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Jammu Kashmir : जजर्र इमारत छोड़ने को तैयार नहीं दरबार मूव कर्मी, मुलाजिमों को कई बार नोटिस भी जारी

जम्मू के वेयर हाउस इलाके में असुरक्षित घोषित होने के बाद भी जेडीए की इमारत के 60 क्वार्टरों में दरबार मूव कर्मचारी रह रहे हैं।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Sun, 16 Feb 2020 02:32 PM (IST)Updated: Sun, 16 Feb 2020 02:32 PM (IST)
Jammu Kashmir : जजर्र इमारत छोड़ने को तैयार नहीं दरबार मूव कर्मी, मुलाजिमों को कई बार नोटिस भी जारी
Jammu Kashmir : जजर्र इमारत छोड़ने को तैयार नहीं दरबार मूव कर्मी, मुलाजिमों को कई बार नोटिस भी जारी

जम्मू, अवधेश चौहान । इसे मजबूरी कहें या फिर घोर लापरवाही। जम्मू के वेयर हाउस इलाके में असुरक्षित घोषित होने के बाद भी जेडीए की इमारत के 60 क्वार्टरों में दरबार मूव कर्मचारी रह रहे हैं। करीब 10 साल पहले जेडीए की इस तीन मंजिला इमारत को जेडीए ने रहने के लिए असुरक्षित घोषित कर दिया था। इन क्वार्टरों के ग्राउंड फ्लोर में सात दशक पुरानी दुकाने हैं। इन दुकानों के ऊपर बने क्वार्टरों से पानी दुकानों में टपकता है। क्वार्टरों में चतुर्थ श्रेणी के दरबार मूव कर्मचारी और उनके रिश्तेदार दशकों से रह रहे हैं। कुछ कर्मचारियों ने क्वार्टरों को अपने रिश्तेदारों को रहने के लिए दे दिया है। क्वार्टरों में करीब 300 परिवार झुग्गी झोपड़ी से भी बदतर हालात में रहने को मजबूर हैं।

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वैसे जेडीए ने कई बार कर्मचारियों को इन क्वार्टरों को खाली करने के लिए कहा है, लेकिन वे किसी भी हालत में इन्हें छोड़ने को तैयार नहीं है। क्वार्टर में रह रहे आसिफ अहमद का कहना है कि अगर हमें क्वार्टरों से बेदखल कर दिया गया तो हम जाएंगे कहां? क्वार्टर में रहने वाले एक दरबार मूव कर्मचारी आसिफ का कहना है कि उन्हें एस्टेट विभाग ने यह क्वार्टर अलाट किया है। इसके लिए बाकायदा 480 रुपये किराया देते हैं। इसमें बिजली का कोई मीटर नहीं है। यहां तक कि कुछ मुलाजिमों ने यह क्वार्टर अपने रिश्तेदारों को रहने के लिए दे दिया है।

ऐसे ही एक क्वार्टर में रहने वाले जावेद का कहना है कि अगर उन्होंने क्वार्टरों से अपना दावा छोड़ दिया तो उसके बदले में नया क्वार्टर मिलना मुश्किल है। कुछ मुलाजिमों ने तो अपने खर्चे पर थोड़ा लीपापोती कर मकान की छत से टपकते पानी को रोकने का प्रयास तो किया है, लेकिन बरसात के दिनों में समस्या सिर चढ़ कर बोलती है। छतों में सरिया साफ दिखता है। कई बार तो सीमेंट की पपड़ियां उनके ऊपर गिरती जाती है। फिर भी यह मुलाजिम असुरक्षित क्वार्टरों में रहने को मजबूर हैं।

