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Subhash Chandra Bose Jayanti 2021: स्वतंत्रता सेनानी मुंशी राम की बहादुरी के कायल थे नेता जी

मुंशी राम को कई मेडलों के साथ भी नवाजा गया था। 30 नवंबर 1945 को घर आ गए। क्योंकि उस समय इंडियन कांग्रेस व अंग्रेजों के बीच भारत को आजाद करने पर बात हो गई थी। मुंशी राम घर आने के बाद भी समाज सेवा में जुटे रहते।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Fri, 22 Jan 2021 08:39 AM (IST)Updated: Fri, 22 Jan 2021 08:42 AM (IST)
Subhash Chandra Bose Jayanti 2021: स्वतंत्रता सेनानी मुंशी राम की बहादुरी के कायल थे नेता जी
सुभाष चंद्र बोस के भाषण से प्रभावित होकर वह इंडियन नेशनल आर्मी में शामिल हो गए।

सांबा, संवाद सहयोगी : नेताजी सुभाष चंद्र बोस की यादों को सांबा जिले का एक छोटा सा गांव रियोर भी सहेज कर रखे हुए है। गांव के बुजुर्ग स्वतंत्रता सेनानी मुंशी राम भी आजाद हिंद फौज मेंं सिपाही रह चुके हैं। उनकी बहादुरी के नेता जी भी कायल थे। मुंशी राम का दो साल पहले 107 वर्ष की उम्र में देहांत हो गया था। उनकादेश प्रेम का जज्बे गांव के युवाओं में कूट-कूट कर भरा है। वे पूरे क्षेत्र के लोगों के लिए प्रेरणास्रोत रहे हैं।

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कब जन्म हुआ : मुंशी राम जिनका जन्म 10 जून 1911 को हरदुलियान में हुआ था। मुंशी राम की शादी रियोर गांव में हुई जिसके बाद मुंशी राम गांव रियोर में रहने लगे। वह 20 जून 1941 को ब्रिटिश आर्मी में भर्ती हुए। उन्हेंं जापान के साथ लडऩे मलेशिया भेज दिया। वह वहां नहीं पहुंच पाए। उन्हेंं सिंगापुर ले जाया गया। सुभाष चंद्र बोस के भाषण से प्रभावित होकर वह इंडियन नेशनल आर्मी में शामिल हो गए। कुछ समय ट्रेनिंग देकर वे म्यांमार आ गए। वहां अंग्रेजों के खिलाफ जंग लड़ी।

मुंशी राम को कई मेडलों के साथ भी नवाजा गया था। 30 नवंबर 1945 को घर आ गए। क्योंकि उस समय इंडियन कांग्रेस व अंग्रेजों के बीच भारत को आजाद करने पर बात हो गई थी। मुंशी राम घर आने के बाद भी समाज सेवा में जुटे रहते। गांव के युवाओं में देश प्रेम का जज्बा पैदा करते रहे। इसके बाद वह कुछ समय तक सुभाष जी के संपर्क में रहे। मुंशी राम के बड़े दो बेटे भी सेना में रहे हैं। वे आनरेरी कप्तान बनकर सेवानिवृत्त हुए। उनके दो पोते भी सेना में हैं।

वर्ष 2012 में राष्ट्रपति से मिल चुका है सम्मान : स्वतंत्रता सेनानी मुंशी राम नई दिल्ली में वर्ष 2012 में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से भी सम्मान हासिल कर चुके हैं। परिवार के सदस्य कहते हैं कि पिता जी हमेशा नेता जी के कई किस्से सुनाकर हमारे में भी जोश भरते। उन्होंने युद्ध के दौरान बहादुरी के अपने भी कई किस्से सुनाए।

रियोर तक सड़क की मांग कर चुके हैं : नड से 10 किलोमीटर दूर रियोर गांव में सड़क की मांग कई बार मुंशी राम दिल्ली सरकार के समक्ष कर चुके हैं। उनके पोते यश पाल सिंह ने बताया कि रियोर तक सड़क बनने की उम्मीद लग रही है।

सुभाष चंद्र बोस विचार मंच करता रहा सम्मानित : सांबा में सुभाष चंद्र बोस विचार मंच हर वर्ष स्वतंत्रता सेनानियों को सम्मानित करता है। मंच के प्रधान निलंबर डोगरा अपनी टीम सहित 23 दिसंबर कार्यक्रम कर हर वर्ष सम्मानित करते हैं। 


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