रोहिंग्याओं को मिल रहीं सरकारी सुविधाएं
बिजली विभाग के पास कई बांग्लादेशी और रोहिंग्या मुस्लिमों ने स्थायी कनेक्शन के लिए भी आवेदन किए हैं।
जम्मू,राहुल शर्मा। हाल ही में आतंकी हमले के बाद सुर्खियां में आए सेना के सुंजवां ब्रिगेड के आसपास रोहिंग्याओं व बांग्लादेशियों की घनी आबादी कई सवाल खड़े कर रही है। सरकारी मिलीभगत के कारण अवैध रूप से बसे रोहिंग्याओं ने कॉलोनियां तक बना ली हैं। इसके अलावा वे राशन कार्ड, वोटर कार्ड के अलावा आधार कार्ड तक बनाकर सरकारी सुविधाओं का लाभ उठा रहे हैं।
महत्वपूर्ण दस्तावेजों की सुविधा इन्हें कैसे मिली इस बारे में भी सरकार के पास कोई स्पष्ट उत्तर नहीं है। इन्हीं दस्तावेजों के आधार पर बांग्लादेशी और रोहिंग्याओं ने बिजली-पानी की सुविधा ले रखी है। इससे भलीभांति परिचित होने के बावजूद सरकार अब तक सख्त कार्रवाई करने की बजाय दोहरी नीति अपना रही है।बिजली विभाग ने इन्हें स्थायी कनेक्शन दे रखे हैं। पिछले सात वर्षो के दौरान इन शरणार्थियों से विभाग ने डेढ़ करोड़ से अधिक का राजस्व भी जुटाया है। कुछ कनेक्शन फर्जी चल रहे हैं।
सूत्रों के अनुसार वर्ष 2008 से 2017 तक 7273 बांग्लादेशी और रोहिंग्या मुस्लिमों को बिजली कनेक्शन दिए गए। यही नहीं बिजली बिल के रूप में 142.53 लाख वसूले गए। पावर डेवलपमेंट डिपार्टमेंट का दावा है कि बांग्लादेशी और रोहिंग्या मुस्लिमों को दिए ये कनेक्शन अस्थायी हैं।
सूत्रों ने यह भी जानकारी दी है कि बिजली विभाग के पास कई बांग्लादेशी और रोहिंग्या मुस्लिमों ने स्थायी कनेक्शन के लिए भी आवेदन किए हैं। इनमें कुछ परिवारों ने कॉलोनी में भूमि भी खरीद रखी है। बिजली कनेक्शन के लिए आधार कार्ड व राशन कार्ड जैसे जरूरी दस्तावेज भी दिए हैं।वहीं डिवीजन-दो के एग्जिक्यूटिव इंजीनियर पदम देव सिंह ने कहा कि बांग्लादेशी और रोहिंग्याओं को नियमों के तहत अस्थायी बिजली कनेक्शन दिए गए हैं। नियमों के अनुसार कोई भी उपभोक्ता शपथ पत्र के जरिये यहां कनेक्शन प्राप्त कर सकते हैं। यदि किसी ने स्थायी कनेक्शन के लिए भूमि दस्तावेज के साथ आधार कार्ड या फिर राशन कार्ड लगाए भी होंगे तो विभाग इसमें कुछ नहीं कर सकता।
बांग्लादेशी और रोहिंग्याओं की शिनाख्त करने का उनके पास कोई जरिया नहीं है। एमएलसी विक्रम रंधावा विधानसभा में भी रोहिंग्याओं को मिल रही सरकारी सुविधाओं पर सरकार को कई बार घेर भी चुके हैं। सदन रहे कि 10 फरवरी सुंजवां में जिस जगह आतंकवादियों ने सेना के शिविर पर हमला किया वह जम्मू के रिहायशी इलाके में है। सेना शिविर के पास ही छन्नी हिम्मत, त्रिकुटा नगर जैसे घनी आबादी वाले इलाके भी हैं। यही नहीं राष्ट्रीय राजमार्ग-चार के पास बने सैन्य शिविर से जम्मू यूनिवर्सिटी की दूरी भी सात किलोमीटर से कम है।