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Jammu Kashmir: हौसला बढ़ा रहे लद्दाख स्काउट्स के निडर सैनिकों के परिवार

लद्दाख में चीन के सामने सीना ताने खड़े लद्दाख स्काउट्स के निडर सैनिकों के परिवार भी हौसला बढ़ाने में आगे हैं। वर्ष 1962 के भारत-चीन युद्ध् के बाद ही लद्दाख स्काउट्स का गठन हुआ था।

By Preeti jhaEdited By: Published: Mon, 21 Sep 2020 09:55 AM (IST)Updated: Mon, 21 Sep 2020 09:55 AM (IST)
Jammu Kashmir: हौसला बढ़ा रहे लद्दाख स्काउट्स के निडर सैनिकों के परिवार

जम्मू,  राज्य ब्यूरो। पूर्वी लद्दाख में चीन के सामने सीना ताने खड़े लद्दाख स्काउट्स के निडर सैनिकों के परिवार भी हौसला बढ़ाने में आगे हैं। लद्दाख के लोग शुरू से ही अपने बच्चों को सेना की लद्दाख स्काउट्स में भेजकर उन्हें देश की सरहदों की रक्षा के लिए प्रेरित करते आए हैं। यह सिलसिला वर्ष 1963 से चला आ रहा है। वर्ष 1962 के भारत-चीन युद्ध् के बाद ही लद्दाख स्काउट्स का गठन हुआ था।

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लेह के दोरजी परिवार के दो बेटे इस समय लद्दाख स्काउट्स के बहादुर सैनिक के रूप में पूर्वी लद्दाख में तैनात हैं। पिता टी दोरजी की बेटों से काफी समय से बात नहीं हुई है। अलबत्ता, सैन्य जीवन की चुनौतियों से अच्छी तरह से वाकिफ पिता को युद्ध् जैसे हालात का भी आभास है। उनका कहना है कि अगर कोई मौत से डर जाए तो देश की सरहदों की रक्षा करना संभव नहीं हो सकता है।

लद्दाख की टी कुजंस का बेटा और स्टेंजिन का बड़ा भाई भी सेना में है। उन्हें फख्र है कि घर का एक सदस्य लद्दाख पर बुरी नजर रखने वाले चीन का सामना करने के लिए इस समय वास्तविक नियंत्रण रेखा पर तैनात है। बता दें कि सेना की लद्दाख स्काउट्स में लेह व कारगिल के युवा भर्ती हैं।


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