Jammu Kashmir: सैन्य प्रतिष्ठानों, आयुध डिपुओं के 500 मीटर के दायरे में नहीं हो पाएगा किसी तरह का निर्माण
जम्मू के सुंजवां सैन्य ब्रिगेड मुख्यालय पर 2017 में हुए आत्मघाती हमले में लिप्त आतंकियों के बारे में कहा जाता है कि वह इसके साथ सटी आवासीय बस्ती में पहले से कहीं छिपे थे।
राज्य ब्यूरो, जम्मू : जम्मू कश्मीर में अब प्रमुख सैन्य प्रतिष्ठानों और आयुध डिपुओं के आसपास 500 मीटर के दायरे में किसी भी तरह का निर्माण नहीं हो पाएगा। अगर कोई पहले से ही भवन या इमारत मौजूद है तो उसका मालिक उसकी मरम्मत भी नहीं करा सकेगा। अलबत्ता, जिला प्रशासन और संबंधित सैन्य अधिकारियों की अनुमति के आधार पर निर्माण या मरम्मत की जा सकती है।
श्रीनगर और कुपवाड़ा जिला प्रशासन ने हाल ही में इस संदर्भ में वक्र्स ऑफ डिफेंस एक्ट (वोडा), 1903 के तहत इस संदर्भ में आवश्यक अधिसूचनाओं को भी जारी कर दिया है। जल्द ही जम्मू कश्मीर के अन्य जिलों में भी यह पाबंदी लागू हो जाएंगी। राज्य गृह विभाग से जुड़े एक अधिकारी ने कहा कि यह पाबंदी सिर्फ जम्मू कश्मीर तक सीमित नहीं है। यह नियम पूरे देश में लागू हैं। वहीं श्रीनगर स्थित सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने अपना नाम न छापने पर कहा कि जम्मू कश्मीर में पहली बार इस तरह की पाबंदी को दो जुलाई 2004 को एसआरओ-96 के तहत लागू करने का प्रयास किया गया था। किन्हीं कारणों से यह पाबंदी पूरी तरह अमल में नहीं लाई जा सकी थी। अब इस पाबंदी और नियम को सख्ती से लागू किया जा रहा है।
श्रीनगर में स्थित बादामी बाग सैन्य छावनी की बाहरी दीवार के 500 मीटर के दायरे में पाबंदी की अधिसूचना प्रशासन ने गत सप्ताह जारी की है। यह छावनी 1458 एकड़ में फैली है और इसमें से 313 एकड़ नागरिक भूमि है। इसी तरह उत्तरी कश्मीर में एलओसी के साथ सटे जिला कुपवाड़ा में जिला उपायुक्ता ने भी एक अधिसूचना जारी करते हुए सेना की 28- माऊंटेन डिवीजन आर्डिनेंस यूनिट के बाहरी दीवार से 500 मीटर के दायरे में किसी भी तरह के निर्माण पर रोक का आदेश जारी किया है। अगर कोई इस पाबंदी का उल्लंघन करता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
श्रीनगर जिला प्रशासन के एक अधिकारी ने बताया कि जल्द ही जिला उपायुक्त और सेना के अधिकारी मिलकर आयुध डिपुओं व सैन्य प्रतिष्ठानों की बाहरी सीमा से 500 मीटर के दायरे में आने वाले इलाके की निशानदेही करेंगे, ताकि भविष्य में इस क्षेत्र में बिना अनुमति कोई निर्माण न हो सके। फिलहाल जो लोग 500 मीटर के दायरे में रह रहे हैं, उन्हें वहां से बेदखल करने की कोई योजना नहीं है। मंडलायुक्त बसीर अहमद खान ने कहा कि यह कोई नया फैसला नहीं है। यह कुछ समय पहले से लिया गया फैसला है।
राज्य गृह विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि पांच अगस्त 2019 को जम्मू कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम को लागू किए जाने के बाद सितंबर माह के दौरान मंडलायुक्त कश्मीर समेत वादी के सभी जिला उपायुक्तों से उनके कार्याधिकार क्षेत्र में स्थित सैन्य प्रतिष्ठानों की सूची अैर रक्षा मंत्रालय के निर्देशों के अनुपालन पर एक विस्तृत रिपोर्ट तलब की गई थी। वोडा के तहत संबंधित क्षेत्रों में पाबंदी का का नियम पूरे जम्मू कश्मीर में लागू होगा। जम्मू कश्मीर सरकार सिर्फ लोगों को इसके बारे में सूचित करने का ही अधिकार रखती है।
सैन्य प्रतिष्ठानों के आसपास बस्तियां खतरनाक
जम्मू कश्मीर के विभिन्न हिस्सों में सैन्य प्रतिष्ठानों व आयुध डिपुओं के आसपास बड़ी संख्या में आवासीय बस्तियां हैं। इससे न सिर्फ सैन्य प्रतिष्ठानों की सुरक्षा का सवाल पैदा हो गया है बल्कि इन बस्तियों के रहने वालों के जानमाल पर भी खतरा बना हुआ है। दक्षिण कश्मीर के खुंदरु आयुध डिपो में करीब 12 साल पहले लगी आग ने साथ सटी बस्तियों में भी जान माल का भारी नुकसान किया था। जम्मू के सुंजवां सैन्य ब्रिगेड मुख्यालय पर 2017 में हुए आत्मघाती हमले में लिप्त आतंकियों के बारे में कहा जाता है कि वह इसके साथ सटी आवासीय बस्ती में पहले से कहीं छिपे थे। हालांकि उस समय भी जिला प्रशासन ने आसपास चल रहे निर्माण पर कड़ा संज्ञान लिया था।