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नाटक कर्मगति ने दर्शकों को किया भाव-विभोर

जागरण संवाददाता, जम्मू : जम्मू-कश्मीर कला, संस्कृति एवं भाषा अकादमी की ओर से आयोजित वार्षिक न

By JagranEdited By: Published: Sun, 18 Nov 2018 06:00 AM (IST)Updated: Sun, 18 Nov 2018 06:00 AM (IST)
नाटक कर्मगति ने दर्शकों को किया भाव-विभोर
नाटक कर्मगति ने दर्शकों को किया भाव-विभोर

जागरण संवाददाता, जम्मू : जम्मू-कश्मीर कला, संस्कृति एवं भाषा अकादमी की ओर से आयोजित वार्षिक नाट्योत्सव में लक्ष्य-द-एम की ओर से शालिनी शर्मा के निर्देशन में विक्रम शर्मा के लिखे नाटक कर्मगति का मंचन किया गया।

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अभिनव थियेटर में मंचित इस नाटक के अंदर एक नाटक है। नाटक में दर्शाया गया कि एक विख्यात अभिनेता नाटक बाबा जित्तो का शो करने आ रहा है। वहीं उससे एक लड़की मिलने आती है और कहती है कि सब से बड़ा जित्तो उसका पिता है। उसने न कभी जित्तो को देखा है, न उसके बारे में पढ़ा है और न ही उसका कोई मंचन देखा है। वह उसे कहती है कि एक बार वह उससे मिल ले, इस समय वह पागलखाने में है। अगर वह उसे मिले और उसे बाबा जित्तो के चरित्र से बाहर निकाल दे तो उसका भला हो सकता है। वह बताती है कि वह जित्तो के चरित्र में इस कदर खो चुका है कि उसे गौरी के बजाए कौड़ी बुलाता है। वह जानना चाहता है कि उसकी यह हालत कैसे हुई। लड़की बताती है कि उसका बाप ठीक आदमी नहीं था। उसकी पत्नी उसे गलत हरकतों से बचाने के लिए कई प्रसिद्ध नाटक करवाती है, नाटक के चरित्र में वह पूरी तरह से खो जाया करता था। जब मां उसे प्रो. राम नाथ शास्त्री का लिखा नाटक बाबा जित्तो करवा रही होती है तो आधे नाटक में ही वह मर जाती है। जहां तक नाटक पंहुचा है, उसका पिता वहीं फंसा हुआ है। वह उसे आगे का नाटक करवाने के लिए कहती है। नाटक करवाते हुए वह बीच में नाटक करवाना बंद करवा देता है, उसका कहना है कि अगर नाटक इसी तरह आगे चला तो उसके पिता की मौत निश्चित है। वह कहती है कि नाटक को आगे बढ़ने दो। अगर उसका पिता चरित्र से बाहर न निकला, तो भी उसे मोक्ष मिलेगा। वह उसी में अपने पिता को देखेगी। जहां भी नाटक का मंचन हुआ करेगा वह समझेगी कि उसका बाप ही नाटक कर रहा है।

नाटक में भाग लेने वाले कलाकारों में मनीष काचरू ने नायक, ¨बदिया चंदन ने बेटी, दिनेश्वर पठानिया ने पागल पिता की भूमिका निभाई। सेट एवं संगीत सिद्धार्थ विक्रम शर्मा ने डिजाइन किया।


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