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PDCLJK को निजी हाथों में सौंपने के खिलाफ फिर सड़कों पर उतरने की तैयारी में कर्मचारी

1981 में विभाग का पुनगर्ठन हुआ था। तब से लेकर अब तक विभाग की जिम्मेदारियां कई गुणा बढ़ी है लेकिन स्टाफ में वृद्धि नहीं हुई। इन सालों में कई नए ग्रिड स्टेशन बन गए कई रिसीविंग स्टेशन बने और कई क्षेत्रों में नई ट्रांसमिशन लाइन बिछी।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Tue, 19 Jan 2021 12:56 PM (IST)Updated: Tue, 19 Jan 2021 01:00 PM (IST)
सलाल, दुलहस्ती व उड़ी पन-बिजली परियोजनाओं को जम्मू-कश्मीर के सुपुर्द करने समेत कई अन्य मांगों को भी उजागर किया।

जम्मू, जागरण संवाददाता: पावर डिस्ट्रीब्यूशन कारपोरेशन लिमिटेड जम्मू-कश्मीर (PDCLJK) को निजी हाथों में सौंपने का विरोध कर रहे विभागीय कर्मचारियों ने नए सिरे से अपने आंदोलन को तेज करने का फैसला लिया है। जेएंडके सेंट्रल नान-गैजेटिड इलेक्ट्रिक इंप्लाइज यूनियन ने इसके लिए कर्मचारियों को एकजुट रहकर संघर्ष जारी रखने की अपील की है। यूनियन ने मंगलवार को अपना 34वां स्थापना दिवस मनाया और इस दौरान लंबित मांगों को लेकर नए सिरे से अांदोलन तेज करने का ऐलान किया।

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यूनियन के स्थापना दिवस पर मंगलवार को श्रीनगर में भी कार्यक्रम का आयोजन किया गया और जम्मू में भी यूनियन ने अपना स्थापना दिवस मनाते हुए लंबित मांगों पर चर्चा की। जम्मू में यूनियन के प्रदेश महासचिव पुरषोत्तम शर्मा की अगुआई में कार्यक्रम का आयोजन किया गया। पुरषोत्तम शर्मा ने इस मौके पर कहा कि 1981 में विभाग का पुनगर्ठन हुआ था। तब से लेकर अब तक विभाग की जिम्मेदारियां कई गुणा बढ़ी है लेकिन स्टाफ में वृद्धि नहीं हुई।

इन सालों में कई नए ग्रिड स्टेशन बन गए, कई रिसीविंग स्टेशन बने और कई क्षेत्रों में नई ट्रांसमिशन लाइन बिछी। ऐसे में विभाग का पुनर्गठन होना चाहिए। शर्मा ने कहा कि आज विभाग में कर्मचारियों की इतनी कमी है कि एक लाइमैन को 10-15 सब-स्टेशन की जिम्मेदारियां निभानी पड़ रही है। उन्होंने कहा कि इससे उपभोक्ताओं को भी बिजली कटौती जैसी परेशानियों को झेलना पड़ रहा है क्योंकि एक लाइनमैन बिजली खराब होने पर सब-स्टेशन तक नहीं पहुंच पाता।

डेलीवेजरों का मुद्दा उजागर करते हुए पुरषोत्तम शर्मा ने कहा कि ये कर्मी सालों से विभाग में काम कर रहे हैं और उनके अनुभव को देखते हुए उन्हें स्थायी किया जाना चाहिए। शर्मा ने इस मौके पर सलाल, दुलहस्ती व उड़ी पन-बिजली परियोजनाओं को जम्मू-कश्मीर के सुपुर्द करने समेत कई अन्य मांगों को भी उजागर किया।


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