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PAGD Kashmir : पीएजीपी का आरोप- जम्मू-कश्मीर के लोगों को ताकत के दम पर दबा रही केंद्र सरकार

Jammu Kashmir Non Local Voting Rights Issue अनुच्छेद-370 हटने के बाद से ही स्थानीय लोगों के लिए जिंदगी मुश्किल होती जा रही है। नागरिक अधिकारों प्रेस की स्वतंत्रता अभिव्यक्ति की आजादी पर लगातार आघात हो रहा है। थानों और जेलों में निर्दाेष लोगों को बंद किया जा रहा है।

By rahul sharmaEdited By: Rahul SharmaPublished: Sat, 15 Oct 2022 12:56 PM (IST)Updated: Sat, 15 Oct 2022 02:28 PM (IST)
PAGD Kashmir : पीएजीपी का आरोप- जम्मू-कश्मीर के लोगों को ताकत के दम पर दबा रही केंद्र सरकार
इसके अलावा इसी विषय पर हाल ही में गठित 14 सदस्यीय समिति के कामकाज पर भी बातचती होगी।

श्रीनगर, जेएनएन : Jammu Kashmir Non Local Voting Rights Issue :  पीपुल्स एलायंस फार गुपकार डिक्लेरेशन (पीएजीडी) ने केंद्र सरकार पर सीधे आरोप लगाया कि वह जम्मू-कश्मीर के लोगों को ताकत के दम पर दबाने का प्रयास कर रही है। अब तक लोगों के लिए सांस लेना भी मुश्किल हो गया है। वास्तविकता यह है कि जम्मू कश्मीर के लोग आज हर क्षेत्र में उपेक्षा झेल रहे हैं। प्रदेश में हालात लगातार बिगड़ रहे हैं।

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आज यहां डा फारूक अब्दुल्ला के निवास पर हुई पीएजीडी की बैठक के बाद पत्रकारों को संबोधित करते हुए मोहम्मद युसूफ तारीगामी ने कहा कि अनुच्छेद 370 हटने के बाद से ही स्थानीय लोगों के लिए जिंदगी मुश्किल होती जा रही है। नागरिक अधिकारों, प्रेस की स्वतंत्रता, अभिव्यक्ति की आजादी पर लगातार आघात हो रहा है। थानों और जेलों में निर्दाेष लोगों को बंद किया जा रहा है।

डा फारूक अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती व पीएजीडी के अन्य नेताओं की मौजूदगी में पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए तारीगामी ने कहा कि आज की बैठक में जम्मू कश्मीर के मौजूदा सुरक्षा परिदृश्य, नागरिक अधिकारों, विकास और जम्मू कश्मीर की मतदाता सूचियों में अन्य राज्यों के नागरिकों को शामिल किए जाने व यहां डिपार्टमेंटल स्टोर में बीयर की बिक्री जैसे मामलों पर विस्तार से चर्चा हुई है।

एकजुट होकर संयुक्त मंच पर आएं लोग व राजनीतिक दल : तारीगामी ने कहा कि अभी समय है कि जम्मू कश्मीर के सभी लोगों और दलों को आपसी मतदभेद भुलाकर एकजुट हो नई दिल्ली द्वारा जम्मू कश्मीर की पहचान और अस्तित्व पर लगातार किए जा रहे हमलों केा नाकाम बनाएं। अगर देर हो गई तो फिर पछताने के सिवाय कुछ नहीं मिलेगा। यह हमारी आने वाली नस्लों के मुस्तकबिल का सवाल भी है। उन्होंने कहा कि यहां केाई भी सरकार की नीतियों के खिलाफ नहीं बोल सकता। अगर बोलेगा तो जेल जाएगा या हवालात में बंद होगा। यहां किसी भी पुलिस स्टेशन में चले जाइए, वहां आपको दर्जनों की तादाद में अभिभावक खड़े मिलेंगे जो अपने बच्चों से मिलने आए होंगे। जम्मू-कश्मीर के राजनीतिक बंदियों को देश की अन्य जेलों में भेजा जा रहा है।

हालात सामान्य दिखाने के लिए करवाए जाते हैं मंत्रियों के दौरे : यहां हालात सामान्य दिखाने के लिए केंद्रीय मंत्रियों के दौरे कराए जाते हैं, लेकिन यह दौरे यहां हालात नहीं सुधारते, लोगों को काेई राहत नहीं देते बल्कि आम लोगों की जिंदगी को और ज्यादा मुश्किल बना जाते हैं। तारीगामी ने कहा कि जब यह मंत्री आते हैं, सुरक्षाबलों का दबाव बढ़ जाता है। सुरक्षा के नाम पर एहतियातन गिरफ्तारियां शुरु हो जाती है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि प्रधानमंत्री कहते हैं कि जम्मू कश्मीर में आज जमीनी सतह पर लोकतंत्र मजबूत हो रहा है,लोगों को उनके संवैधानिक अधिकार मिल रहे हैं। असलियत तो इसके उल्ट है। उन्होंने कहा कि नया कश्मीर का दस्तावेज अगर किसी ने पढ़ा हो तो उसे पता होगा किा जम्मू कश्मीर में सत्ता का विकेंद्रीयकरण पहले हो चुका था, लोकतंत्र केा जमीनी स्तर पर पहले ही बहाल किया गया था।

गुजरात की तरह यहां शराबबंदी क्यों नहीं : माकपा नेता ने कहा कि यहां कहा जाता है कि जम्मू कश्मीर का विकास भी गुजरात की तर्ज पर किया जा रहा है। अगर ऐसा है तो फिर यहां शराबबंदी क्यों नहीं शराब, बीयर आैर अन्य नशीले पदार्थाें की खुली बिक्री को क्यों बढ़ावा दिया जा रहा है। तहसीलदारों को प्रदेश में किसी भी नागरिक को मतदाता बनाए जाने का अधिकार दिए जाने पर तारीगामी ने कहा कि यह तो चुनाव आयोग का विशेषाधिकार है, फिर जम्मू कश्मीर सरकार इस तरह के आदेश क्यों जारी कर रही है। पहले दिन आदेश आता है और अगले दिन कहा जाता है कि आदेश वापस ले लिया गया है। क्या यह लोकतंत्र का मजाक नहीं है?

फारूक बोले अब जम्मू में भी आतंकी हिंसा बढ़ने लगी है : प्रदेश के हालात से जुड़े सवाल का जवाब देते हुए डा फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि पहले कश्मीर में ही हालात बिगड़े हुए नजर आते थे,अब जम्मू में भी आतंकी हिंसा बढ़ने लगी है। उधमपुर, रियासी, राजौरी-पुंछ में जो हो रहा है, वह किसी बड़े खतरे का ही संकेत है। उन्होंने कहा कि यहां 50 हजार लोगों को नौकरी देने का वादा किया गया था, किसे नौकरी मिली। भ्रष्टाचार का आलम यह है कि सब इंस्पेक्टर, वित्तीय लेखा सहायक की भर्ती सूची को घोटाले की वजह से रद करना पड़ा है। अस्पतालों में डाक्टर नहीं है। विकास योजनाओं का ढोल पीटा जा रहा है।


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