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Jammu Kashmir : पहाड़ी समुदायों को मिलेगा आरक्षण पर गुज्जर-बक्करवाल का अंश मात्र कम नहीं होगा : गृहमंत्री शाह

केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने अपने इस बयान से पहाड़ियों के साथ-साथ गुज्जर-बक्करवाल को साध लिया। उनकी इस घोषणा केे बाद मंडाल में तालियों की गूंज के साथ-साथ गृहमंत्री अमित शाह भाजपा सरकार जिंदाबाद के नारे गूंजना शुरू हो गए।

By rahul sharmaEdited By: Rahul SharmaPublished: Tue, 04 Oct 2022 03:11 PM (IST)Updated: Tue, 04 Oct 2022 03:11 PM (IST)
गुज्जर-बक्करवाल और पहाड़ी समुदायों के लिए आरक्षण की सिफारिश की है और इसे जल्द ही दिया जाएगा।

राजौरी, जेएनएन : केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने जम्मू-कश्मीर में मंगलवार को राजनीति की बिसात पर आरक्षण का ऐसा दांव चला कि विरोधी पस्त हो गए। उन्होंने राजौरी की जनसभा में जम्मू-कश्मीर के गुज्जर-बक्करवाल के साथ पहाड़ी समाज को भी अनुसूचित जनजाति का दर्जा जल्द दिलाने का आश्वासन दिया।

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उन्होंने कहा कि आरक्षण के लाभ के लिए गठित जस्टिस शर्मा समिति ने गुज्जर-बक्करवाल और पहाड़ी भाषी समुदाय के लिए आरक्षण की सिफारिश की है। कानूनी प्रक्रियाओं को जल्द पूरा कर लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि अनुच्छेद-370 के खात्मे के कारण ही पिछड़े क्षेत्रों को यह न्याय मिल पा रहा है।

शाह ने कहा कि यह भी देखने में आया है कि कुछ लोग गुज्जर-बक्करवाल और पहाड़ियों को लड़वाना चाहते हैं, लेकिन आप सत्ता के लोभियों की बातों में न आएं। पहाड़ियों को उनका हक मिलेगा, लेकिन इसकी वजह से गुज्जर-बक्करवाल का एक अंश भी कम नहीं होगा। अमित शाह ने यह घोषणा कर पहाड़ियों के साथ-साथ गुज्जर-बक्करवाल को भी साध लिया। इसके साथ ही पंडाल तालियों की गड़गड़ाहट और गृहमंत्री जिंदाबाद, आया-आया शेर आया और भाजपा सरकार्र ंजदाबाद के नारों से गूंज उठा।

जम्मू-कश्मीर के तीन दिवसीय दौरे के दूसरे दिन राजौरी में विशाल जनसभा को संबोधित करते हुए अमित शाह ने कहा कि जब भी देश पर खतरा आया राजौरी और पळ्ंछ के लोग बहादळ्री से खड़े हो गए। आप लोगों ने नियंत्रण रेखा पर ऐसी अभेद्य दीवार बना दी है, जिसके कारण ही देश के लोग चैन से सोते हैं।

शाह ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में चुनाव के लिए परिसीमन आवश्यक था। परिसीमन के कारण ही पहाड़ी क्षेत्रों की सीटों में बढ़ोतरी हुई। राजौरी, पुंछ, डोडा, किश्तवाड़ के लिए सीटें बढ़ गई और प्रधानमंत्री मोदी ने पहाड़ी लोगों के साथ हो रहे अन्याय को एक झटके में दूर कर दिया। शाह ने महाराजाहरि सिंह की जयंती पर छुट्टी के लिए उपराज्यपाल को बधाई दी और वीर बंदा बहादुर को भी याद किया। आजादी से लेकर 2019 तक जम्मू-कश्मीर में 15 हजार करोड़ का औद्योगिक निवेश हुआ। वहीं, वर्ष 2019 से अब तक 56 हजार करोड़ का निवेश हो चुका है। यह पीएम मोदी की औद्योगिक नीति का ही कमाल है। इसके अलावा अब तक दो लाख लोगों को घर दिया गया है।

जो पहले तीन परिवारों के पास था अब 30 हजार जनप्रतिनिधियों के पास : विपक्ष दलों को आड़े हाथ लेते हुए गृह मंत्री ने कहा कि 70 वर्ष तक जम्मू-कश्मीर पर तीन परिवारों का शासन रहा। इन परिवारों ने पीढ़ियों से लोकतंत्र के अर्थ को मिटा दिया। क्या आप सभी को कभी ग्राम पंचायत, तहसील पंचायत और जिला पंचायत का अधिकार मिला। प्रधानमंत्री मोदी ने सबसे पहले जम्मू-कश्मीर में पंचायत चुनाव करवाए, जो पहले तीन परिवारों के पास था, वह अब 30 हजार जनप्रतिनिधियों को मिल रहा है।

अनुच्छेद-370 हटने के बाद आया बदलाव : शाह ने कहा कि आज की रैली अनुच्छेद-370 का समर्थन करने वालों को करारा जवाब है। इसके हटने के बाद आतंकी वारदात और सुरक्षाबलों के बलिदान होने की घटनाओं में कमी आई है। पत्थरबाजी बंद हो गई। जिन युवाओं के हाथों में पहले पत्थर थे अब मोदी सरकार उन्हें लैपटाप दे रही है। प्रदेश में सबसे ज्यादा रोजगार पर्यटन से आता है। आज तक आजादी के 75 साल में कभी इतने पर्यटक यहां नहीं आए हैं। इस वर्ष अब तक 1.62 करोड़ पर्यटक जम्मू-कश्मीर में आ चुके हैं। अब श्रीनगर से अंतरराष्ट्रीय उड़ानें चल रही हैं, विमानों की रात्रि सेवा भी शुरू हो चुकी है।

लगभग 10 लाख होगी पहाड़ी आबादी : राजौरी के कुछ हिस्सों के अलावा पुंछ जिला और कश्मीर के हंदवाड़ा, कुपवाड़ा और बारामुला जिलों में पोठवारी बोली जाती है। पहाड़ी नेताओं के अनुसार, जम्मू-कश्मीर में उनकी आबादी लगभग 10 लाख है। ऐसे में इसका सीधा असर करीब आठ विधानसभा सीटों पर दिखाई देगा।

यह भी बोले अमित शाह

  • पहले लोकतंत्र का मतलब 87 विधायक, छह सांसद और तीन परिवार थे। अब बारी पहाड़ियों और गरीब जनता की है।
  • कांग्रेस के शासनकाल में 2006 से 2013 तक प्रदेश में 4766 आतंकी घटनाएं हुईं। अनुच्छेद-370 हटने के बाद 2019 से अब तक केवल 721 आतंकी घटनाएं हुईं।
  • जम्मू-कश्मीर के 27 लाख परिवारों को पांच लाख तक का स्वास्थ्य का पूरा खर्च सरकार उठा रही।
  • 370 हटाने से पिछड़े, दलित, पहाड़ियों को उनका अधिकार मिला।
  • वर्षों से लखनपुर में टोल टैक्स लगता था, जिसे अब बंद कर दिया गया है।

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