पचास फीसदी बासमती धान पर मौसम की मार का खतरा, किसानों की परेशानियां बढ़ी
जिन किसानों की धान खेतों में खड़ी कटाई का इंतजार कर रही है, उनको फसल पर पड़ने वाली मौसम की मार ने सकते में डाल दिया है।
संवाद सहयोगी, रामगढ़। धान कटाई के दौर में आए मौसम के बदलाव ने बासमती उत्पादक किसानों की परेशानियां बढ़ा दी हैं। जिन किसानों की धान खेतों में खड़ी कटाई का इंतजार कर रही है, उनको फसल पर पड़ने वाली मौसम की मार ने सकते में डाल दिया है। मौसम विशेषज्ञों के अनुसार अगले दो दिनों तक डिवीजन में बारिश होने की प्रबल संभावना जताई गई है। ऐसे में अगर बासमती धान की पकी हुई फसल पर बारिश का प्रभाव पड़ा, तो पैदावार के खराब होने का खतरा बन जाएगा।
सीमांत क्षेत्र रामगढ़ में अभी तक करीब पचास फीसदी धान की कटाई का काम पूरा हो पाया है। किसान फसलों को समेटने में कामयाब नहीं हो पा रहे हैं। धान की फसल पर बढ़ते मौसम के खतरे को लेकर किसान प्रेमपाल चौधरी, गारा राम, कुलदीप राज, सुरेश कुमार, अजीत कुमार, हंस राज, दर्शन लाल, सोम राज, बलबीर चंद, केवल कुमार अन्य ने कहा कि धान कटाई के समय में मौसम का इस तरह बदलना फसल के लिहाज से खतरनाक है। उन्होंने कहा कि धान की नाजुक पैदावार हल्की सिंचाई से ही अंकुरित होने का खतरा बन जाता है।
ऐसे में अगर खेतों में पकी हुई फसल पर जोरदार बारिश व तेज हवाओं का प्रभाव पड़ा, तो सारी पैदावार खेतों में बिखर जाएगी। खेतों में बिखरी पैदावार बारिश के पानी से अंकुरित होने से नहीं बचेगी। अगर पैदावार खराब हुई तो किसानों की मेहनत भी बेकार हो जाएगी। किसानों ने कहा कि अब तो भगवान ही किसानों की डूबती नैया को पार लगाए, ताकि फसलों पर किया खर्च और मेहनत मिट्टी में मिलने से बच सके।