Jammu Kashmir : चार दशक बाद भी 80 हजार किसानों का हरित क्रांति का सपना अधूरा
कठुआ जिले में बांध का पानी लेने के लिए बनाई जाने वाली नहर के लिए चिह्न्ति की गई भूमि जहां अब तक निर्माण नहीं शुरू हो पाया है।
कठुआ, राकेश शर्मा । करीब चार दशक बाद भी कठुआ व सांबा के 80 हजार किसानों का हरित क्रांति का सपना पूरा नहीं हुआ। जमीन का चयन होने के बाद भी पंजाब सरकार ने शाहपुर कंडी बैराज परियोजना के तहत जम्मू कश्मीर के कठुआ में नहर का निर्माण कार्य अभी शुरू नहीं किया है।
केंद्र की मोदी सरकार के प्रयास से पंजाब ने जम्मू कश्मीर के साथ नवंबर 2018 में नया समझौता किया था। उसके बाद पंजाब ने अपने क्षेत्र में जम्मू कश्मीर सरकार द्वारा रोके गए निर्माण कार्य को तेजी से शुरू कर रखा है। पंजाब ने अपनी तरफ नहर का निर्माण कार्य वर्ष 2014 में ही माधोपुर तक कर दिया है, लेकिन समझौते के तहत जिला कठुआ में सुखाल नाला से बसंतपुर तक करीब दो किलोमीटर नहर का भी निर्माण भी उसी को करना है। इसके लिए बकायदा सुखाल नाला के पास उस जगह का चयन भी हो चुका है। प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्यमंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह नहर निर्माण स्थल पर कार्य शुरू कराने से पहले गत वर्ष उक्त स्थल पर कार्यक्रम भी कर चुके हैं। उसके बाद भी एक वर्ष बीत गया, लेकिन नहर का निर्माण कार्य शुरू नहीं हो पाया है।
पंजाब उक्त नहर बनाकर रंजीत सागर बांध निर्माण के एवज में जम्मू कश्मीर को उसके हिस्से का 1150 क्यूसिक पानी सिंचाई के लिए देगा। जम्मू कश्मीर सरकार ने रंजीत सागर बांध बनने के एवज में वर्ष 1979 में हुए पंजाब के साथ समझौते के बाद लखनपुर से बसंतपुर तक रावी तवी नहर का निर्माण पानी लेने के लिए 90 के दशक में ही पूरा कर दिया था, लेकिन बाद में पंजाब ने समझौते पर अमल नहीं किया। इसके बाद जम्मू कश्मीर सरकार को पंजाब से अपने हिस्से का पानी लेने के लिए कानूनी राय लेकर खुद ही प्रबंध करने पड़े तो पंजाब ने तब आनन-फानन में शाहपुर कंडी बैराज का निर्माण शुरू कर दिया, लेकिन जम्मू कश्मीर की हद में निर्माण करने से पहले स्थानीय सरकार से अनुमति न लेने पर उसका काम वर्ष 2014 में रोक दिया गया। इसके बाद केंद्र सरकार ने पंजाब के साथ नए सिरे से समझौता करवाकर जम्मू कश्मीर को उसके हिस्से का पानी देने के लिए दवाब बनाया और पंजाब सरकार केंद्र सरकार के हस्तक्षेप के बाद नए समझौते के लिए राजी हुई। उसके बाद बैराज का निर्माण कार्य शुरू कर दिया गया। हालांकि अब तो बैराज परियोजना को राष्ट्रीय परियोजना में शामिल किया गया है, जिसके तहत 3500 करोड़ रुपये की परियोजना पर 90 फीसद केंद्र और 10 फीसद पंजाब सरकार को खर्च करना है।
नहर के लिए जगह का चयन हो चुका है, जो सुखाल नाले से बनकर बसंतपुर तक बनेगी। टेंडर होना है। इसका निर्माण इधर भी पंजाब को ही करना है। नहर के निर्माण के लिए अगली प्रक्रियाएं पूरी करने के लिए हर माह पंजाब के सिंचाई विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक होती है। परियोजना को 2022 तक पूरा होना है। पंजाब बैराज का निर्माण करवा रहा है। अपनी ओर नहर का निर्माण पंजाब पांच साल पहले ही कर चुका है। - सुदेश कुमार गुप्ता, कार्यकारी अभियंता, रावी तवी इरीगेशन विभाग, कठुआ।