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राज्यपाल शासन पर जनता की उम्मीदों का बोझ

-लोग करते रहे राज्यपाल के सलाहकार का इंतजार, अचानक कार्यक्रम रद फोटो 34 के साथ विवेक

By JagranEdited By: Published: Fri, 20 Jul 2018 08:25 PM (IST)Updated: Fri, 20 Jul 2018 08:25 PM (IST)
राज्यपाल शासन पर जनता की उम्मीदों का बोझ
राज्यपाल शासन पर जनता की उम्मीदों का बोझ

-लोग करते रहे राज्यपाल के सलाहकार का इंतजार, अचानक कार्यक्रम रद

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फोटो 34 के साथ

विवेक ¨सह, जम्मू

कश्मीर केंद्रित सरकारों की भेदभाव पूर्ण नीतियों से निराश राज्यवासियों की उम्मीदें राज्यपाल शासन का बोझ बढ़ा रही हैं। गठबंधन सरकारों की आपसी खींचतान में स्वच्छ प्रशासन, पारदर्शिता के दावों के बीच भ्रष्टाचार, राजनीतिक भेदभाव हुआ। इसके शिकार लोग अब राज्यपाल शासन को इंसाफ की किरण मान रहे हैं। राज्यपाल एनएन वोहरा ने अपने तीनों सलाहकारों के लोगों के लिए उपलब्ध होने का शेड्यूल भी बना दिया है।

चेहरे पर परेशानी, हाथों में भेदभाव की दास्तां बयां करती पुरानी फाइलों के साथ लोगों को उम्मीद थी कि मसले अब नहीं तो कभी हल नहीं होंगे। यह मंजर शुक्रवार को जम्मू के कैनाल रोड का था। यहां राज्यपाल के सलाहकार व पूर्व मुख्य सचिव बीबी व्यास के सामने अपने मसले उजागर करने के लिए लोगों की भीड़ उमड़ी। तय कार्यक्रम के अनुसार व्यास ने जम्मू आना था लेकिन व्यस्तता के कारण वह नहीं आ पाए। लोग दोपहर बाद तक इंतजार में रहे कि शायद उनकी मुश्किलें हल हो सकें।

सरकारी नौकरियों, ट्रांसफर में भेदभाव, सरकार की ओर से मुआवजा न मिलना, जमीन, विकास संबंधी मुश्किलों के हल होने की उम्मीद लिए हर आयु वर्ग के लोग आए थे। करीब एक दर्जन प्रतिनिधिमंडल सुबह 10 बजे तक गेस्ट हाउस के बाहर आ चुके थे। सुरक्षा अमले को भी कार्यक्रम की पूर्व सूचना नहीं थी, ऐसे में समस्याएं लेकर आए लोग कैनाल रोड के सामने चन्द्रबागा बैंक्वेट हॉल से लेकर गेस्ट हाउस के चक्कर काटते नजर आए। इनमें कश्मीरी पंडितों के लिए पीएम पैकेज की नौकरियों में नजरअंदाज युवा, पदोन्नति न मिलने से निराश सरकारी कर्मचारी, व्यवसायी व आम लोग शामिल थे। उन्हें यह कहकर लौटा दिया गया कि व्यास को अचानक दिल्ली जाना पड़ गया जिससे जम्मू का कार्यक्रम रद करना पड़ा।

स्टेट फॉरेस्ट कॉरपोरेशन के ब्लाक मैनेजर पुरुषोत्तम कुमार 21 साल से बकाया दिए जाने की मांग कर रहे हैं। पदोन्नति न दिए जाने का मुद्दा उठाने के बाद उन्हें कामचलाऊ पदोन्नति तो मिल गई लेकिन वेतन का नहीं। पुरुषोत्तम यह मुद्दा उठाने के लिए आए कि अब नौकरी के सिर्फ तीन साल बचे हैं। उनके कई जूनियर पदोन्नत हो गए, अब राज्यपाल इंसाफ करें।

संपत्ति विवाद हल करवाने आया था राकेश

अखनूर से आए राकेश कुमार को राज्यपाल के सलाहकार से संपत्ति के विवाद का मुद्दा उठाना था। उनका आरोप था कि राजस्व विभाग की मिलीभगत से उनके सौतेले भाई-बहनों ने सारी संपत्ति पर कब्जा कर उन्हें हिस्सा नहीं दिया। वहीं, जमीन के इंतकाल में भी फ्रॉड हुआ था, मामला सीआइडी, विजीलेंस व क्राइम ब्रांच में उठाने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई। राज्यपाल उसके साथ इन्साफ करें। इंसाफ हो सके। नौकरियों में भ्रष्टाचार, भेदभाव का मुद्दा

