Jammu Kashmir: यूटी बनने पर भी एससी, एसटी वर्ग को नहीं मिल पा रहा है हक
जम्मू कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश तो बन गया लेकिन केंद्र शासित प्रदेशों में लागू होने वाले नियम कानून अभी भी जम्मू कश्मीर में पूरी तरीके से लागू नहीं हो पाए हैं। खासकर आरक्षित वर्ग के लोगों को इसका ज्यादा मलाल है
जम्मू, जागरण संवाददाता। जम्मू कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश तो बन गया लेकिन केंद्र शासित प्रदेशों में लागू होने वाले नियम कानून अभी भी जम्मू कश्मीर में पूरी तरीके से लागू नहीं हो पाए हैं। खासकर आरक्षित वर्ग के लोगों को इसका ज्यादा मलाल है क्योंकि मंडल कमीशन की रिपोर्ट अभी तक यहां पर लागू नहीं हो पाई है।
ऑल इंडिया बैकवर्ड क्लासिस यूनियन के महासचिव प्रो. कालीदास ने कहा कि जब अनुच्छेद 370 जम्मू कश्मीर में था तब भी यहां पर पिछड़ी जाति वर्ग को दो प्रतिशत आरक्षण प्राप्त था। लेकिन यूटी बनने के बाद भी यह उतना ही है। देश के केंद्र शासित प्रदेशों में पिछड़ी जाति वर्ग के लोगों को 27 फीसद का आरक्षण प्राप्त है लेकिन जम्मू कश्मीर में ऐसा नहीं है। यहां पर अनुच्छेद 370 खत्म होने क बाद समाचार पत्रों में प्रशासन ने बड़े-बड़े विज्ञापन दिए थे जिसमें पिछड़ी जाति वर्ग के साथ इंसाफ करने की बात कही गई थी। लेकिन आज तक एससी और एसटी वर्ग को इंसाफ नहीं मिला है। जम्मू कश्मीर के पिछड़ी जाति वर्ग आज भी वहीं खड़ा है।
समाज सेवक एसएन डाेगरा ने कहा कि अनुसूचित जाति वर्ग के साथ भी तो इंसाफ नहीं हुआ। सबसे बड़ी बात यह कि जम्मू कश्मीर का अपना आरक्षण कानून था जिसकी रक्षा तब चुने गए प्रतिनिधि ही नहीं कर पाए। अब चूंकि जम्मू कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश बन चुका है, ऐसे में आरक्षित वर्ग के हक पूरी तरह से सुरक्षित होने चाहिए थे। हम इस बात का मलाल है कि आज तक इसमें कोई बदलाव देखने को नहीं मिला है। नौकरियों में पदोन्नति में आरक्षण बहाल ही नहीं हो पाया है जबकि सभी केंद्र शासित प्रदेशों में पदोन्नति में आरक्षण का लाभ दिया जा रहा है। केंद्र सरकार अनुसूचित जाति, जनजाति व पिछड़ी जाति वर्ग के साथ अनदेखी कर रही है। यूटी बनने के दौरान जो वायदे किए गए थे, उन्हें आज तक पूरा ही नहीं किया गया है। इससे जम्मू कश्मीर के अनुसूचित जाति, जनजाति व पिछड़ी जाति वर्ग के लोगों में नाराजगी है।