैनिकों की असाधारण बहादुरी की याद दिलाएगा। पुराना वार मेमोरियल छोटा था। नए वार मेमोरियल का विस्तार कर इसमें सभी 114 शहीदों के नामों वाली पत्थर की पट्टिकाएं लगाई गई हैं। इसके साथ वार मेमोरियल पर भी सभी शहीदों के नाम लिखे हैं। वार मेमोरियल में मेजर शैतान सिंह आडिटोरियम बनाया गया है। इसमें 35 लोगों के बैठने की क्षमता है। आडिटोरियल में युद्ध स्थल का 3 डी माडल भी बनाया गया है। इसके साथ वार मेमोरियल में 1962 के युद्ध की यादों को ताजा करने वाले सामान व फोटो प्रदर्शित करने के लिए गैलरी भी बनाई गई है।

नया वार मेमोरियल पूर्वी लद्दाख के चुशुल में कैलाश श्रृंखला की उन चोटियों के करीब है, जिन पर भारतीय सैनिकों ने गत वर्ष अगस्त में कब्जा किया था। वार मेमोरियल के पास हैलीपैड का भी विस्तार कर इसे बड़ा किया गया है।


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