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Jammu Kashmir Coronavirus: अक्टूबर से दिसंबर तक का महीना हो सकता है चुनौतीपूर्ण, रखें सेहत का ख्याल!

जम्मू के चेस्ट डिजिजेस अस्पताल जिसे कोविड अस्पताल बनाया गया है्र उसके मेडिकल सुपरिटेंडेंट डा. राजेश्वर शर्मा का कहना है कि बदल रहा मौसम कई लोगों के लिए खतरनाक होता है। इस माैसम में बुखार खांसी जुकाम के मामले पहले से ही होते हैं।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Fri, 09 Oct 2020 11:54 AM (IST)Updated: Fri, 09 Oct 2020 11:54 AM (IST)
जम्मू-कश्मीर में कोविड़ 19 के मामले अस्सी हजार के आंकड़े को पार कर गए हैं।

जम्मू, राज्य ब्यूरो: राज्य में धीरे-धीरे ठंड दस्तक देने लगी है। हालांकि बारिश नहीं होने से दिन के समय तापमान भी अधिक है, लेकिन इस मौसम में अपने आप को बचाना सबसे जरूरी है। डेंगू, कोविड 19 के कारण इस बार थोड़ी सी लापरवाही किसी को भी बीमार बना सकती है। डाक्टरों का कहना है कि अक्टूबर से दिसंबर तक का महीना इस बार चुनौतीपूर्ण हो सकता है।

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जम्मू-कश्मीर में इस बार हालांकि अभी तक डेंगू के मामले तोे सामने नहीं आए हैं लेकिन कोविड़ 19 के मामले अस्सी हजार के आंकड़े को पार कर गए हैं। खांसी, बुखार, जुकाम, गले में जलन और सांस संबंधी समस्या इस मौसम में पहले से ही बनी रहती है। यही सब कोविड 19 के लक्षण भी हैं। डाक्टरों का कहना है कि बदलते मौसम में थोड़ा परहेज किया जाए तो इन बीमारियों से बचा जा सकता है। उनका कहना है कि इस बार कोविड 19 के चलते पहले से ही थोड़ा लोगों में भय भी है। कुछ लोग तो पहले से ही एहतियात बरत रहे हैं लेकिन बहुत से लोग अभी नियमों की धज्जियां उड़ा रहे हैं। यह लापरवाही भारी पड़ सकती है। उनका कहना है कि इस मौामक में आने वाले दिनों में प्रदूषण भी बढ़ता है और इससे भी परेशानी हो रही है।

बदलते मौसम में बढ़ती है समस्या: जम्मू के चेस्ट डिजिजेस अस्पताल जिसे कोविड अस्पताल बनाया गया है्र उसके मेडिकल सुपरिटेंडेंट डा. राजेश्वर शर्मा का कहना है कि बदल रहा मौसम कई लोगों के लिए खतरनाक होता है। इस माैसम में बुखार, खांसी, जुकाम के मामले पहले से ही होते हैं। इस बार इनसे कोविड 19 का संक्रमण भी हो रहा है। कुछ सप्ताह में जम्मू में सचिवालय खुलने से गाड़ियों की संख्या भी बढ़ेगी। इससे प्रदूषण की समस्या भी बढ़ती है। इस मौसम में वातावरण में सल्फर, नाइट्रोजन और कार्बन मोनोऑक्साइड की भारी उपस्थिति से प्रदूषण के स्तर में वृद्धि होती है। धुंध और कोहरा समस्या को और बढ़ाता है। इसलिए जरूरी है कि सभी लोग विशेषकर बुजुर्ग और अस्थमा के मरीज पूरी एहतियात बरतें। उन्हें सांस लेने में दिक्कत आ सकती है। अगर ऐसे मरीजों में कोरोना संक्रमण की समस्या हो जाए तो और परेशानी होगी।

दिसंबर महीनेे तक चुनौती बरकरार: राजकीय मेडिकल कालेज जम्मू में फार्माकालोजी विभाग के प्रोफेसर डा. विशाल टंडन का कहना है कि बदलते मौसम में कोविड 19 की संभावना भी दोगुना हो जाती है। इस मौसम में पहले से ही डेंगू, स्वाइन फ्लू की शिकायतें रहती हैं। यही नहीं अस्थमा के मरीजों को भी दिक्कते आती हैं। इस बार कोविड 19 के चलते बीमार होने और संक्रमण बढ़ने की आशंका अधिक है। उन्होंने कहा कि बेशक सरकार ने अब कई चीजें खाेल दी हैं लेकिन लोगों को मास्क पहनने के अलावा एक दूसरे से शारीरिक दूरी बनाए रखनी होगी। इसी से स्वस्थ रहा जा सकता है। डा. टंडन ने कहा कि अस्थमा के क्रोनिक मरीज तो अपनी देखभाल खुद करते हैं लेकिन नए मरीजों को बहुत परेशानी आती है। इस समय दिन का तापमान अधिक है और रात के तापमान में कमी आई है। इसमें भी अपने आप को बचाने की जरूरत है।

खानपान का रखें विशेष ध्यान: आयुर्वेद विशेषज्ञ डा. अशोक शर्मा का कहना है कि इस मौसम में अपने खानपान का विशेष ध्यान रखें। बच्चे और बुजुर्ग दोनों ही इस मौसम में सबसे अधिक प्रभावित होते हैंप्। ऐसे में जरा सी लापरवाही बच्चों और बुजुगों दोनों को बीमार बना देती है। अभी सुबह और शाम को मौसम में बदलाव देखने को मिल रहा है। आने वाले दिनों में तापमान और कम होगा लेकिन अभी दोपहर को मौसम गर्म ही रहता है। ऐसे में जरूरी है कि जब तापमान में और गिरावट दर्ज हो तो बच्चों और बुजुगों दोनों को गर्म कपड़े पहनाएं और शरीर को ढंक कर रखें। बच्चों को स्वस्थ आहार दें। दूध और फल जरूर दें। इससे बच्चा स्वस्थ रहेगा। सुबह और देर शाम ठंड से बच्चों का बचाव करें। यही नहीं उन्होंने कहा कि योग के नियमित अभ्यास से कई बीमारियों से बचा जा सकता है। प्राणायाम काफी मददगार साबित होता है। सब्जी का सूप ठंड और कम तापमान की स्थिति में सबसे अच्छा है। अदरक की चाय ठंड से बचाव में बेहद लाभदायक है। तुलसी के पत्ते, गरम मसाला चाय, नींबू और शहद भी ठंड से बचाव में मदद करता है।

इस मौसम में हो सकते हैं यह रोग

  • डाक्टरों का कहना है कि बदल रहे मौसम में जुकाम, सास की बीमारियों, फ्लू, निमोनिया, क्रॉनिक अस्थमा, क्रॉनिकऑब्सट्रक्टिव पु्रलमोनरी डिजीज (सीओपीडी) होने की आशंका सबसे अधिक रहती है। 

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