Move to Jagran APP

चंद पैसों की खातिर नाबालिग अपनी जान जोखिम में डालकर हाथों में पकडे है घोड़ों की लगाम

शिवखोड़ी ट्रैक पर काफी संख्या में 12 से 15 वर्ष के लड़के रनसू से तीन किमी शिवखोड़ी गुफा तक श्रद्धालुओं को भोले बाबा के दर्शन कराने के लिए घोड़ों पर ढोने का काम कर रहे हैं

By Preeti jhaEdited By: Published: Fri, 06 Jul 2018 09:44 AM (IST)Updated: Fri, 06 Jul 2018 02:42 PM (IST)
चंद पैसों की खातिर नाबालिग अपनी जान जोखिम में डालकर हाथों में पकडे है घोड़ों की लगाम
चंद पैसों की खातिर नाबालिग अपनी जान जोखिम में डालकर हाथों में पकडे है घोड़ों की लगाम

पौनी, संवाद सहयोगी। किशोरावस्था में जिन हाथों में किताबें होनी चाहिए, उन हाथों में अगर घोड़ों की लगाम हो तो कितनी हैरानी की बात होगी। चंद पैसों की खातिर ये किशोर अपनी जान जोखिम में डालकर मेहनत मजदूरी करने में जुटे हैं, लेकिन प्रशासन की कार्रवाई के बाद लगता है कि इन नाबालिगों के हाथों से घोड़ों की लगाम छूटेगी।

loksabha election banner

बता दें कि इन दिनों शिवखोड़ी ट्रैक पर काफी संख्या में 12 से 15 वर्ष के लड़के रनसू से तीन किमी शिवखोड़ी गुफा तक श्रद्धालुओं को भोले बाबा के दर्शन कराने के लिए घोड़ों पर ढोने का काम कर रहे हैं। इन नाबालिगों के हाथ में घोड़ों की लगाम होने से श्रद्धालुओं की जान हर वक्त खतरे में रहती है। प्रशासन की कार्रवाई के बाद शिवखोड़ी में काम करने वाले करीब पांच सौ घोड़ा मजदूरों व मालिकों में हड़कंप मच गया है।

स्थानीय प्रशासन और पुलिस की कार्रवाई में यह भी जानकारी प्राप्त हुई है कि रनसू से गुफा तक तीन किमी यात्रा मार्ग पर श्रद्धालुओं को ढोने का काम करने वाले घोड़ा मालिक अधिक पैसे वसूलते हैं। एसएचओ रनसू जेजे भगत ने बताया कि बोर्ड प्रशासन द्वारा एक यात्री का घोड़े पर आने-जाने का किराया 365 रुपये व एक तरफ का किराया 185 रुपये रखा गया है, लेकिन घोड़ा मालिक 500-600 रुपये श्रद्धालुओं से वसूलते हैं।

उन्होंने कहा कि पिछले एक साल में रनसू पुलिस स्टेशन में घोड़ा चालकों द्वारा श्रद्धालुओं से अधिक पैसे वसूलने की करीब पांच सौ शिकायतें मिल चुकी हैं। नायब तहसीलदार रनसू अशोक कुमार व एसएचओ रनसू जेजे भगत ने बताया कि शिवखोड़ी यात्रा मार्ग पर नाबालिगों को घोड़ों की लगाम थामे देखा तो तुरंत कार्रवाई करते हुए घोड़ा मालिकों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

इस दौरान नायब तहसीलदार व एसएचओ ने शिवखोड़ी ट्रैक पर काम कर रहे करीब 300 घोड़ा मजदूरों के पहचानपत्रों की जांच भी की। उन्होंने बताया कि जांच करने के बाद यह भी पता चला है कि जिन घोड़ों पर नाबालिग ट्रैक पर श्रद्धालुओं को ढोने का काम कर रहे हैं वह उनके नहीं हैं उन घोड़ों के मालिक रौचा और गणेश हैं। उन्होंने बताया कि इन दोनों ने छह से सात घोड़े एक ही प्रमाणपत्र पर रखे हुए थे। इसके अलावा जांच में और भी कई लोगों द्वारा नाबालिगों को घोड़े चलाने के लिए रखने के मामले सामने आए हैं। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.