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Jagran Special: कोरोना संक्रमण से मारे गए स्वास्थ्य कर्मियों के परिवार वाले अब मुआवजे के लिए हो रहे दरबदर

संक्रमण से मारे गए स्वास्थ्य कर्मियों के परिवार को मुआवजा नहीं मिला है। महीनों बाद भी जम्मू संभाग में किसी भी मारे गए स्वास्थ्य कर्मियों के परिवार को सरकार ने मुआवजा नहीं दिया है। न तो प्रधानमंत्री गरीब कल्याण पैकेज और न ही जम्मू-कश्मीर सरकार की इंश्योरेंस योजना का ही।

By Lokesh Chandra MishraEdited By: Published: Sun, 21 Feb 2021 09:00 PM (IST)Updated: Sun, 21 Feb 2021 09:00 PM (IST)
संक्रमण से मारे गए स्वास्थ्य कर्मियों के परिवार वाले मुआवजे के लिए दरबदर हो रहे हैं।

जम्मू, रोहित जंडियाल : केंद्र सरकार ने भले ही कोरोना के सीधे प्रभाव में आकर मरने वाले स्वास्थ्य कर्मियों को प्रधानमंत्री गरीब कल्याण पैकेज का लाभ देने को मंजूरी दी हो, लेकिन संक्रमण से मारे गए स्वास्थ्य कर्मियों के परिवार वाले मुआवजे के लिए दरबदर हो रहे हैं। महीनों बाद भी जम्मू संभाग में किसी भी मारे गए स्वास्थ्य कर्मियों के परिवार को सरकार ने मुआवजा नहीं दिया है। न तो प्रधानमंत्री गरीब कल्याण पैकेज और न ही जम्मू-कश्मीर सरकार की इंश्योरेंस योजना का ही लाभ इसे मिला है। स्वास्थ्य कर्मियों के आंदोलन और उच्चाधिकारियों से मिलने का भी कोई असर नहीं हुआ।

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जम्मू-कश्मीर में पिछले साल आठ मार्च को कोरोना संक्रमण का पहला मामला आया था। इसके कुछ महीनों बाद ही मरीजों के इलाज में जुटे स्वास्थ्य कर्मी भी बड़े पैमाने पर संक्रमित होने लगे। कुछ तो इतने गंभीर हो गए कि उनकी जान चली गई। जम्मू संभाग में स्वास्थ्य विभाग में काम करने वाले एक डाक्टर सहित पांच स्वास्थ्य कर्मियों की मौत हुई, जबकि मेडिकल कालेज जम्मू में भी एक पीजी डाक्टर सहित पांच स्वास्थ्य कर्मियों की मौत हुई। नियमों के अनुसार कोरोना डयूटी के कारण मरने वाले हर स्वास्थ्य कर्मी के परिजनों को प्रधानमंत्री गरीब कल्याण पैकेज के तहत पचास लाख रुपये और जम्मू-कश्मीर सरकार की इंश्योरेंस योजना के तहत पच्चीस लाख रुपये मिलने थे। लेकिन दोनों सरकारों की इन योजनाओं का मृतक स्वास्थ्य कर्मियों के किसी भी परिजन को अभी तक लाभ नहीं मिला।

मृतक स्वास्थ्य कर्मियों के परिजनों को मुआवजा और सहायता राशि दिलवाने के लिए स्वास्थ्य कर्मी भी आगे आए हैं। वह स्वास्थ्य निदेशक जम्मू डा. रेनू शर्मा, नेशनल हेल्थ मिशन के मिशन निदेशक से भी मिल चुके हैं। सभी के आश्वासन के बावजूद अभी तक इस दिशा में कुछ भी नहीं हुआ। स्वास्थ्य कर्मियों ने तो यहां तक कह डाला कि मुआवजा नहीं मिलने से अस्पतालों में काम कर रहे अन्य स्वास्थ्य कर्मियों का मनोबल भी कम हो रहा है। सरकार के इस प्रकार के रवैये के कारण ही कर्मचारी सड़कों पर उतर आते हैं। हैरानगी की बात यह है कि कश्मीर संभाग में ड्यूटी के दौरान मरने वाले स्वास्थ्य कर्मियों के परिजनों को सरकार ने मुआवजा दे दिया है, लेकिन जम्मू के कर्मचारियों की आवाज किसी को नहीं सुनाई दे रही है।

वहीं जम्मू-कश्मीर मेडिकल इंप्लाइज फेडरेशन के प्रधान सुशील सूदन का कहना है कि मृतक कर्मचारियों के परिजनों को न्याय दिलाने के लिए कई महीनों से संघर्ष कर रहे हैं। वह नेशनल हेल्थ मिशन के एमडी चौधरी मोहम्मद यासीन से भी मिले। उन्होंने भी आश्वासन दिया था कि जल्दी ही मुआवजा दे दिया जाएगा, लेकिन अभी तक कुछ भी नहीं हुआ। इससे पहले स्वास्थ्य निदेशक जम्मू डा. रेनू शर्मा से भी कर्मचारियों के मामलों को हल करवाया, मगर उसका भी कोई असर नहीं हुआ। अब उपराज्यपाल को स्वयं इस मामले में हस्तक्षेप करने की जरूरत है।

जम्मू संभाग में कोरोना से इन स्वास्थ्य कर्मियों की हो चुकी है मौत

  • चौकीचोरा में सीनियर फार्मासिस्ट केहर सिंह
  • उपजिला अस्पताल बिश्नाह में लेबोरेटरी टेक्निशयन जोगराज
  • दरहाल स्वास्थ्य केंद्र में मोहम्मद ताहिर
  • पौनी में एम्बुलेंस ड्राइवर इंद्रजीत सिंह
  • रामबन में काम करने वाले डाॅ. नवीद
  • मेडिकल काॅलेज जम्मू में पवन कुमार
  • जीएमसी की असिस्टेंट मैट्रन रतना देवी
  • जीएमसी की जूनियर स्टाफ नर्स कृष्णा देवी
  • जीएमसी की जूूनियर स्टाफ नर्स गुलजार अख्तर

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