फारूक की चेतावनी- अमरनाथ यात्रा में सतर्क रहे सरकार, किसी भी अनहोनी का पूरे देश में खतरनाक असर पड़ेगा
नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री डा फारूक अब्दुल्ला ने बुधवार को श्री अमरनाथ की वार्षिक तीर्थयात्रा-2022 की सुरक्षा को सुनिश्चित किए जाने पर जोर देते हुए कहा कि अगर यात्रा के दौरान कोई अनहोनी होती है तो उसका पूरे देश में खतरनाक असर होगा।
जम्मू, राज्य ब्यूरो। नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री डा फारूक अब्दुल्ला ने बुधवार को श्री अमरनाथ की वार्षिक तीर्थयात्रा-2022 की सुरक्षा को सुनिश्चित किए जाने पर जोर देते हुए कहा कि अगर यात्रा के दौरान कोई अनहोनी होती है तो उसका पूरे देश में खतरनाक असर होगा। उन्होंने कहा कि हालात सामान्य होने के दावे करने के बजाय सरकार को सच्चाई समझनी चाहिए।
कश्मीर में सेना और पुलिस के इस्तेमाल से कभी भी स्थायी तौर पर शांति बहाल नहीं हो सकती। लोग अपने और अपने परिवार की सुरक्षा चाहते हैं। इसलिए प्रदेश में लगातार बिगड़ते सुरक्षा परिदृश्य और लोगों में पैदा होती डर एवं असुरक्षा की भावना को दूर करने के लिए एक सर्वदलीय बैठक बुलाई जानी चाहिए।
डा फारूक अब्दुल्ला ने कहा सरकार को सुरक्षा के पहलू को किसी भी तरह से नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। कश्मीर में आए दिन टारगेट किलिंग की वारदातें हो रही हैं। कश्मीरी हिंदू और जम्मू प्रांत से कश्मीर में तैनात कर्मियों को आतंकियों ने निशाना बनाया है। सरकार को इन लोगों की सुरक्षा को सुनिश्चित बनाने के लिए कोई ठोस उपाय करना होगा। मेरी अपील है कि सरकार सभी राजनीतिक दलों की एक बैठक बुलाए ताकि सभी मिलकर इस सुरक्षा संकट से उभरने का कोई तरीका निकाल सकें। इसके बिना शांति बहाल नहीं होगा। आप फौज और पुलिस के इस्तेमाल से शांति कायम नहीं कर सकते।
श्री अमरनाथ की पवित्र गुफा की वार्षिक तीर्थयात्रा की सुरक्षा संबंधी सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि खुदा माफ करे, अगर यात्रा के दौरान कोई छोटी सी भी घटना हो जाती है, कोई अनहोनी होती है तो उसका परिणाम न सिर्फ जम्मू-कश्मीर को बल्कि पूरे हिंदुस्तान को झेलना पड़ेगा। इसलिए सरकार को बहुत ही सजग रहना है। यात्रा की सुरक्षा बहुत जरुरी है। माता खीर भवानी की यात्रा को निलंबित किए जाने पर उन्होंने कहा कि आम लोगों के जान-माल की सुरक्षा ही सबसे पहले जरुरी होती है। अगर कोई व्यक्ति सुरक्षित नहीं है तो वह अपने रोजमर्रा के काम कैसे आसानी से कर सकता है। हरेक अपनी और अपने परिजनों की सुरक्षा चाहता है। आज यहां कोई सुरक्षा का माहौल नहीं है।
डा फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि जब तक जम्मू-कश्मीर के आम लोगों के दिलों को नहीं जीता जाएगा, उनमें सुरक्षा एवं विश्वास की भावना पैदा नहीं होती, यहां कभी हालात सामान्य नहीं होंगे। कुलगाम में एक बेचारी अध्यापिका की हत्या जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा और शांति के वातावरण की असली कहानी सुना देती है। एक महिला अध्यापक जो कश्मीरी में रह रही थी, आतंकियों ने उसे बलिदान कर दिया। इससे पता चल जाता है जम्मू-कश्मीर में कितनी शांति है। इस घटना से पता चलता है कि हम कितने सुरक्षित है। कश्मीर मे आए दिन कश्मीरी हिंदू और मुस्लिम मारे जा रहे हैं, लेकिन सरकार हर जगह कश्मीर में शांति बहाली का दावा पीट रही है। आप ही बताईए जो लोग यहां से कश्मीर में गांवों में पढ़ाने गए हैं, क्या उनकी सुरक्षा का कोई बंदोबस्त है? क्या उन्हें सुरक्षा प्रदान की गई है? बातों और दावों से कुछ नहीं होता। सरकार को हमे इस मुश्किल से बाहर लाने के लिए कोई रास्ता निकालना होगा।