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Jammu Kashmir : किसी का धर्म खतरे में नहीं, खतरे में किसी की कुर्सी है : फारूक अब्दुल्ला

तानाशाही से चलने वाली राजनीति ज्यादा देर नहीं चलती। किसान देश की रीढ़ की हड्डी हैं। चौधरी चरण सिंह से मिले थे तो उन्होंने समझाया था कि किसान देश की सबसे बड़ी ताकत हैं। इनके उत्थान से ही देश का विकास संभव है।

By Lokesh Chandra MishraEdited By: Published: Tue, 07 Dec 2021 08:02 PM (IST)Updated: Tue, 07 Dec 2021 08:04 PM (IST)
नेशनल कांफ्रेंस अध्यक्ष पूर्व मुख्यमंत्री सांसद डा. फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि बढ़ती बेरोजगारी सबसे बड़ी समस्या है।

जम्मू, जागरण संवाददाता : नेशनल कांफ्रेंस अध्यक्ष पूर्व मुख्यमंत्री सांसद डा. फारूक अब्दुल्ला ने शेर-ए-कश्मीर भवन में आयोजित एक दिवसीय सम्मेलन में सरकारी नीतियों को हवाई किले बताया। उन्होंने कहा कि बढ़ती बेरोजगारी सबसे बड़ी समस्या है। जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाए जाने को डा. फारूक ने जम्मू-कश्मीर के बेरोजगार युवाओं के जख्मों पर नमक छिड़कने जैसा बताया। उन्होंने कहा कि आज सरकार के पास अपनी उपलब्धियां गिनाने के लिए कुछ नहीं है। इसलिए लोगों को यह बताया जा रहा है कि धर्म खतरे में है।

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सच्चाई यह है कि कोई धर्म खतरे में नहीं है। सिर्फ कुर्सी खतरे में है। तानाशाही से चलने वाली राजनीति ज्यादा देर नहीं चलती। किसानों के आंदोलन पर उन्होंने कहा कि किसान देश की रीढ़ की हड्डी हैं। एक बार जब वह उस समय के प्रधान मंत्री चौधरी चरण सिंह से मिले थे, तो उन्होंने समझाया था कि किसान देश की सबसे बड़ी ताकत हैं। इनके उत्थान से ही देश का विकास संभव है। संसद में किसान कानून वापस लिए जाने पर बहस न करवाने के लिए केंद्र सरकार को आड़े हाथों लेते हुए डा. फारूक ने कहा कि संसद को सकारात्मक चर्चाओं और लोगों के हितों की रक्षा के लिए कानून बनाने और उन पर बहस के लिए होती है। लोकतंत्र में भी अगर मुद्दों पर चर्चा नहीं होगी तो ज्यादा दिन नहीं चल सकता।

किसानों को नुकसान का पूरा मुआवजा मिले : अक्टूबर महीने में बर्फबारी, ओलावृष्टि और भारी बारिश से हुए नुकसान का किसानों को जायजा मुआवजा मिलना चाहिए। डा. फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि केंद्र की जो टीम नुकसान का जायजा लेने आई थी। उन्होंने बताया था कि 1000 करोड़ का नुकसान हुआ है, लेकिन केंद्र ने दिया मात्र 16 करोड़ ही है। इससे साफ है कि सरकार किसानों को लेकर गंभीर नहीं है।


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