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Jammu Kashmir: विस्थापित कश्मीरी पंडितों का धरना 195वें दिन में दाखिल, मासिक राशि बढ़ाने की मांग

विस्थापित कश्मीरी पंडितों की मासिक राहत राशि में बढ़ोतरी की मांग कर कश्मीरी पंडितों ने मंगलवार दोपहर बाद जगटी में प्रदर्शन किया। केंद्र सरकार व जम्मू कश्मीर प्रशासन के खिलाफ नारे लगाए गए। कार्यकर्ताओं ने कहा कि विस्थापित कश्मीरी पंडितों का धरना 195वें दिन में प्रवेश कर चुका है।

By Vikas AbrolEdited By: Published: Tue, 13 Apr 2021 05:46 PM (IST)Updated: Tue, 13 Apr 2021 05:46 PM (IST)
Jammu Kashmir: विस्थापित कश्मीरी पंडितों का धरना 195वें दिन में दाखिल, मासिक राशि बढ़ाने की मांग
विस्थापित कश्मीरी पंडितों की मासिक राहत राशि में बढ़ोतरी की मांग कर कश्मीरी पंडितों ने जगटी में प्रदर्शन किया।

जम्मू, जागरण संवाददाता। विस्थापित कश्मीरी पंडितों की मासिक राहत राशि में बढ़ोतरी की मांग कर कश्मीरी पंडितों ने मंगलवार दोपहर बाद जगटी में प्रदर्शन किया। इस दौरान केंद्र सरकार व जम्मू कश्मीर प्रशासन के खिलाफ नारे लगाए गए। कार्यकर्ताओं ने कहा कि विस्थापित कश्मीरी पंडितों का धरना 195वें दिन में प्रवेश कर चुका है। लेकिन इसके बाद भी सरकार कोई सुनवाई नहीं कर रही।

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विस्थापित कश्मीरी पंडितों को उचित राहत राशि गुजारे के लिए चाहिए। कश्मीरी पंडितों ने कहा कि अगर उनकी मांगों को सम्मान नही मिला तो कश्मीरी पंडितों को अपने आंदोलन को सख्त करने पर मजबूर होना पड़ेगा। कश्मीरी पंडितों ने मांग की कि उनकी मासिक राहत रकम में बिना देरी किए बढ़ोतरी की जाए।

इस दौरान जगटी टेनिमेंट कमेटी के प्रधान शादी लाल पंडिता ने कहा कि वर्तमान समय में विस्थापित कश्मीरी पंडित परिवार महज 13 हजार रुपये मासिक राहत पा रहा है। लेकिन इस रकम से परिवार का गुजारा नहीं हो सकता। इसलिए हमारी मांग है कि इस रकम को बढ़ाकर 25 हजार रुपये किया जाए। यह मांग एकदम जायज है। सरकार को बार बार ज्ञापन देने के लिए भी कोई जवाब नहीं आया। ऐसा लगता है कि सरकार विस्थापित कश्मीरी पंडितों का भला नही करना चाहती।

आरके टिक्कू ने कहा कि विस्थापित लोगों की जिंदगी को बेहतर बनाने के लिए सरकार को काम करना चाहिए। बार बार सरकार से कहा गया है कि हर विस्थापित परिवार से एक व्यक्ति को सरकारी नौकरी दे दी जाए, इन लोगों का जीवन स्तर बेहतर हो जाएगा। इसलिए सरकार विस्थापित कश्मीरी पंडित परिवार के कम से कम एक सदस्य को नौकरी दे।


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