नए जम्मू कश्मीर में नहीं बच पाएंगे अपराधी, जांच तंत्र को मजबूत बनाने को उठाए गए ये कदम!
जम्मू कश्मीर एफएसएल की श्रीनगर व जम्मू स्थित दो प्रयोगशालाएं हैं। मौजूदा समय में एफएसएल हर साल औसतन 4100 केसों की जांच करती है।
जम्मू, राज्य ब्यूरो। अब नए जम्मू कश्मीर में अपराधी बच नहीं पाएंगे। केंद्र शासित प्रदेश बनने जा रहे जम्मू कश्मीर में अपराधों पर अंकुश लगाने के लिए राज्य प्रशासनिक परिषद (एसएसी) ने जम्मू कश्मीर फारेंसिक साइंस लेबोरेटरी जेएंडके (एफएसएल) के पुनर्गठन को मंजूरी प्रदान कर दी है। इसके साथ ही एफएसएल जम्मू और एफएसएल श्रीनगर की मौजूदा चार डिवीजनों का भी आपस में विलय करने के साथ ही लेह-करगिल समेत राज्य के सभी 22 जिलों के लिए मोबाइल फारेंसिक यूनिट भी मंजूर किए गए हैं। इसके अलावा 28 पदों के साथ लाई डिटेक्शन यूनिट को समाप्त कर दिया गया है, लेकिन 154 नए पद भी मंजूर किए गए हैं।
31 अक्तूबर को जम्मू कश्मीर दो केंद्र शासित राज्यों जम्मू कश्मीर व लद्दाख के रूप में पुनर्गठित हो जाएगा। राज्यपाल सत्यपाल मलिक की अध्यक्षता में गत दिनों हुई राज्य प्रशासनिक परिषद की बैठक में ही जम्मू कश्मीर फारेंसिक साइंस लेबोरेटरी को सुदृढ़ व अत्याधुनिक बनाने के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई है।
संबंधित अधिकारियों ने बतया कि एसएसी द्वारा लिए गए फैसले के मुताबिक, एफएसएल जम्मू और एफएसएल श्रीनगर की मौजूदा चार डिवीजनों का आपस में विलय किया गया है। विलय के बाद नारकोटिक्स, कैमिस्ट्री एंड टाक्सिकोलॉजी डिवीजन को नारकोटिक्स, कैमिकल डिवीजन बनाया गया है, जबकि बायोलाजी, सिरोलाजी व डीएनए डिवीजन को विलय के बाद बायोलाजी सिरोलाजी डिवीजन का नाम दिया गया है। फिजिक्स एंड बैलेस्टिक डिवीजन को फिजिक्ल डिवीजन और साइबर एंड डाक्यूमेंट्स डिवीजन को टैक्नीकल डिवीजन बनाया गया है। डीएनए डिवीजन को बायोलाजी सिरोलाजी डिवीजन श्रीनगर का हिस्सा बनाया गया है।
हर साल 4100 केसों की जांच : जम्मू कश्मीर एफएसएल की श्रीनगर व जम्मू स्थित दो प्रयोगशालाएं हैं। मौजूदा समय में एफएसएल हर साल औसतन 4100 केसों की जांच करती है। अत्याधुनिक तकनीक और अपराधों की प्रकृतिक में आते बदलाव से एफएसएल के विशेषज्ञों के लिए भी चुनौतियां लगातार बढ़ती जा रही हैं। इसलिए एफएसएल को वायस आइडेंटिफिकेशन, वीडियो अथेंटिकेशन, डीएनए प्रोफाइङ्क्षलग, कंप्यूटर और साइबर फारेंङ्क्षसक में विशेषज्ञ व संबंधित सुविधाओं के साथ नयी फारेंङ्क्षसग डिवीजन की जरूरत है।
पुनर्गठन के बाद यह होगा लाभ :
- एफएसएल में आवश्यक सुविधाओं और मानवश्रम की उपलब्धता से अदालतों में विचाराधीन विभिन्न मामलों की शीघ्र और समयबद्ध सुनवाई को सुनिश्चित बनाने में मदद मिलेगी।
- राज्य की जांच एजेंसियों को जम्मू कश्मीर के बाहर की एफएसएल पर निर्भरता भी काफी हद तक समाप्त होती।
इन 88 पदों पर होगी भर्ती : संबंधित अधिकारियों ने बताया कि एसएसी ने 88 विभिन्न वर्गों में अतिरिक्त पदों के सृजन को भी मंजूरी दी है। इनमें उप निदेशक के दो, साइंटिफिक अधिकारियों के आठ, असिस्टेंट साइंटिफिक अधिकारियों के 12 पदों के अलावा प्रशासकीय अधिकारी, निजी सचिव, लेखाधिकारी, सह लेखाधिकारी, सेक्शन आफिसर, एकाउंटस असिस्टेंट व हेड असिस्टेंट के एक-एक पद शामिल हैं। इसके अलावा सीनियर असिस्टेंट के दो, लैब टेक्निशियन के 22, जूनियर असिस्टेंट के तीन, लैब असिस्टेंट के चार, लैब अटेंडेंट के 22, अर्दली के पांच और चौकीदार का एक पद शामिल है। एसएसी ने उपिनदेशक के मौजूदा चार पदों के रि-डेजिग्नेशन को भी मंजूरी देने के साथ राज्य के सभी 22 जिलों में एक लैब टेक्निशियन और एक लैब अटेंडेंट के साथ एक-एक मोबाइल फारेंसिंक यूनिट भी प्रदान करने का फैसला किया है।
इन 66 पदों पर होगी भर्ती : एसएसी ने एफएसएल में हेडकांस्टेबल, सिलेक्शन ग्रेड कांस्टेबल और कांस्टेबल के 22-22 पदों के साथ कुल 66 पदों को, पुलिस संगठन में इनके बराबर पदों को घटाते हुए मंजूरी दी है। इसके अलावा विभिन्न वर्गों में 28 पदों के साथ लाई डिटेक्शन डिवीजन को भी समाप्त किया गया है। एफएसएल में कार्यरत अधिकारियों व कर्मियों की वरिष्ठता के विवाद को हल करने के लिए एसएसी ने अलग-अलग तिथियों के आधार पर साइंटिफिक आफिसर के चार सुपरन्यूमरेरी पदों को मंजूरी देने के साथ ही 15 असिस्टेंट साईंटिफिक आफिसरों को 10 अक्तूबर 2012 से बतौर साइंटिफक अधिकारी और आठ साइंटिफिक अधिकारियों को 11 जून 2019 से बतौर उप निदेशक पदोन्नत किया है।