Jammu : डोगरी संस्था ने किया राजेश्वर सिंह ‘राजू’ की किताब ‘ऑफ आर्ट एंड आर्टिस्ट’ का विमोचन
राजेश्वर सिंह ‘राजू’ ने इस अवसर पर अपनी बातें साझां करते हुए कहा कि विगत 32 वर्षों से वह लोक संस्कृति तथा विरासत पर अंग्रेजी हिंदी और डोगरी भाषा में लिख कर क्षेत्रीय विरासत को शब्दों के माध्यम से सहेज कर रखने में योगदान देने का प्रयास कर रहे हैं।
जम्मू, जागरण संवाददाता : डोगरी संस्था जम्मू की तरफ से प्रसिद्ध अंग्रेजी, हिंदी और डोगरी लेखक राजेश्वर सिंह ‘राजू’ की अंग्रेजी पुस्तक ‘ऑफ आर्ट एंड आर्टिस्ट’ का ऑनलाइन विमोचन किया गया।इस मौके पर जम्मू यूनिवर्सिटी के पूर्व वाइस चांसलर प्रो. आर डी शर्मा मुख्य अतिथि थे तथा कार्यक्रम की प्रधानता डोगरी संस्था जम्मू के प्रधान प्रो. ललित मगोत्रा ने की।
डुग्गर प्रदेश की अलग-अलग लोक कलाओं, कलाकारों तथा लेखकों को समर्पित इस किताब में 27 लेख हैं । इन में से 18 लेख प्रख्यात लेखकों तथा कलाकारों पर हैं। जिनमें से अधिकतर लेख डोगरी लेखकों पर हैं तथा कुछ हिंदी तथा पंजाबी लेखकों पर भी हैं। बाकी 9 लेख क्षेत्रीय रंगमंच के साथ-साथ प्रदेश की अलग-अलग लोक कलाओं को समर्पित हैं । जिन प्रख्यात लेखकों के कार्यों को इस किताब के माध्यम से डोगरी भाषा का ज्ञान ना रखने वालों तक भी अंग्रेजी भाषा के माध्यम से पहुंचाने का प्रयास किया गया है। उनमें वेद राही, दीनू भाई पंत, नरसिंह देव जम्वाल, बलवंत ठाकुर, प्रो. ललित मगोत्रा, सतीश विमल, दर्शन दर्शी, मोहन सिंह, प्रकाश प्रेमी, दीदार सिंह, बृजमोहन, प्राे. वीणा गुप्ता, छत्रपाल, बलजीत सिंह रैना, मदन गोपाल पाधा, गणेश शर्मा, तारा समैलपुरी, जितेंद्र सिंह के नाम उल्लेखनीय हैं।
प्रो. आर डी शर्मा ने इस अवसर पर किताब की प्रशंसा करते हुए कहा यह किताब दो मुख्य उपलब्धियों के कारण भी सराहनीय है। पहला यह की स्थानीय लेखकों तथा कलाकारों पर लेख लिखकर उनके कार्यों को दस्तावेज़ के रूप में सहेज कर रखने का प्रयास तथा दूसरा डुग्गर प्रदेश की संस्कृति और विरासत समेटे हुई लोक कलाओं को अंग्रेजी भाषा के माध्यम से डोगरी ना समझने और पढ़ने वालों तक पहुंचाना ।अपनी मातृभाषा डोगरी के प्रति यह एक प्रशंसनीय कार्य है। इससे अंग्रेजी भाषा के पाठकों को भी डुग्गर समाज के बारे में जानकारी हासिल हो पाएगी।
इस अवसर पर प्रो. ललित मगोत्रा ने अंग्रेजी भाषा के माध्यम से क्षेत्रीय संस्कृति और विरासत के साथ-साथ डोगरी लेखकों के कार्यों को संकलित कर के एक बहुत ही खूबसूरत किताब के रूप में पेश करने के लिए राजेश्वर सिंह ‘राजू’ को बधाई देते हुए कहा कि बहुत से लोग और विशेषकर शोधकर्ता डुग्गर समाज की लोक कलाओं और लेखकों के कार्यों को जानना चाहते हैं। लेकिन डोगरी भाषा में ना पढ़ पाने के कारण उन्हें काफ़ी दिक्कतें पेश आती हैं।राजेश्वर सिंह ‘राजू’ की इस किताब के माध्यम से प्रदेश के प्रसिद्ध लेखकों के साथ-साथ लोक कलाओं के बारे में भी अब सभी के लिए जानकारी जुटा पाना सरल होगा। यह किताब विशेषकर शोधकर्ताओं के लिए बहुत सहायक सिद्ध होगी।डुग्गर प्रदेश की लोक संस्कृति तथा विरासत के साथ इस पर कार्य करने वालों के कार्यों को भी विस्तार मिलेगा।
कार्यक्रम के दौरान उपाध्यक्ष डोगरी संस्था तथा भूतपूर्व डोगरी विभागाध्यक्ष जम्मू विश्वविद्यालय प्रो. वीणा गुप्ता तथा प्रख्यात डोगरी लेखक जगदीप दुबे ने किताब के अलग-अलग पहलुओं पर विस्तारपूर्वक चर्चा की।उन्होंने ऐसी किताबों की आवश्यकता पर बल दिया तथा जिस तरह से पूरी रचनात्मकता के साथ इस किताब को लिखा गया है।उसके लिए लेखक की प्रशंसा भी की।
राजेश्वर सिंह ‘राजू’ ने इस अवसर पर अपनी बातें साझां करते हुए कहा कि विगत 32 वर्षों से वह लोक संस्कृति तथा विरासत पर अंग्रेजी हिंदी और डोगरी भाषा में लिख कर क्षेत्रीय विरासत को शब्दों के माध्यम से सहेज कर रखने में योगदान देने का प्रयास कर रहे हैं।यह किताब एक उसी की कड़ी के रूप में एक कदम और उस दिशा में बढ़ाने की तरह है ।उन्होंने कहा कि एक किताब में ही इतनी विशाल संस्कृति, विरासत और बेजोड़ लेखकों तथा कलाकारों के कार्यों को संकलित कर पाना असंभव है। इसीलिए उन्होंने इस किताब को एक वॉल्यूम की तरह नहीं रखा तथा अपनी आने वाली किताबों के माध्यम से इस प्रयास में अग्रसर रहेंगे की ओर भी लोक कलाओं, कलाकारों तथा लेखकों के कार्यों को संकलित कर पाएं। उन्होंने कहा कि हमें अपनी मातृभाषा डोगरी, अपनी डुग्गर प्रदेश की संस्कृति तथा विरासत को सहेज कर रखने, प्रचारित और प्रसारित करने के लिए अनथक प्रयास करने की जरूरत है । इस कार्य को आगे बढ़ाते हुए वह निकट भविष्य में भी संस्कृति और विरासत को समर्पित किताबों के माध्यम से योगदान देने का प्रयास करते रहेंगे।
कार्यक्रम का संचालन प्रसिद्ध रंगमंच अभिनेता तथा डोगरी लेखक पवन वर्मा ने किया ।डोगरी संस्था जम्मू के फेसबुक पेज के माध्यम से इस पुस्तक का विमोचन कार्यक्रम को देश-विदेश में साहित्यकारों तथा डोगरी भाषा प्रेमियों तथा साहित्य प्रेमियों द्वारा देखा गया।