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भारत-पाक अंतरराष्ट्रीय सीमा पर लगे चमलियाल मेले में देश भर से पहुंच रहे श्रद्धालु Jammu News

मेले में देश के विभिन्न भागों से हजारों की संख्या में लोग हर साल माथा टैकने के लिए आते हैं। वीरवार को गर्मी के बावजूद बड़ी संख्या में लोग सुबह सवेरे ही दरगाह पर माथा टैकने पहुंचे।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Thu, 27 Jun 2019 02:44 PM (IST)Updated: Thu, 27 Jun 2019 03:48 PM (IST)
भारत-पाक अंतरराष्ट्रीय सीमा पर लगे चमलियाल मेले में देश भर से पहुंच रहे श्रद्धालु Jammu News
भारत-पाक अंतरराष्ट्रीय सीमा पर लगे चमलियाल मेले में देश भर से पहुंच रहे श्रद्धालु Jammu News

सांबा, जेएनएन। भारत-पाक अंतरराष्ट्रीय सीमा के दोनों ओर बाबा चमलियाल की मजार पर वीरवार को मेला आयोजित हुआ। हालांकि लगातार दूसरे साल भी पाकिस्तान की ओर से रेंजर दरगाह पर चादर चढ़ाने नहीं आए। बावजूद इसके दरगाह पर हजारों की संख्या में लोग माथा टेक आशीर्वाद लेने आए हुए हैं। यह दरगाह जम्मू से 50 किलोमीटर दूर जिला सांबा में अंतरराष्ट्रीय सीमा पर बिलकुल साथ स्थित है। करीब 200 साल पुरानी बाबा दलीप सिंह मन्हास की इस जियारत से लोग पहले की ही तरह, शक्कर कही जाने वाली मिट्टी और शरबत कहे जाने वाले पानी को लेने के लिए पहुंच रहे हैं। लोगों का मानना है कि इसे लगाने से सारे चर्मरोग दूर हो जाते हैं। 

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इस मेले में देश के विभिन्न भागों से हजारों की संख्या में लोग हर साल माथा टेकने के लिए आते हैं। वीरवार को गर्मी के बावजूद बड़ी संख्या में लोग सुबह सवेरे ही दरगाह पर माथा टेकने पहुंचने लगे थे। मेला प्रबंधन कमेटी ने भी लोगों के लिए हर प्रकार के प्रबंध किए हुए हैं। मेला सीमा के दोनों ओर लगता है। यह लगातार दूसरी बार है जब पाकिस्तान से बाबा की जियारत के लिए चादर नहीं भेजी गई। दरगाह प्रबंधन कमेटी का कहना है कि पिछले साल मेले से कुछ दिन पहले पाकिस्तान ने चमलियाल सीमा चौकी पर संघर्ष विराम का उल्लंघन करते हुए अचानक गोलीबारी की जिसमें बीएसएफ के जवान शहीद हो गए और कुछ घायल भी हो गए। 

वर्ष 2018 में सीमा पर बिगड़े हालातों को देखते हुए मेले का आयोजन रद्द कर दिया गया था। आजादी के बाद यह पहला मौका था जब दरगाह पर माथा टेकने के लिए न तो इस ओर और न ही उस ओर किसी श्रद्धालु को इजाजत दी गई। इस साल स्थिति में सुधार था। बीएसएफ ने आम जनता को तो दरगाह पर आने की अनुमति दी परंतु पाकिस्तान रेंजरों द्वारा इस बार भी चादर चढ़ाने की पेशकश न किए जाने के कारण उन्हें मेले में आमंत्रित नहीं किया गया। सुबह तड़के ही बीएसएफ अधिकारियों ने बाबा की दरगाह पर चादर चढ़ाकर मेले की शुरूआत कर दी। सुबह से शुरू हुआ मेले में श्रद्धालुओं का आना अभी भी लगातार जारी है। 

इस बार बाबा की दरगाह से शक्कर और शरबत पाकिस्तान श्रद्धालुओं के लिए भी नहीं भेजे गए। जिस कुएं का पानी सीमा पार भेजा जाता है उसमें गंधक की मात्रा बहुत अधिक है। इसी प्रकार उस विशेष स्थान की जो मिट्टी है, जिसे भी पाकिस्तान भेजा जाता है, उसमें कुछ ऐसे रासायनिक तत्व पाए जाते हैं जो चर्म रोगों के उपचार में सहायक होते हैं। इसलिए इस पानी तथा मिट्टी का लेप बना चर्म रोगी शरीर पर लगा चर्म रोगों से मुक्ति पाते हैं। सारा वर्ष इस ओर के लोग चर्म रोगों से मुक्ति पाने के लिए इस कुएं के पानी तथा विशेष रासायनिक तत्वों से युक्त मिट्टी का लेप लगाने आते रहते हैं मगर सीमा पार के लोगों को वर्ष के दौरान एक ही दिन यह सब मिल पाता है। यही कारण है कि सीमा के उस पार बनाए गए स्थानों पर लोग वर्ष भर के लिए पानी तथा मिट्टी को एकत्र करके रख लेते हैं।

बाबा दिलीप सिंह समाधि की कथा 

जीरो लाइन पर स्थित चमलियाल सीमांत चौकी पर जो मजार है वह बाबा दीलिप सिंह मन्हास की समाधि है। इसके बारे में प्रचलित है कि उनके एक शिष्य को एक बार चम्बल नामक चर्म हो गया था। बाबा ने उसे इस स्थान पर स्थित एक विशेष कुएं से पानी तथा मिट्टी का लेप शरीर पर लगाने को दिया था। उसके प्रयोग से शिष्य ने रोग से मुक्ति पा ली। इसके बाद बाबा की प्रसिद्धि बढ़ने लगी तो गांव के किसी व्यक्ति ने उनका गला काट कर उनकी हत्या कर डाली। बाद में उनकी हत्या वाले स्थान पर उनकी समाधि बनाई गई।


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