डोगरी लेखक अशोक अंबर को प्रो. रामनाथ शास्त्री पुरस्कार 2022 से किया सम्मानित
पद्मश्री रामनाथ शास्त्री के परिवार ने नए डोगरी लेखकों को प्रोत्साहित करने के लिए 2014 में पिता की याद में इस वार्षिक साहित्यिक पुरस्कार की स्थापना की थी। पुरस्कार पिछले पांच वर्षों में प्रकाशित उनकी पहली पुस्तक के लिए एक लेखक को दिया जाता है।
जम्मू, जागरण संवाददाता : डोगरी संस्था और पद्मश्री प्रो. रामनाथ शास्त्री परिवार ने डोगरी लेखक अशोक अंबर को प्रो. रामनाथ शास्त्री स्मृति पुरस्कार 2022 से सम्मानित किया। पुरस्कार के तहत 21 हजार रुपए का नकद पुरस्कार, एक शाल, स्मृति चिह्न और प्रमाणपत्र दिया गया। पद्मश्री रामनाथ शास्त्री के परिवार ने नए डोगरी लेखकों को प्रोत्साहित करने के लिए 2014 में पिता की याद में इस वार्षिक साहित्यिक पुरस्कार की स्थापना की थी। पुरस्कार पिछले पांच वर्षों में प्रकाशित उनकी पहली पुस्तक के लिए एक लेखक को दिया जाता है।
यह नौवां पुरस्कार था और इससे पहले अशोक अंबर, शैलेंद्र सिंह, राजेश्वर सिंह राजू, शकुंत दीपमाला, सुशील बेगाना, पीतांबर नाथ शर्मा, अशोक दत्ता, राज मनावरी और अशोक अंगुराना को इस प्रतिष्ठित पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है। डोगरी संस्था भवन कर्ण भवन में आयोजित पुरस्कार वितरण समारोह की अध्यक्षता करते हुए डोगरी संस्था जम्मू के अध्यक्ष प्रो ललित मगोत्रा ने प्रो. राम नाथ शास्त्री के साथ अपनी चिरस्थायी यादों को याद किया। इस पुरस्कार के महत्व के बारे में बताया।
उन्होंने कहा कि यह पुरस्कार शास्त्री जी के बाद एक सतत प्रयास है। जैसा कि शास्त्री जी ने स्वयं अपने जीवन काल में डोगरी लेखकों को अपनी मातृभाषा में रचनात्मक लेखन को लिखने के लिए प्रोत्साहित करने और डोगरी के संरक्षण के लिए एक आवश्यक आंदोलन में योगदान देने के लिए किया था। सभी डोगरों को डोगरी में बातचीत को प्रोत्साहित करके मातृभाषा को पूरा सम्मान देने के लिए प्रेरित किया जाना होगा। उन्होंने इस पुरस्कार के लिए अशोक अंबर को भी बधाई दी और आशा व्यक्त की कि उनकी साहित्यिक यात्रा भविष्य में भी नियमित प्रकाशनों के साथ डोगरी साहित्य को समृद्ध करेगी।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि प्रो. रामनाथ शास्त्री के पुत्र अजीत खजूरिया ने भी अपने पिता और मातृभाषा डोगरी और डुग्गर प्रदेश की सांस्कृतिक विरासत के प्रति उनके समर्पण के बारे में अपनी यादें साझा कीं। प्रो. वीणा गुप्ता ने इस अवसर पर अशोक अंबर पर प्रशस्ति पत्र पड़ा। अशोक अंबर ने अपनी साहित्यिक यात्रा के बारे में विस्तार से बात करते हुए अपनी पुस्तक ‘नमा सवेरा’ से कुछ गज़लों का भी पाठ किया। यही गजलों का एक संग्रह है, जिसके लिए उन्हें यह प्रतिष्ठित पुरस्कार मिला है। समारोह की कार्यवाही का संचालन प्रोमिला मन्हास ने किया और धन्यवाद प्रस्ताव डोगरी संस्था जम्मू के महासचिव राजेश्वर सिंह राजू ने दिया। बड़ी संख्या में साहित्य प्रेमियों और साहित्यकारों ने इस समारोह में भाग लिया।