Ganesh Utsav 2020: कल से शुरू होगी गणेश महोत्सव की धूम, रहेगा कोरोना का असर, घरों में होगी मूर्ति स्थापना
गणेश महोत्सव को अब एक दिन ही बाकी रह गए हैं। बाजारों में गणेश भगवान के विभिन्न अवतारों की मूर्तियां बिक्री के लिए सज गई हैं।
जम्मू, जागरण संवाददाता : श्री गणेशोत्सव 22 अगस्त शनिवार से शुरू होने जा रहा है। कोरोना के चलते हालात बदले-बदले से हैं। बाजारों में गणेशोत्सव पर दिखने वाली रौनक का अभी इंतजार है लेकिन श्रद्धालुओं के दिलों में गणेशोत्सव को लेकर उत्साह बना हुआ है। बेशक जगह-जगह गणेश जी मूर्ति स्थापना नहीं होगी। पिछले वर्षो की तरह कार्यक्रमों का आयोजन भी नहीं होगा लेकिन घरों में श्री गणेशोत्सव की तैयारियों को अंतिम रूप दिया जा रहा है। ऐसा लग रहा है कि गणपति के गृह प्रवेश के साथ ही शहर भगवान गणेश के रंग में रंगने जा रहा है।
गणेश चतुर्थी का पर्व अब जम्मू में भी उसी आस्था के साथ मनाया जाता है जैसा कि महाराष्ट्र सहित अन्य राज्यों में मनाया जाता है। श्रद्धालु गणेश चतुर्थी के दिन गौरी नंदन को मुहूर्त के समय पर गाजे-बाजे के साथ अपने घर ले जाए, इसके लिए मूर्तिकार दिन-रात एक कर मूर्तियां तैयार करने में जुटे हुए हैं। शहर में मूर्तियों के कई पंडाल सज चुके हैं। बाजारों में गणेश भगवान के विभिन्न अवतारों की मूर्तियां सज गई हैं। श्रद्धालुओं ने मूर्तियों की खरीददारी भी शुरू कर दी है।
गणेश महोत्सव को अब एक दिन ही बाकी रह गए हैं। बाजारों में गणेश भगवान के विभिन्न अवतारों की मूर्तियां बिक्री के लिए सज गई हैं। एक-एक मूर्तिकार ने सैकड़ों मूर्तियां स्टालों पर सजा रखी हैं। बख्शीनगर में मूर्तियों का स्टाल सजाए रघुनंदन ने बताया कि वह पिछले करीब 12 वर्षो से मूर्तियों का स्टाल लगाते आ रहे हैं। पहले तो महाराष्ट्र, गुजरात और दूसरे बाहरी राज्यों के लोग ही गणेशोत्सव पर मूर्तियां खरीदते थे लेकिन अब जम्मू के लोगों में इस पर्व को लेकर विशेष उत्साह रहता है। इस बार कोरोना के कारण बड़ी मूर्तियों का खरीदार कुछ कम है लेकिन घरों में रखने के लिए छोटी मूर्तियों की अच्छी बिक्री हो रही है। कुछ लोगों ने बड़ी मूर्तियों का पहले से आर्डर दे रखा है, जिन्हें शुक्रवार तक पूरा करना है।
सिद्धि विनायक का व्रत 22 अगस्त शनिवार को: भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को कलंक चतुर्थी, पत्थर चौथ एवं अन्य नामो से जाना जाता है। भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी के विषय में श्री कैलख ज्योतिष एवं वैदिक संस्थान ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत रोहित शास्त्री ने बताया कि इस बार भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी, सिद्धि विनायक का व्रत 22 अगस्त शनिवार को है,भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी के दिन श्रीगणेश जी का जन्म हुआ था। भाद्रपद शुक्ल पक्ष
चतुर्थी तिथि का आरंभ: 21 अगस्त सन् 2020 शुक्रवार रात्रि 11:03 बजे होगा और 22 अगस्त 2020 शनिवार शाम 07:58 बजे समापन होगा, इस दिन चंदर अस्त 21:30 मिनट पर होगा, इस चतुर्थी पर चंद्र दर्शन करना वर्जित है।
दोपहर का समय गणेश पूजा के लिए ज्यादा उपयुक्त: शास्त्रों के अनुसार भगवान गणेश जी का जन्म भाद्र पद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि मध्याह्न काल के दौरान हुआ था इसीलिए दोपहर का समय गणेश पूजा के लिए ज्यादा उपयुक्त माना जाता है। शनिवार 22 अगस्त सुबह 09 बजकर 31 मिनट से भद्रा शुरू होगी और शाम 7 बजकर 58 मिनट पर समाप्त होगी, कुछ भक्त अगर भद्रा का विचार करते हैं तो वह 22 अगस्त शनिवार सुबह 09 बजकर 30 मिनट के पहले श्रीगणेश जी की पूजन कर सकते हैं। धर्मग्रंथों के अनुसार जब चंद्रमा कन्या, तुला, धनु, मकर राशि में रहे तो भद्रा पाताल लोक की होती है। भद्रा जब पाताल लोक की होती है तो आप शुभ कार्य कर सकते हैं।
22 अगस्त को भद्रा कन्या राशि में है इसलिए गणेश चतुर्थी पर भद्रा का गणपति की पूजन एवं स्थापना पर कोई प्रभाव नहीं रहेगा। अगर श्रीगणेश जी के भक्त मध्याह्न काल के दौरान श्रीगणेश पूजन करना चाहते हैं तो वह दोपहर 12 बजकर 01 मिनट से दोपहर 01 बजकर 43 मिनट के मध्य पूजन कर लें। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी को मध्यान्ह काल में हस्त नक्षत्र, साध्य योग, वणिज करण, कन्या राशि के चन्द्रमा, सिंह राशि के सूर्य व धनु राशि के गुरु होंगे। 11 दिनों का यह पर्व सर्वोत्तम माना गया है। भगवान श्री गणेश की पूजा करने से घर में सुख, समृद्धि और संपन्नता आती है, श्री गणेश चतुर्थी के दिन व्रत भी रखते हैं।