शहर में असुरक्षित इमारतों को तोड़ने के लिए निगम अपने स्तर पर कार्रवाई जरूर करता है, लेकिन यह सब लोगों की शिकायत के बाद ही संभव है। निगम इसके लिए मलबा फीस लेने के बाद असुरक्षित इमारत को तोड़ता है, जिसका सारा खर्च मालिक को उठाना पड़ता है। निगम अपने स्तर पर ऐसी इमारतों की निशानदेही कर मालिकों को बकायदा नोटिस भी जारी करता है कि वह या तो स्वयं मकान गिरा दें या निगम में फीस भर दें, ताकि निगम स्वयं सुरक्षित तरीके से इमारत को गिरा दे।

-चंद्रमोहन गुप्ता, मेयर, जम्मू नगर निगम

जेडीए के एग्जीक्यूटिव इंजीनियर सुशील कुमार का कहना है कि करीब तीन साल पहले इन क्वार्टरों को असुरक्षित घोषित किया गया था। इनमें रहने वाले मुलाजिमों को कई बार नोटिस भी जारी किए गए हैं, लेकिन कर्मचारी क्वार्टर छोड़ने को राजी नहीं हैं। उन्होंने माना कि क्वार्टरों के पिलरों का सीमेंट तक झड़ गया है और सरिया बाहर दिखने लगा है। उन्होंने साफ कहा कि क्वार्टरों को जब असुरक्षित घोषित कर दिया है तो उनकी मरम्मत का सवाल ही नहीं उठता है, क्योंकि इनमें मरम्मत लायक कुछ नहीं बचा है। जेडीए के वाइस चेयरमैन राजीव रंजन का कहना है कि स्मार्ट सिटी योजना के तहत तहत कर्मचारियों की पुनर्वास योजना के तहत नए क्वार्टर बनाए जाएंगे। इस पर दो महीनों में काम शुरू हो जाएगा।

कोर्ट के आदेश का नहीं हो हुआ पालन, जल्द इस दिशा में कदम उठाना जरूरी

कोर्ट ने गत वर्ष जम्मू नगर निगम को नोटिस जारी कर शहर में खस्ताहाल इमारतों की निशानदेही करने का निर्देश दिया है। ऐसे में नगर निगम को ताजा सर्वे करना होगा। कोर्ट ने साफ कहा है कि भूकंप की संभावना को देखते हुए इस सर्वे को प्राथमिकता के आधार पर पूरा किया जाए। कोर्ट ने खस्ताहाल इमारत को गिराने के खिलाफ दायर एक याचिका पर फैसला सुनाया था कि जो इमारत जान के लिए खतरा बन चुकी है, उनकी निशानदेही कर जल्द उचित कार्रवाई होनी चाहिए, लेकिन निर्देश का अनुपालन नहीं हो पाया।

गोलपुली इलाके की घटना से सबक लेने की जरूरत

गत बुधवार को शहर के गोल पुली इलाके में आग के कारण दोमंजिला इमारत धराशायी हो चुकी हैं। इसमें तीन दमकल कर्मियों की मौत हो गई थी। जम्मू यूनिवर्सिटी के जियोलॉजी विभाग में प्रोफेसर एसके पंडिता का कहना है कि भूकंप की दृष्टि से जम्मू सेसमिक जोन चार में आता है। एसे में यह खस्ताहाल इमारतें कभी भी किसी हादसे की चपेट में आ सकती हैं। पुराने शहर में कुछ खस्ताहाल इमारतें तो ऐसी हैं जिनके मालिक उन्हें खाली कर चले गए हैं, लेकिन ये इमारतें दूसरों के लिए खतरा बनी हुई हैं।

2018 में भी गिरी थीं दो जर्जर इमारतें

नवंबर 2018 में पुराने शहर के मल्होत्र मोहल्ले में दो खस्ताहाल इमारतें अधिक बारिश के कारण जमींदोज हो गई थी। दोनों हादसों में कोई जानी नुकसान नहीं हुआ, लेकिन इससे सबक लेकर कदम उठाने की जरूरत थी। इसके बावजूद अभी तक जर्जर इमारतों की पहचान करने का काम पूरा नहीं किया गया है।


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