डीजीपी दिलबाग बोले-कश्मीर में इंटरनेट का गलत हो रहा इस्तेमाल, वीपीएन एप से आकाआें से जुड़े हैं आतंकी
उन्होंने कहा कि इस साल वादी में हमारे सभी आतंकरोधी अभियान सफल रहे हैं। पहली जनवरी से बुधवार सुबह तक बीस आतंकी मारे गए हैं। आतंकरोधी अभियान आगे भी जारी रहेंगे।
श्रीनगर, राज्य ब्यूरो। केंद्र शासित जम्मू कश्मीर में मोबाइल इंटरनेट सेवा शुरू होते ही इसका दुरुपयोग शुरू हो गया है। वचरुअल प्राइवेट नेटवर्क यानी वीपीएन एप का इस्तेमाल कर आतंकी इंटरनेट के जरिये पाकिस्तान में बैठे अपने आकाओं से संपर्क में हैं। यह बात राज्य के पुलिस महानिदेशक दिलबाग सिंह ने भी स्वीकार की है।
दिलबाग सिंह ने कहा कि जम्मू कश्मीर में इंटरनेट सेवा के आंशिक रूप से बहाल होने के साथ ही आतंकियों और उनके समर्थकों ने इसका गलत इस्तेमाल भी शुरू कर दिया है। उन्होंने कहा कि कश्मीर में कुछ दिन पहले ही टूजी इंटरनेट सेवा बहाल की गई है। कुछ वेबसाइट को प्रतिबंधित किया गया है। इसके बावजूद अलगाववादी और आतंकी तत्व इंटरनेट का दुरुपयोग कर रहे हैं। 31 जनवरी को जम्मू के निकट बन टोल प्लाजा में पकड़े गए जैश-ए-मोहम्मद के ओवरग्राउंड वर्कर समीर अहमद डार का जिक्र करते हुए बताया कि जब ट्रक में छिपे तीन आतंकियों को सुरक्षाबलों ने मुठभेड़ में उलझा लिया था तो उस समय समीर ने एक फोटो खींची थी। उसने इस फोटो को वीपीएन का इस्तेमाल करते हुए पाकिस्तान में अपने हैंडलर को इंटरनेट के जरिए ही अपने स्मार्ट मोबाइल फोन से भेजा था। उसने अपने हैंडलरों को बताया कि वह पकड़े गए हैं। उसने एक आइईडी की तस्वीर भी कथित तौर पर पार भेजी थी। समीर अपने दो साथियों संग पकड़ा गया है जबकि उसके साथ ट्रक में सवार जैश के तीन आतंकी मारे गए थे।
मिलकर साजिश रच रहे आतंकी संगठन : लावेपोरा मुठभेड़ पर डीजीपी ने कहा कि खतीब का संबंध आइएसजेके से था। अन्य दो आतंकी लश्कर व हिज्ब से जुड़े थे। इन तीनों आतंकियों का एक साथ होना बताता है कि इस समय सभी आतंकी संगठन मिलकर साजिश रच रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस साल वादी में हमारे सभी आतंकरोधी अभियान सफल रहे हैं। पहली जनवरी से बुधवार सुबह तक बीस आतंकी मारे गए हैं। आतंकरोधी अभियान आगे भी जारी रहेंगे।
इस साल गर्मी में शांत रहेगा कश्मीर : दिलबाग सिंह ने कहा कि आतंकी हमेशा हालात बिगाड़ने का प्रयास करते हैं। आतंकी कुछ भी करें, उनके मंसूबों को कामयाब नहीं होने दिया जाएगा। हमें पूरी उम्मीद है कि जनता के सहयोग आैर जिस तेजी के साथ आतंकी मारे जा रहे हैं, इस साल गर्मी के मौसम में कश्मीर शांत रहेगा।
आइएसजेके के पहले कमांडर मुगीस का रिश्तेदार था खतीब
दक्षिण कश्मीर में दासपोरा बगामा (बिजबिहाड़ा) का 30 वर्षीय खतीब अहमद दास पर तीन लाख का ईनाम था। वह 23 जनवरी 2019 को ही आतंकी बना था। वह अंसार गजवातुल हिंदू की नींव रखने वाले जाकिर मूसा के करीबी मुगीस अहमद का करीबी रिश्तेदार था। मुगीस ने बाद मे ईसा फाजली के साथ मिलकर जम्मू कश्मीर में आइएसजेके की नींव रखी थी। मुगीस 17 नवंबर 2017 को श्रीनगर के बाहरी क्षेत्र जकूरा में हुई मुठभेड़ में मारा गया था। इसमें एक पुलिस इंस्पेक्टर शहीद व एक एसपीओ जख्मी हो गया था। कश्मीर में मारा जाने वाला मुगीस इस्लामिक स्टेट ऑफ जम्मू कश्मीर (आइएसजेके) का पहला आतंकी था। पुलिस को उसकी मौत की भनक तब लगी जब उसकी मां उसके शव को जकूरा से उठाकर परिंपोरा घर ले गइ थी।
कांग्रेस नेता के घर हथियार लूटे थे जिया ने
जिया उर रहमान वानी आरथ बड़गाम का 31 दिसंबर 2018 का आतंककी बना था। उस पर भी तीन लाख का ईनाम था। शुरू में वह लश्कर से जुड़ा था और करीब छह माह पहले वह आइएसजेके का हिस्सा बन गया। वह बडगाम, पुलवामा और श्रीनगर के बाहरी हिस्सों में सुरक्षाबलों पर हमलों, सुरक्षा चौकियों पर हमले व हथियार लूट की विभिन्न वारदातों में और दो नागरिक हत्याओं में शामिल था। आतंकी बनने से पहले भी वह लश्कर और जैश के लिए बतौर ओवरग्राउंड वर्कर सक्रिय रहा था। वह पत्थरबाजी के विभिन्न मामलों में पकड़ा जा चुका है। उसने ही अपने साथियों संग मिलकर श्रीनगर के जवाहरनगर इलाके में स्थित कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व एमएलसी मुजफ्फर र्पे के घर पर तैनात सुरक्षाकर्मियों के हथियार लूटे थे।