करीब एक दर्जन कश्मीरी पंडित युवाओं के दल ने कश्मीर में प्रधानमंत्री पैकेज के तहत दी गई नौकरियों में भ्रष्टाचार, भेदभाव का मुद्दा उठाया। उन्होंने बताया कि पीएम पैकेज के तहत पंडितों के लिए निकाली गई कई पोस्टें भरी ही नहीं गई। 2012 में नियमों को ताक पर रखते 198 युवाओं को नियुक्त कर दिया गया। उन्होंने मांग की कि ओवरएज युवाओं को इन पदों पर नियुक्त कर इंसाफ किया जाए। पीएम के हस्तक्षेप के बाद बंधी इन्साफ की उम्मीद

कश्मीर में व्यापार आतंकवाद की भेंट चढ़ने के बाद हिमाचल प्रदेश के चंबा जिले के पांगी इलाके के विपिन चंद ठाकुर इन्साफ के लिए चक्कर काट रहे हैं। ठाकुर ने इन्साफ के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से गुहार लगाई थी, इसके बाद उन्हें इंसाफ दिलाने के लिए प्रधानमंत्री कार्यालय ने भी हस्तक्षेप किया लेकिन आज तक कार्रवाई नहीं हुई। ठाकुर कश्मीर में बेकरी की दुकान चलाते थे जो नब्बे के दशक में माहौल बिगड़ने के बाद बंद करनी पड़ी थी, इससे बहुत नुकसान हुआ। मुआवजा 1.82 लाख रुपये तय किया गया था जो उन्हें आज तक नहीं मिला। ठाकुर ने जागरण को बताया कि श्रीनगर के हब्बाकदल में वह बेकरी चलाते थे। उन्होंने दुकान किराये पर ली थी। उनके साथ राजस्थान के कुशल ¨सह व जम्मू-कश्मीर के कश्मीरी लाल भी थे। अपने साथ दुकान का किरायानामा लाए ठाकुर ने बताया कि प्रधानमंत्री कार्यालय ने मुख्य सचिव बीबी व्यास को पत्र लिखा था, जिन्होंने कश्मीर के डिवीजनल कमिश्नर को हिदायत दी थी। एक साल होने को है मगर अब तक मामला हल नहीं हुआ।

शुक्रवार को राज्यपाल के सलाहकार से न मिल पाने के कारण निराश ठाकुर ने बताया कि अब बीबी व्यास ही राज्यपाल के सलाहकार हैं वे चाहें तो उन्हें जल्द मुआवजा मिल सकता है।

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बीमार बच्चे की मां को कठुआ से जम्मू ट्रांसफर करें

- जम्मू की जानीपुर कॉलोनी के अमरजीत चड़गोत्रा डाउन ¨सड्रोम से पीड़ित अपने बेटे की देखभाल के लिए पत्नी अनुराधा को मानवीय आधार पर कठुआ से जम्मू ट्रांसफर करने का मुद्दा लेकर आए थे।

तीन वर्षीय बच्चे की देखभाल में परेशानियों के चलते अध्यापक पत्नी की अंतर जिला ट्रांसफर करवाने की कोशिशें कामयाब नहीं हुई। उन्होंने बताया कि शिक्षा विभाग में ऐसे कई मामले हैं जहां पर ऐसे तबादले हुए हैं लेकिन उनके मसले पर कार्रवाई नहीं हुई। अब उन्हें राज्यपाल एनएन वोहरा से उम्मीदें हैं।

अमरजीत बच्चे की डाउन ¨सड्रोम से पीड़ित होने संबंधी सरकारी प्रमाणपत्र के साथ ऐसे कई सरकारी आदेश भी लाए थे जिनमें अन्य जिलों के अध्यापकों को मानवीय आधार पर एक जिले से दूसरे जिले में ट्रांसफर किया गया था। उन्होंने बताया कि मां के घर से 90 किलोमीटर दूर तैनाती के कारण बच्चे के पालन-पोषण में मुश्किल आ रही है। ---------------------- मिली 7000 शिकायतें, 6000 निपटाई

राज्यपाल शासन के एक महीने में सात हजार से अधिक शिकायतें मिल चुकी हैं। रोज औसतन 250 शिकायतें राज्यपाल के ग्रीवेंस सेल व राज्यपाल सचिवालय में आ रही हैं। सात हजार में से करीब छह हजार शिकायतें निपटा भी दी गई हैं।

राज्य में 20 जून से राज्यपाल शासन लागू होने से 16 जुलाई तक राज्यपाल ग्रीवेंस सेल के पास 5242 शिकायतें आई थी। इनमें से 4271 का निपटारा किया जा चुका है। वहीं 1591 शिकायतों पर कार्रवाई जारी है। इस अरसे में राज्यपाल सचिवालय में पहुंची 1733 शिकायतों में से 1526 का निपटारा हो चुका है। इस समय 92 शिकायतों पर काम हो रहा है। शिकायतों के आने का सिलसिला लगातार जारी है।


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