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अब मां के दर्शन के लिए पालकी में बैठने पर नहीं लगेंगे झटके

श्री माता वैष्णो देवी के दर्शन के लिए कटड़ा आने वाले श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए आधुनिक डिजाइन वाली पालकी उपलब्ध होगी। ऐसी सात पालकी को कुछ दिन पहले ट्रायल के तौर पर पालकी वालों को दिया गया था। अब शुक्रवार को राज्यपाल सत्यपाल मलिक इसको विधिवत लांच करेंगे।

By JagranEdited By: Published: Fri, 19 Apr 2019 06:04 AM (IST)Updated: Fri, 19 Apr 2019 07:15 AM (IST)
अब मां के दर्शन के लिए पालकी में बैठने पर नहीं लगेंगे झटके
अब मां के दर्शन के लिए पालकी में बैठने पर नहीं लगेंगे झटके

सतनाम सिंह, जम्मू

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श्री माता वैष्णो देवी के दर्शन के लिए कटड़ा आने वाले श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए आधुनिक डिजाइन वाली पालकी उपलब्ध होगी। ऐसी सात पालकी को कुछ दिन पहले ट्रायल के तौर पर पालकी वालों को दिया गया था। अब शुक्रवार को राज्यपाल सत्यपाल मलिक इसको विधिवत लांच करेंगे।

इस पालकी को आइआइटी बांबे और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इंडस्ट्रियल इंजीनियरिग (एनआइआइई) ने डिजाइन किया है। श्राइन बोर्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी सिमरनदीप सिंह ने बताया 19 अप्रैल 2016 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कटड़ा के ककरियाल में श्री माता वैष्णो देवी नारायणा सुपर स्पेशलिटी अस्पताल का उद्घाटन किया था। अस्पताल की तीसरी वर्षगांठ पर राज्यपाल सत्यपाल मलिक नई पालकी को लांच करेंगे। इसके साथ ही नई पालकी की सर्विस शुरू हो जाएगी।

इस पालकी में बैठाकर श्रद्धालु को मंदिर तक ले जाना ज्यादा सुविधाजनक होगा। पालकी को इस तरह तैयार किया गया है कि उसमें बैठने वाले श्रद्धालु के लिए आरामदेह हो। श्री माता वैष्णो देवी के दर्शन के लिए आने वाले कई वृद्ध, बीमार, कमजोर श्रद्धालु पैदल यात्रा नहीं कर पाते हैं। वे पालकी में दर्शन के लिए भवन पहुंचते हैं। इस समय लोहे की पालकी इस्तेमाल की जाती है, जिसका कोई आधुनिक डिजाइन नहीं है। इस पालकी को उठाने में काफी परेशानी होती है। पालकी में बैठने वाला श्रद्धालु भी थक जाता है। केंद्र सरकार ने करीब तीन साल पहले 45 लाख रुपये आइआइटी बांबे और एनआइआइई को पालकी के डिजाइन के लिए उपलब्ध करवाए थे। तीन साल की रिसर्च के बाद 100 पालकी तैयार होकर कटड़ा पहुंच चुकी है। स्टील की बनी इस पालकी का वजन 34 किलोग्राम है। यह पुरानी पालकी से 18 किलोग्राम कम वजन की है। 16 हजार की पालकी को चार हजार में देगा श्राइन बोर्ड

सिमरनदीप सिंह ने बताया कि नई पालकी आधुनिक तरीके से डिजाइन की गई है। एक पालकी पर 16 हजार रुपये खर्च आया है। लोहे की बनी पुरानी पालकी का वजन 52 किलोग्राम था। वजन ज्यादा होने से उसे उठाने में कंधे जल्दी थक जाते थे। इसका डिजाइन सही नहीं होने से इसमें बैठने वाले श्रद्धालु की गर्दन और पीठ में दर्द हो जाता था। नई पालकी को चार लोग उठाएंगे और इन चार लोगों को नई तैयार की गई जैकेट भी मिलेगी। जैकेट पहनने से पालकी उठाने वालों के कंधे में दर्द नहीं होगा। भले ही बोर्ड का एक पालकी पर खर्च 16 हजार रुपये आया है, लेकिन श्राइन बोर्ड इसे मात्र चार हजार रुपये में पालकी वालों को दे रहा है। इसके लिए ऑनलाइन आवेदन किए गए थे। जीपीएस सिस्टम से लैश है पालकी

नई आधुनिक पालकी में सबसे अहम यह होगा कि इसमें जीपीएस सिस्टम भी होगा, ताकि यात्रा मार्ग पर पालकी की दिशा का आसानी से पता लगाया जा सके। नई पालकी की लाइफ भी पुराने पालकी से ज्यादा है। श्राइन बोर्ड शीघ्र ही चार सौ पालकी और बनवाने का ऑर्डर देगा।


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