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Azadi Ka Amrit Mahotsav : आजादी का अमृत महोत्सव में डोगरा बलिदानियों को भी याद करें पीएम: जनरल गोवर्धन सिंह

Azadi Ka Amrit Mahotsav आजादी का अमृत महोत्सव में हर घर तिरंगा अभियान के तहत जम्मू कश्मीर एक्ससर्विस लीग के पदाधिकारियों ने रैली निकालकर 94 वर्षीय जनरल गाेवर्धन सिंह जम्वाल के घर जाकर सराहनीय योगदान के लिए उन्हे सम्मानित किया।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Sun, 14 Aug 2022 12:06 PM (IST)Updated: Sun, 14 Aug 2022 12:06 PM (IST)
Azadi Ka Amrit Mahotsav : आजादी का अमृत महोत्सव में डोगरा बलिदानियों को भी याद करें पीएम: जनरल गोवर्धन सिंह
डोगरा सैनिकों ने लद्दाख के 22 राज्याें के साथ गिलगित बाल्टीस्तन के 22 राज्यों को भी जीता था।

जम्मू, राज्य ब्यूरो : महाराजा हरि सिंह की सेना से भारतीय सेना में मेजर जनरल बनने वाले पहले व अंतिम अधिकारी मेजर जनरल गोवर्धन सिंह जम्वाल ने कहा है कि आजादी का अमृत महोत्सव में उन बीस हजार डोगरा बलिदानियों की बहादुरी को भी याद किया जाए जिन्होंने प्राणों की आहूति देकर देश की सीमाओं को तिब्बत तक पहुंचा दिया था।

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जनरल गाेवर्धन सिंह जम्वाल ने कहा है कि देश से जम्मू कश्मीर का विलय होने तक डोगरा सैनिकों ने 113 साल तक बलिदान देकर देश की सरहदों का विस्तार किया था। ऐसे में यह जरूरी है कि इस समय मनाए जा रहे आजाद के अमृत महोत्सव में स्वतंत्रता सैनानियों का सम्मान करने के साथ महाराजा गुलाब सिंह, जनरल जोरावर सिंह, मेहता बस्ती राम, महाराजा रणबीर सिंह, जनरल बाज सिंह, जनरल देवी सिंह, जनरल होशियार सिंह, जनरल हरि सिंह व ब्रिगेडियर राजेन्द्र सिंह के याेगदान को भी याद किया जाए।

आजादी का अमृत महोत्सव में हर घर तिरंगा अभियान के तहत जम्मू कश्मीर एक्ससर्विस लीग के पदाधिकारियों ने रैली निकालकर 94 वर्षीय जनरल गाेवर्धन सिंह जम्वाल के घर जाकर सराहनीय योगदान के लिए उन्हे सम्मानित किया। जनरल गोवर्धन सिंह जम्वाल ने वर्ष 1984 में राष्ट्रपति के मिलिट्री सेक्रेटरी के पद से सेवानिवृत होने के बाद तीन दशक से अधिक समय तक जम्मू कश्मीर में पूर्व सैनिकों के कल्याण के लिए बनाई गई जम्मू कश्मीर एक्ससर्विस लीग का नेतृत्व किया।

इस मौके पर विचार व्यक्त करते हुए जनरल गोवर्धन सिंह जम्वाल ने कहा कि देशवासियों का फर्ज बनता है कि वे देश के लिए बलिदान देने वाले स्वतंत्रता सैनानियों के साथ अपने डोगरा सैनिकों के बलिदान भी याद रखें। सिंह ने कहा कि डोगरा सैनिकों ने लद्दाख के 22 राज्याें के साथ गिलगित बाल्टीस्तन के 22 राज्यों को भी जीता था।

मई 1841 को महाराजा की सेना ने मानसरोवर में चीन की सेना को हराकर मनतलाई युद्ध जीता था। जम्मू कश्मीर राइफल्स के पास मौजूद मानतलाई फ्लैग अब तक चीन से जीती गई इकलौती युद्ध ट्राफी है। ऐसे में प्रधानमंत्री पंद्रह अगस्त को अपने भाषण के दौरान महाराजा की सेना के उन वीरों को भी याद करें जिन्होंने देश की सरहदों का विस्तार अपना खून बहाकर किया था।

जनरल गाेवर्धन सिंह जम्वाल ने बताया कि डोगरा सैनिकों ने असाधारण योगदान दिया है। उन्होंने पोरस के साथ एलेक्सेंडर की सेना के साथ भी युद्ध लड़ा था। जब देश के आजाद होने के बाद पाकिस्तानी सेना ने 22 अक्टूबर 1947 को कश्मीर पर कब्जा करने के लिए हमला किया तो डोगरा सैनिकों ने बलिदान देकर भारतीय सेना के आने तक दुश्मन को राेक कर रखा था। 


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