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कश्मीर में विटामिन-डी की कमी से महिलाएं ग्रस्त, डॉक्टर कम धूप निकलने को बता रहे हैं बड़ी वजह

विटामिन-डी की कमी से पीडि़त महिला के शिशुओं में भी यह कमी होती है। वह जन्म से कमजोर होते हैं उनकी हड्डियों का ढांचा कमजोर होता है बनावट ठीक नहीं होती।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Thu, 20 Feb 2020 11:22 AM (IST)Updated: Thu, 20 Feb 2020 11:22 AM (IST)
कश्मीर में विटामिन-डी की कमी से महिलाएं ग्रस्त, डॉक्टर कम धूप निकलने को बता रहे हैं बड़ी वजह
कश्मीर में विटामिन-डी की कमी से महिलाएं ग्रस्त, डॉक्टर कम धूप निकलने को बता रहे हैं बड़ी वजह

श्रीनगर, नवीन नवाज। कश्मीर में महिलाओं में विटामिन डी की कमी से महिलाएं ग्रस्त हैं। विशेषकर गर्भवती महिलाएं इससे अधिक जूझ रही हैं। डॉक्टर इसका मुख्य कारण सर्दियों में धूप का कम निकलने के अलावा सर्दी हो या गर्मी महिलाओं का बाहर नहीं निकलना बताते हैं। शेर-ए-कश्मीर आयुर्विज्ञान संस्थान (सौरा) में एंडोक्रोनोलाजी एंड मेटाबालिज्म विभाग में डॉ. शारिक रशीद मसूदी ने शोध के दौरान विटामिन डी की कमी से ग्रस्त महिलाओं की दिनचर्या का अध्ययन कर पाया कि ये ज्यादातर समय घरों के भीतर रहती हैं। वह धूप में कम बैठती हैं। यही स्थिति गर्मियों की है। सर्दियों में तो यहां धूप की तीव्रता और गर्माहट कम होती है। महिला को अस्थी रोग जल्द होता है, उसे विभिन्न प्रकार की बीमारियां जल्द घेर लेती हैं। हड्डियों का ढांचा भी बिगड़ने लगता है।

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विटामिन-डी की कमी से पीडि़त महिला के शिशुओं में भी यह कमी होती है। वह जन्म से कमजोर होते हैं, उनकी हड्डियों का ढांचा कमजोर होता है बनावट ठीक नहीं होती। उन्होंने कहा कि शरीर में पैदा होने वाले विटामिन डी का 95वें फीसद धूप के कारण होता है। सूरज की रोशनी ही इसका मुख्य स्रोत है। शेष पांच प्रतिशत हम अंडों, मछली, मछली के तेल, दूध, पनीर, दही और दालों से प्राप्त करते हैं। अगर कश्मीर में देखें तो अधिकांश महिलाओं में विटामिन डी की कमी है।

केस-1 - सात माह से गर्भवती रेशमा को मासपेशियों में तीव्र पीड़ा और उ'च रक्तचाप के कारण उसके परिजन कश्मीर के सबसे बड़े ज'चा-ब'चा अस्पताल ललदेद अस्पताल में लेकर आए। उसकी हालत देखकर डॉक्टरों को लगा कि उसे प्रसव पीड़ा हो रही है। उसी समय कुछ टेस्ट किए ताकि उसका सही उपचार किया जा सके। स्वास्थ्य जांच में पता चला कि उसके रक्त में विटामिन डी का स्तर 0.04 है। राष्ट्रीय स्तर पर यह प्रति मिलीलीटर 25 नैनोग्राम है। सोपोर की एक अन्य महिला को पेट में तीव्र दर्द की शिकायत पर अस्पताल लाया। वह नौ माह से गर्भवती है। रिपोर्ट में पता चला कि उसके शरीर में विटामिन डी का स्तर 4 नैनोग्राम प्रति मिलीलीटर है।

केस-2 - अस्पताल में भर्तीं सोपोर निवासी महिला की चिकित्सा में जुटे डॉक्टरों न बताया कि इसे आंतडिय़ों व पेट की समस्या है। इसके कारण उसके शरीर के विभिन्न हिस्सों, उत्तकों में बैक्टेरिया, विषाक्त पदार्थ और अन्य पदार्थ उसकी आंतडिय़ों के जरिए पहुंच रहे हैं। इसका असर इसकी हड्डियों पर हो रहा है। विटामिन डी शरीर में कैलशियम और फासफेट को संतुलति रखते हुए हड्डियों के मेटाबालिज्म में अहम भूमिका निभाता है। विटामिनट डी पेट की आंतों को दुरुस्त रखने में सहायक होता है। यह मांसपेशियों की कमजोर रोकता है।

  • कश्मीर में कश्मीर में अधिकांश गर्भवती महिलाओं में एक में विटामिन डी की कमी है। खान-पान के जरिए विटामिन डी की कमी पूरा करना मुश्किल है। - डॉ. नौशीन खान, विशेषज्ञ, ललदेद अस्पताल में स्त्री रोग
  • विटामिन डी की कमी के कारण समय पूर्व प्रसव, प्री-एक्लेम्पसिया व एक्लेम्पसिया हाता है। प्री-एक्लेम्पसिया अक्सर गर्भावस्था के दौरान होता है। इसमें गर्भवती महिला का रक्तचाप बढ़ जाता है। उसके पेशाब में प्रोटीन की मात्रा बढ़ती है। सही समय पर उपचार न किया जाए तो पीडि़ता को दौरे पडऩा शुरू हो जाते हैं। उचित खुराक और कैलशियम की अतिरिक्त खुराक से हम प्री-एक्लेम्पसिया और समय पूर्व प्रसव को किसी हद तक कम कर सकते हैं। - डॉ. आकाफीन निसार, रेजिडेंट एसएमएचएस अस्पताल

क्या करें - शरीर के लिए पर्याप्त धूप जरूरी है। महिलाओं को चाहिए कि वह रोजाना 15 से 20 मिनट तक धूप में जरूर बैठें। 


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