नेता जी की ड्यूटी बजा रहे पांच हजार पीएसओ फोर्स में वापस जाएंगे
एक ही जगह ड्यूटी करने के कारण कई बार पीएसओ लापरवाह हो जाते हैं और अपने विभाग को बिना बताए घर चले जाते हैं।
जम्मू, राज्य ब्यूरो। राज्य में संरक्षित व्यक्तियों की सुरक्षा की समीक्षा के बाद अब लंबे अर्से से उनके साथ तैनात पीएसओ (अंगरक्षक) को अपने मूल संगठन (पुलिस विभाग) में बुलाने और उनके स्थान पर दूसरे पुलिसकर्मियों को तैनात करने की प्रक्रिया पर काम शुरू हो गया है। यानि नेता जी की ड्यूटी बजा रहे लगभग पांच हजार पीएसओ वापस फोर्स में भेजे जाएंगे। इस प्रक्रिया के तहत यह भी सुनिश्चत किया जाएगा कि किन-किन संरक्षित व्यक्तियों को पीएसओ की जरूरत है या नहीं। या किसकी सुरक्षा से कितने पीएसओ की कटौती की जानी है। हालांकि पुलिस प्रशासन इसे एक सामान्य प्रक्रिया बताया है, लेकिन इसे संरक्षित व्यक्तियों की सुरक्षा व्यवस्था में किसी भी तरह की सेंध से बचने व पीएसओ की अनावश्यक ली जा रही सेवाओं से जोड़कर देखा जा रहा है।
राज्य पुलिस संगठन ने इससे पहले पिछले साल नवंबर में भी सभी संरक्षित व्यक्तियों को बतौर अंगरक्षक दिए गए एसपीओ (स्पेशल पुलिस आफिसर) को ड्यूटी से हटा दिया था। पीएसओ को वापस बुलाने की कवायद की हालांकि राज्य गृह विभाग और पुलिस प्रशासन ने पुष्टि नहीं की है। लेकिन दैनिक जागरण के पास राज्य पुलिस के सुरक्षा विंग द्वारा जारी एक आदेश के मुताबिक आइजीपी जम्मू व आइजीपी कश्मीर को लिखे एक पत्र में कहा गया है कि संरक्षित व्यक्तियों के साथ बतौर पीएसओ तैनात उन सभी पुलिसकर्मियों को तत्काल वापस बुलाया जाए, जो सात साल या इससे ज्यादा समय से इसी ड्यूटी पर हैं। इन लोगों के स्थान पर नए पीएसओ संरक्षित व्यक्तियों को तैनात किए जाएं। पत्र में कहा गया है कि पुलिस मुख्यालय ने इस बाबत पहले भी कहा है।
राज्यपाल ने लिया था संज्ञान
राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने पिछले माह कठुआ में एक कार्यक्रम में कहा था कि एक नेता उनके पास आए और बोलने लगे कि उनकी सुरक्षा में तैनात 14 सुरक्षा कर्मियों को हटाकर चार कर दिए गए हैं। मैंने उनसे पूछा कि क्या चार कम हैं। राज्यपाल ने कहा कि यहां ऐसे भी नेता हैं, जिन पर कोई 500 रुपये का कारतूस खराब नहीं करेगा, लेकिन उन्हें भी पांच-पांच सुरक्षाकर्मी हिफाजत के लिए चाहिए।
इसलिए उठाना पड़ रहा कदम
लंबे समय से संरक्षित लोगों के साथ तैनात पीएसओ से निजी काम भी लिए जा रहे हैं। इसे रोका जाएगा। एक ही जगह ड्यूटी करने के कारण कई बार पीएसओ लापरवाह हो जाते हैं और अपने विभाग को बिना बताए घर चले जाते हैं। कई मामलों में उनके हथियार भी चोरी हुए हैं। लंबे समय एक की जगह तैनाती से संरक्षित व्यक्तियों की सुरक्षा में सेंध का भी खतरा बना रहता है।
पौने दो हजार संरक्षित व्यक्तियों को मिली है सुरक्षा
सूत्रों की मानें तो राज्य में करीब पौने दो हजार संरक्षित व्यक्तियों की सुरक्षा में इस समय लगभग पांच हजार पुलिसकर्मी तैनात हैं। सुरक्षा लेने वालों में कई पूर्व नौकरशाह व राजनेता भी हैं। कई ऐसे लोगों को भी सुरक्षा मिली है, जो नियमों के अनुरूप सुरक्षा व्यवस्था प्रदान करने के दायरे में नहीं आते। तय किया जाएगा कि किन संरक्षित व्यक्तियों को अंगरक्षक की जरूरत है और किसे नहीं।