Kashmiri Pandits : जगटी में रह रहे विस्थापित कश्मीरी पंडित अब राज भवन के बाहर देंगे धरना
प्रधान शादी लाल पंडिता ने कहा कि 1990 में घाटी के हालात ऐसे बने कि कश्मीरी पंडितों को वहां से विस्थापित होना पड़ा। अब सरकार की जिम्मेदारी है कि कश्मीरी पंडितों की घाटी वापसी कराए। जब तक वापसी नही होती कश्मीरी पंडितों को सुविधाएं देने की जिम्मेदारी सरकार की है।
जम्मू, जागरण संवददाता : पिछले 400 दिनों से जगटी में संघर्ष कर रहे विस्थापित कश्मीरी पंडितों ने अब अपने आंदोलन को तेज करने का फैसला किया है। इसके चलते अब राज भवन के बाहर धरना प्रदर्शन किए जाने की तैयारी की गई है।
यह कश्मीरी पंडित मांग कर रहे हैं कि विस्थापित कश्मीरी पंडितों की मासिक राहत 13000 रुपये से बढ़ाकर 25000 रुपये की जाए। कार्यकर्ताओं ने कहा कि महंगाई काफी बढ़ चुकी है, ऐसे में विस्थापित कश्मीरी पंडितों का गुजारा नही हो रहा। ऐसे में इनकी मासिक राहत राशि में बढ़ोतरी होनी चाहिए।
शनिवार को विस्थापित कश्मीरी पंडितों ने जगटी में धरना दिया और अपनी आवाज को बुलंद किया। जगटी टेनेमेंट कमेटी के बैनर तले इन कार्यकर्ताओं ने कहा कि केंद्र सरकार कश्मीरी पंडितों की हिमायती बनती है लेकिन इन लोगों की दिक्कतों को दूर करने की दिशा में का म नही करती। पिछले चार सौ दिनों से यह विस्थापित लोग जगटी में धरने प्रदर्शन करके मासिक राहत में बढ़ोतरी की मांग कर रहे हैं, लेकिन सरकार गूंगी बनी हुई है। इन लोगों की बात ही नही सुनी जा रही।
प्रधान शादी लाल पंडिता ने कहा कि 1990 में घाटी के हालात ऐसे बने कि कश्मीरी पंडितों को वहां से विस्थापित होना पड़ा। अब सरकार की जिम्मेदारी है कि कश्मीरी पंडितों की घाटी वापसी कराए। जब तक वापसी नही होती कश्मीरी पंडितों को सुविधाएं देने की जिम्मेदारी सरकार की है। जो सरकार ने मासिक राहत राशि शुरू की थी, तब ठीक थी। मगर बाद में महंगाई बढ़ती गई और आज हालत यह है कि इस रकम से गुजारा नही हो पा रहा।
हम इसमें बढ़ोतरी चाहते हैं मगर सरकार हमारी मांगों की तरफ ध्यान नही दे रही। यही कारण है कि अब हमें राज भवन पर जाकर प्रदर्शन करने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। मौके पर राज कुमार टिक्कू ने कहा कि विस्थापित कश्मीरी पंडित के परिवार से एक व्यक्ति को सरकारी नौकरी दी जानी चाहिए।