Azad in Kashmir: हमें दिल्ली-पांडुचेरी जैसी विधानसभा नहीं चाहिए, जहां उपराज्यपाल ही सरकार चलाता है: आजाद
जम्मू कश्मीर एक सीमावर्ती राज्य है यहां की कानून व्यवस्था यहां की राज्य सरकार ही चला सकती है। उन्हाेंने कहा कि हमने 35ए नहीं बल्कि उसके प्रावधान चाहिए। हमें हिमाचल उत्तराखंड जैसी व्यवस्था चाहिए जिसके तहत यहां राेजगार जम्मू-कश्मीर के लोगों के लिए हो।
श्रीनगर, राज्य ब्यूरो। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने केंद्र सरकार से कहा कि जम्मू कश्मीर को पहले राज्य का दर्जा मिले, उसके बाद ही यहां चुनाव कराए जाएं। श्रीनगर में पार्टी मुख्यालय में संबोधित करते हुए आजाद ने स्पष्ट किया कि हमें जम्मू-कश्मीर में दिल्ली और पांडुचेरी जैसी विधानसभा नहीं चाहिए, जहां उपराज्यपाल ही सरकार चलाता है।
जम्मू कश्मीर एक सीमावर्ती राज्य है, यहां की कानून व्यवस्था यहां की राज्य सरकार ही चला सकती है। उन्हाेंने कहा कि हमने 35ए नहीं बल्कि उसके प्रावधान चाहिए। हमें हिमाचल, उत्तराखंड जैसी व्यवस्था चाहिए जिसके तहत यहां राेजगार जम्मू-कश्मीर के लोगों के लिए हो। स्टेट सब्जेक्ट का कानून तो महाराजा हरि सिंह ने बनाया था। उन्हांने 1925 में बनाया था, जिसे 1927 में लागू किया गया। यह कानून जम्मू-कश्मीर के हितों के संरक्षण के लिए था। जम्मू में 13 हजार उद्याेग हैं और इनमें से 65 प्रतिशत बीते दो अढ़ाई सालों में बंद हुई हैं। इसलिए बेरोजगारी, बेकारी को खत्म करने के लिए और एक खुशहाल जम्मू-कश्मीर के लिए यह जरुरी है कि केंद्र सरकार तत्काल ही जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा दे।
मैं यहां आप सभी लोगों की तरफ से राहुल गांधी से आग्रह करता हूं कि वह संसद में जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा दिलाने के लिए एक बिल लाएं। उसे पास कराएं और उसमें नौकरी व जमीन के संरक्षण का मुद्दा भी शामिल हो।
वहीं समारोह में उपस्थित रजनी पाटिल ने कहा कि जम्मू-कश्मीर एक छोटा राज्य है, यहां कोई ज्यादा लोकसभा सीटें नहीं हैं। कश्मीर की जो ताकत है, वह आपका भाईचारा, आपके जीने का तरीका, एक दूसरे को प्यार से देखने का तरीका है। जो हिंदुस्तान बना है, उसकी नींव में कश्मीरियत भी है। आपने जम्मू-कश्मीर के लाेगों से प्यार से बात की, गले लगे जो भी काम करना चाहा, करा सकते हो। अगर आपने जम्मू-कश्मीर को नफरत दिखाई, हिंसा दिखाई, जो आप प्यार से निकाल सकते हो, वह हिंसा से नहीं निकाल सकते।