Amarnath Yatra 2022: श्री अमरनाथ की पवित्र छड़ी मुबारक शेषनाग से पंचतरणी पहुंची, कल अमरनाथ की वार्षिक यात्रा होगी संपन्न
शुक्रवार की सुबह साढ़े छह बजे के करीब छड़ी मुबारक महंत दीपेंद्र गिरी के संरक्षण में पवित्र गुफा में प्रवेश करेगी। पवित्र छड़ी मु़बारक को पवित्र गुफा में उस जगह स्थापित किया जाएगाजहां हिमलिंग स्वरूप में भगवान शिव विराजमान होते हैं।
श्रीनगर, राज्य ब्यूरो। शिव-शक्ति का प्रतीक स्वामी श्री अमरनाथ की पवित्र छड़ी मुबारक बृहस्पतिवार को शेषनाग झील से पंचतरणी पहुंची। शुक्रवार की सुबह छड़ी मुबारक श्री अमरेश्वर धाम में हिमलिंग स्वरुप भगवान शंकर की मुख्य पूजा और मुख्य दर्शन होगा। श्री अमरेश्वर धाम में सभी धार्मिक अनुष्ठान संपन्न कर, पवित्र छड़ी मुबारक पहलगाम लौटेगी और इसके साथ वर्ष 2022 की श्री अमरनाथ की वार्षिक तीर्थयात्रा भी संपन्न मानी जाएगी। इस वर्ष पवित्र गुफा की वार्षिक तीर्थयात्रा में करीब 3.10 लाख श्रद्धालु तीर्थयात्रा कर चुके हैं।
शुक्रवार की सुबह साढ़े छह बजे के करीब छड़ी मुबारक महंत दीपेंद्र गिरि के संरक्षण में पवित्र गुफा में प्रवेश करेगी। पवित्र छड़ी मु़बारक को पवित्र गुफा में उस जगह स्थापित किया जाएगा,जहां हिमलिंग स्वरूप में भगवान शिव विराजमान होते हैं। इसके बाद भगवान शंकर की वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ पूजा व आरती होगी। इसके साथ ही मुख्यदर्शन का विधान होगा। पवित्र छड़ी मुबारक के वापस प्रस्थान करने के साथ ही पवित्र गुफा आम श्रद्धालुओं के लिए भी बंद हो जाएगी।
समुद्रतल से करीब 3888 मीटर की ऊंचाई पर स्थित श्री अमरेश्वर धाम की पवित्र गुफा में भगवान शंकर ने मां पार्वती को अमरत्व की कथा सुनाई थी। धार्मिक और पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक, श्रावण पूर्णिमा रक्षाबंधन के दिन ही पवित्र गुफा में पवित्र छड़ी मुबारक के आगमन पर मुख्य दर्शन और पूजा का विधान है। दशनामी अखाड़ा के महंत दीपेंद्र गिरी स्वामी श्री अमरनाथ की पवित्र छड़ी मुबारक के संरक्षक हैं और वही पवित्र छड़ी मुबारक का श्री अमरेश्वर धाम में ले जाकर जाते हैं। श्री अमरेश्वर धाम को ही श्री अमरनाथ की गुफा और बाबा बर्फानी की गुफा पुकारा जाता है,क्योंकि भगवान शंकर यहां हिमलिंग स्वरूप में मां पार्वती संग विराजमान होते हैं।
पवित्र छड़ी मुबारक बुधवार की दोपहर को ही चंदनबाड़ी से शेषनाग झील पहुंची थी। शेषनाग झील किनारे पूजा व अन्य धार्मिक अनुष्ठान संपन्न् करने के बाद पवित्र छड़ी मुबारक ने रात्रि विश्राम भी वहीं किया। आज सुबह महंत दीपेंद्र गिरि के संरक्षण में पवित्र छड़ी मुबारक शेषनाग झील से पंचतरणी के लिए रवाना हुई। दोपहर को पवित्र छड़ी मुबारक पंचतरणी पहुंची। महंत दीपेंद्र गिरि ने पंचतरणी में पूजा करते हुए तीर्थयात्रा से जुड़े सभी धार्मिक अनुष्ठान संपन्न किए। रात्रि विश्राम पंचतरणी में ही होगा और शुक्रवार की तड़के पवित्र छड़ी मुबारक पंचतरणी से पवित्र गुफा के लिए रवाना होगा।
पवित्र छड़ी मुबारक का महत्व
एक किवदंती है कि कश्मीर घाटी पहले एक बहुत बड़ी झील थी। ऋषि कश्यप ने जब नदियों और जलधाराओं के जरिए कश्मीर घाटी में सतीसर झील को समाप्त किया तो उसके बाद भृंगी ऋषि उनसे मिलने आए। उन्होंने श्री अमरेश्वर गुफा की सबसे पहले तीर्थयात्रा की और अपने शिष्यों व लोगों को इसके माहात्म्य से अवगत कराया। इसका उल्लेख भृंगी संहिता में भी है। अमरनाथ की गुफा में विराजमान हिमलिंग स्वरूप में विराजमान भगवान शंकर के दर्शन के लिए तीर्थयात्री आने लगे। मार्ग में कई बार उन्हें राक्षस प्रताडि़त करते। तीर्थयात्रियों ने अपनी व्यथा ऋषि भृंगिशी को बताई। भृंगिशी ने भगवान शिव की स्तुति की। भगवान शिव ने प्रकट होकर उन्हें अपना राजदंड (छड़ी) प्रदान किया, यह छड़ी तीर्थयात्रा के दौरान श्रद्धालुओं की राक्षसों से रक्षा करती है। इसी पवित्र छड़ी को कालांतर में ''''छड़ी मुबारक'''' कहा जाने लगा। पवित्र छड़ी मुबारक में एक नहीं दो छटिकाएं होती हैं जो चांदी से निर्मित हैं। इन्हें शिव-शक्ति का प्रतीक माना जाता है। मान्यताओं के मुताबिक, पवित्र छड़ी मुबारक संग ही श्री अमरेश्वर धाम की तीर्थयात्रा का पुण्य लाभ मिलता है। पवित्र छड़ी मुबारक के प्रवेश के समय ही पवित्र गुफा में मुख्य दर्शन और पूजा का विधान है।