जम्मू कश्मीर में ई चालान की सुविधा ट्रैफिक अधिकारियों के लिए बनी दुविधा
दिरों के शहर जम्मू की सड़कों पर ई चालान काटना किसी मुसीबत से कम नहीं है। हद तो यह है कि ई चालान की सुविधा तो ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन करने वाले के खिलाफ शुरू की गई है
जम्मू, अवधेश चौहान । मंदिरों के शहर जम्मू की सड़कों पर ई चालान काटना किसी मुसीबत से कम नहीं है। हद तो यह है कि ई चालान की सुविधा तो ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन करने वाले के खिलाफ शुरू की गई है, लेकिन ट्रैफिक कर्मियों को दी गई स्वाॅइप मशीनों को कोर्ट से न जोड़े जाने के कारण कर्मी भी अब कोर्ट का चालान काटने से कतरा रहे हैं। ई चालान को शुरू करने की प्रशासन की पहल केवल उन ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ थी जो मौके पर जुर्माना नहीं दे पाते थे और न ही उनके पास एटीएम कार्ड होता था। ऐसे दोषियों के खिलाफ कोर्ट का चालान काटने के बजाए दूसरा विकल्प नहीं था।
ट्रैफिक पुलिस के एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन करने वाला व्यक्ति कोर्ट का चालान काटने के लिए कहता है तो हम उसका चालान नहीं काट सकते क्योंकि ई चालान को कोर्ट से नहीं जोड़ा गया है। वैसे हमें मिली स्वाइप मशीनों में कोर्ट चालान काटने का विकल्प ताे है। इसके लिए दोषी व्यक्ति को जब्त किए गए लाइसेंस या रजिस्ट्रेशन सर्टीफिकेट या इंश्योरेंस जैसे दस्तावेजों को कोर्ट से ही छुड़वाने पड़ते हैं।
ट्रैफिक अधिकारियों का कहना है कि उन्हें उन लोगों के ई चालान काटने में दिक्कतें पेश आ रही हैं जो अपने साथ दस्तावेज साथ लेकर नहीं चलते । लेकिन उनके दस्तावेज सरकार द्वारा प्रमाणित एप में डाॅउनलोड होते हैं। ऐसे लोगों के पास कई बार हार्ड कैश देने के लिए नहीं होता। ऐसी सूरत में हमें कोर्ट का चालान काटने में दिक्कत पेश आती हैं, क्योंकि हम लोग उनके दस्तावेज जब्त नहीं कर सकते। इसके लिए ई कोर्ट चालान सुविधा को शुरू करने केे लिए इसे कोर्ट से लिंक करने की जरूरत है।
यहां बता दे कि ई चालान सुविधा का लिंक रीजनल ट्रासंपोर्ट आफिसर कार्यालय से जुड़ा हुआ है। यहां तक कि ई मशीन में यह सुविधा तक दे रखी हुई है कि अगर ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन करने वाला व्यक्ति दो से अधिक नियमों का उल्लघंन करता है तो उसके वाहन रजिस्ट्रेेशन सर्टिफिकेट रद्द करने की सुविधा भी है। ई चालान में केवल यही दिक्कते ही नहीं बल्कि इंटननेट सुविधा भी काफी सुस्त है जिस कारण इसे कोर्ट से लिंक नहीं किया जा पा रहा है।
ई चालान मशीन में वीडियों रिकार्डिंग की भी सुविधा मौजूद है, ताकि ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन करने वाले व्यक्ति का चालान काटते समय दोषी व्यक्ति अगर अपना आपा खो देता है तो उसका बर्ताब को रिकार्ड किया जा सके। लेकिन 2 जी इंटननेट सुविधा के कारण यह सब संभव नहीं हो पा रहा है। यहां तक वाहन चलाते समय सीट बेल्ट बांधने का सवाल है, तो ऐसे नियमों का उल्लंघन करने वालों का न तो वाहन जब्त करने का प्रावधान है। ऐसी सूरत में अगर दोषी के पास कैश नहीं होता तो हम न तो वाहन जब्त कर सकते हैं और न ही दस्तावेज। हमें ऐसी सूरत में दोषियों को छोड़ने के सिवा दूसरा कोई विकल्प नहीं होता। हां अगर ई चालान को कोर्ट से जोड़ा गया हाेता तो निसंदेह उसका चालान काट दिया जाता। यहां बता दे कि केंद्र सरकार ने मोटर वाहन नियम 1989 में इसलिए संशोधन किया ताकि उन दोषियों के खिलाफ शिकंजा कसा जाए जो फर्जी दस्तावेज बनाकर सड़कों पर धड़ल्ले से घूम रहे हैं।
जम्मू कश्मीर में पहली अक्टूबर से वाहनों से ड्राइविंग लाइसेंस, रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट, इंश्योंरेस और पाल्युशन सर्टिफिकेट सरकारी पोर्टल डिजी लॉकर में रखने का प्रावधान है। अगर किसी दोषी व्यकित के वाहन दस्तावेजों की जांच होती है तो उनकी जांच उसके मोबाइल पर लोड सरकारी पोर्टल से हो सकती है। मगर यह सुविधा सुस्त 2 जी इंटरनेट सुविधा के बीच संभव नहीं है। ऐसे में कई बार चोरी के वाहनों का पता लगाने में दिक्कते पेश आ रही हैं। अभी तक जम्मू शहर में 40 ई चालान मशीने ट्रैफिक कर्मियों को बांटी जा चुकी हें। अगर यह ई चालान मशीनें कोर्ट से लिंक हो जाए तों दोषी व्यक्ति को कोर्ट से एसएमएस के जरिए यह सूचना मिल जाएगी कि उसे कितना जुर्माना देना है। इसके अलावा दोषी व्यक्ति कोर्ट गए बिना ही ऑनलाइन चालान भुगतान कर सकता है। चालान भुगतान के बाद वे ट्रैफिक पुलिस अधिकारियों से चालान कटवाने की रसीद दिखा कर जब्त वाहन के कागज छुड़ा सकता है।
वहीं एसएसपी ट्रैफिक शिव कुमार शर्मा का कहना है कि कोरोना के कारण ई चालान सुविधा को कोर्ट से नहीं जोड़ा गया है। शीघ्र ही इसे कोर्ट से जोड़ दिया जाएगा। लोगों को जो असुविधा हुई है उस पर उन्होंने खेद जताया और कहा कि ट्रैफिक नियमों का पालन करना हम सबका कर्त्तव्य है।