जहां पहले होती थी मस्ती, वहां सुनाई दे रही थीं करुणामयी चीत्कारें
आनंदमयी और मौजमस्ती का माहौल हादसे के फौरन बाद अफरा-तफरी में बदल गया। हर कोई अपनों और दूसरों की मदद के लिए दौड़ पड़ा।
रियासी, राजेश डोगरा। एक तरफ चिनाब दरिया तो तीन तरफ ऊंचे पहाड़ों से घिरा प्राकृतिक सौंदर्य समेटे सियाड़ बाबा का स्थान। रियासी जिला मुख्यालय से छह किमी दूर प्रसिद्ध धार्मिक व पर्यटनस्थल में रविवार को उंचाई से गिरने वाले झरने का दूधिया पानी रविवार को मृतकों और घायलों के खून से लाल हो उठा।
जिस स्थान पर अक्सर लोग श्रद्धा में डूबे शांत भाव या फिर मस्ती के रंग में हंसी ठिठोली करते नजर आते थे वहां दोपहर बाद करुणामयी चीत्कारें सुनाई दे रही थी। हादसे के बाद घायल हुए लोगों और मारे गए लोगों के परिजनों का रुदन ऐसा था कि फरिश्तों की भी रूह कांप जाती। हादसे से पहले झरने के नीचे नहाने वाले स्थान पर कई लोग नहाने का आनंद और पानी में अठखेलियां कर रहे थे। कुछ लोग मोबाइल फोन पर उस दृश्य को कैद करने में लगे हुए थे। इसी दौरान पहाड़ से हुए भूस्खलन से पलभर में ही पूरा दृश्य बदल गया।
आनंदमयी और मौजमस्ती का माहौल हादसे के फौरन बाद अफरा-तफरी में बदल गया। हर कोई अपनों और दूसरों की मदद के लिए दौड़ पड़ा। लोगों के खून से सियाड़ बाबा का लाल हुआ पानी माहौल को और भी भयावय बना रहा था। हंसी खुशी का माहौल चीत्कार मदद की पुकार और रुदन में बदल गया।
हालात के मद्देनजर स्थानीय लोगों द्वारा घायलों को अपने वाहनों की सीटों पर तो कुछ को नीचे लिटा कर जब अस्पताल पहुंचाया गया तो अस्पताल का मंजर भी दिल को दहलाने वाला था इलाज के लिए गुहार लगाते यहां वहां पड़े घायल और मारे गए लोगों के परिजनों का विलाप हर किसी की आंख नम कर गया। कुछ देर के लिए तो माहौल ऐसा हो गया था कि किसी को समझ ही नहीं आ रहा था कि आखिरकार हुआ क्या है।
हादसे में घायलों की मदद को आगे आए युवा
हादसे में घायल लोगों की मदद के लिए कटड़ा के युवाओं ने हाथ बढ़ाया। श्राइन बोर्ड के नारायण अस्पताल में इलाज करवा रहे लोगों की मदद के लिए कटड़ा के युवाओं ने रक्तदान किया ताकि अनमोल जिंदगी बच सके। कटड़ा कांग्रेस यूथ के प्रधान वरुण मगोत्रा के नेतृत्व में कटरा के युवाओं ने 15 यूनिट रक्तदान किया। रक्तदान करने वालों में कुलदीप कुमार, मानव सदोत्रा, बबलू, विक्रम, आत्म सिंह, अर्जुन अरोड़ा, अशोक कुमार, सन्नी जामवाल तथा बनिहाल के सज्जाद अहमद ने भी रक्तदान किया ।
राज्य में कब-कब हुआ जानमाल का नुकसान
जम्मू कश्मीर में बरसात में भूस्खलन से जानमाल का भारी नुकसान होता है। दूरदराज इलाकों के साथ श्री माता वैष्णो देवी और श्री बाबा अमरनाथ यात्रा मार्गों पर भूस्खलन से मौतें हो रही हैं। इसी महीने बाबा अमरनाथ यात्रा के बालटाल मार्ग पर भूस्खलन से पांच यात्रियों की मौत हो गई थी।
माता वैष्णो देवी मार्ग पर भी मौतें होती हैं। पिछले वर्ष केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल का एक जवान यात्रियों को बचाते समय भूस्खलन की चपेट में आने से शहीद हो गया था। चार साल पहले बरसात के मौसम में ऊधमपुर जिले के सद्दल गांव में भूस्खलन में दब जाने से 40 लोगों की मौत हो गई थी। आज भी सद्दल गांवों के प्रभावित परिवारों के पुनर्वास का अभियान जारी है।
यह गांव प्रधानमंत्री कार्यालय के राज्यमंत्री डॉ. जितेंद्र्र सिंह के ऊधमपुर-डोडा संसदीय क्षेत्र का हिस्सा है। वर्ष 2010 में लेह में बादल फटने से हुए भूस्खलन ने जिले की बुनियाद हिला दी थी। कई घर और वाहन मलबे में दब गए थे। इस दौरान करीब 255 लोग मारे गए थे। इनमें छह विदेशी पर्यटक और जिले में काम करने वाले अन्य राज्यों के कई प्रवासी मजदूर भी शामिल थे।