खेती की तरफ युवाओं को खींच रही मशरूम, दिन रात कर रहे मेहनत
खुले आसमान के नीचे खेत में ही किसान तूड़ी के ढेर लगाकर उसका कंपोस्ट बनाने में जुट गए हैं। किसान तूड़ी को गीला कर उसमें पतरी मुर्गों की बीट और अन्य सामग्री मिलाकर कंपोस्ट बनाते हैं।
सुनील चौधरी, सांबा। इस समय जबकि खेती को घाटे का सौदा कहा जाने लगा है, ऐसे में सांबा जिले में बड़ी संख्या में युवाओं का खेती की तरफ लौटना राहत की बात है। युवाओं को खेती की तरफ खींचने में मशरूम की भूमिका सबसे अहम है। सांबा जिले के शाह गांव में किसान पिछले कई साल से मशरूम की खेती कर रहे हैं। अब नई पीढ़ी ने भी इसमें अपनी भूमिका निभानी शुरू कर दी है। इस बार भी युवा किसानों ने मशरूम की खेती के लिए तैयारियां शुरू कर दी हैं।
खुले आसमान के नीचे खेत में ही किसान तूड़ी के ढेर लगाकर उसका कंपोस्ट बनाने में जुट गए हैं। किसान तूड़ी को गीला कर उसमें पतरी, मुर्गों की बीट और अन्य सामग्री मिलाकर कंपोस्ट बनाते हैं। इस समय गर्मी का मौसम चल रहा है। इस मौसम में तूड़ी से कंपोस्ट बनाते समय क्षेत्र में तापमान कुछ बढ़ जाता है। फिर भी किसान कंपोस्ट तैयार करने में लगे हुए हैं, क्योंकि यह उनकी आमदनी का बढ़िया जरिया है। पिछले कई वर्षो से मशरूम की खेती करने वाले किसान सुनील सिंह ने बताया कि वे हर वर्ष मशरूम की खेती करते हैं।
मशरूम की खेती मौसम पर निर्भर करती है। अगर मौसम सही रहे, तो इसकी अच्छी पैदावार हो जाती है, लेकिन अगर तापमान बहुत ज्यादा ऊपर-नीचे हो जाए तो इससे मशरूम उत्पादन प्रभावित होता है। किसान रामपाल, रोशन लाल, बोधराज ने बताया कि इस समय वह दिन रात मेहनत कर रहे हैं। लगभग एक माह में तूड़ी से कंपोस्ट तैयार होगी। इसके बाद उसमें मशरूम का बीज डाला जाएगा। उन्होंने बताया कि मशरूम की खेती से किसी भी किसान की किस्मत बदल सकती है।
शेड बनाने के लिए सरकार करे मदद
सांबा जिले के कई गांवों में मशरूम की खेती करने वाले किसानों की संख्या बढ़ी है। इस समय सांबा जिले में काफी संख्या में किसान मशरूम की खेती करने लगे हैं। किसान भी चाहते हैं कि सरकार की ओर से उन्हें मदद मिले, ताकि वह अपने शेड बनाकर उसमें कंपोस्ट तैयार कर सकें। इससे मशरूम की पैदावार और अधिक होगी और उनके नुकसान की भरपाई भी होगी।
सांबा जिले के कई गांवों में युवा करते हैं मशरूम की खेती
आजकल हर युवा सरकारी नौकरी के पीछे भाग रहा है, लेकिन सांबा जिले के कई गांवों में युवा मशरूम की खेती करने में लगे हुए हैं। कृषि क्षेत्र में बढ़ावा देने के लिए लगे हुए इन युवाओं के उत्थान व प्रोत्साहन के लिए उनकी मदद की जानी चाहिए। किसान एस चिब, नरेंद्र कुमार, सुभाष चंद्र के अनुसार सरकार को चाहिए कि वह मशरूम की खेती करने वाले किसानों के लिए कोई ऐसी विशेष नीति बनाएं, ताकि उन्हें उसकी पैदावार करने से लेकर उसे बेचने में किसी प्रकार की कोई परेशानी न हो।
किसानों को किया जा रहा प्रोत्साहित
एग्रीकल्चरल टेक्नोलॉजी मैनेजमेंट एजेंसी (आत्मा) के प्रोजेक्ट डिप्टी डायरेक्टर डॉ. अशोक गुप्ता ने बताया कि मशरूम की खेती करने वाले किसानों को समय-समय पर जागरूक करने के लिए शिविर लगाए जाते हैं। डॉ. गुप्ता ने कहा कि सांबा जिला के विभिन्न गांवों में मशरूम की खेती करने वाले किसानों को इसके प्रति जागरूक किया जाता रहा है। नाबार्ड के तहत कई शिविर लगाए गए, ताकि उन्हें इसके प्रति प्रोत्साहित किया जा सके।