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Jammu Kashmir: बेग, डॉ शेरिंग को पद्म भूषण; निर्माेही, टॉक व शिवांग को पद्मश्री

लद्दाख में व्यपार और उद्योग के क्षेत्र में सराहनीय योगदान देने के लिए शिवांग मोटूप गोबा को पद्मश्री से सम्मानित किया है। वहीं डॉ. शेरिंग लंडोल लद्दाख की स्त्री रोग विशेषज्ञ हैं।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Sun, 26 Jan 2020 11:09 AM (IST)Updated: Sun, 26 Jan 2020 11:40 AM (IST)
Jammu Kashmir: बेग, डॉ शेरिंग को पद्म भूषण; निर्माेही, टॉक व शिवांग को पद्मश्री

जम्मू, जागरण संवाददाता : केंद्र सरकार ने केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर और लद्दाख की पांच हस्तियों को गणतंत्र दिवस पर पद्म भूषण और पद्मश्री से सम्मानित किया है। जम्मू-कश्मीर के पूर्व उप मुख्यमंत्री और पीडीपी के वरिष्ठ नेता मुजफ्फर हुसैन बेग को जन मामलों के लिए, लद्दाख की डॉ. शेरिंग लंडोल को मेडिसन के क्षेत्र में सराहनीय योगदान देने के लिए पद्म भूषण से सम्मानित किया गया है। देश में 16 लोगों को पद्म भूषण देने की घोषणा की गई है।

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बेग जम्मू-कश्मीर में कई अहम जिम्मेदारियां संभाल चुके हैं। 2005 में जब गुलाम नबी आजाद जम्मू मुख्यमंत्री थे, तो वह उप मुख्यमंत्री रहे। बेग वित्त मंत्री के अलावा एडवोकेट जनरल के अलावा कई महत्वपूर्ण पदों पर रह चुके हैं। सरकार ने जिला ऊधमपुर के वरिष्ठ साहित्यकार शिव निर्मोही को शिक्षा और साहित्य के क्षेत्र में पद्मश्री से सम्मानित किया है। इसके अलावा समाजिक कार्यो के लिए कश्मीर के जावेद अहमद टॉक को पदमश्री से नवाजा है।

लद्दाख में व्यपार और उद्योग के क्षेत्र में सराहनीय योगदान देने के लिए शिवांग मोटूप गोबा को पद्मश्री से सम्मानित किया है। वहीं डॉ. शेरिंग लंडोल लद्दाख की स्त्री रोग विशेषज्ञ हैं। साल 2006 में उन्हें सरकार ने पद्मश्री अवार्ड दिया था। वह यह पुरस्कार प्राप्त करने वाली लद्दाख की पहली महिला डाक्टर हैं। डॉ. शेरिंग लेह के जाने-माने सोनम नारबू मेमोरियल गवर्नमेंट अस्पताल में अपनी सेवाएं दे चुकी हैं।

बेग का लोकतंत्र की मजबूती में रहा अहम योगदान

पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी के संरक्षक और जम्मू कश्मीर के पूर्व उपमुख्यमंत्री मुजफ्फर हुसैन बेग को पदमभूषण सम्मान प्रदान किया गया है। उन्हें यह सम्मान जन मामलों में, आम लोगों के सामाजिक-राजनीतिक अधिकारों को सुनिश्चित बनाने, लोकतंत्र को मजबूत बनाने व कानून सेवा के क्षेत्र में उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए प्रदान किया गया है। उत्तरी कश्मीर के वाडिना बारामुला गांव में 1946 में पैदा हुए मुजफ्फर हुसैन बेग ने हार्वड लॉ स्कूल से कानून की पढ़ाई की और उसके बाद वह संयुक्त राज्य अमरीका और भारत की नामी कंपनियो के लिए कानूनी सलाहकार भी रहे। सर्वाेच्च न्यायालय में भी उन्होंने एक लंबे समय तक प्रैक्टिस की है। वर्ष 1987 से 1989 तक जम्मू कश्मीर के महाधिवक्ता पद पर रह चुके बेग ने अपना राजनीतिक सफर पीपुल्स कांफ्रेंस के साथ 1996 में शुरु किया था। वर्ष 2002 में उन्होंने पीपुल्स कांफ्रेंस को छोड़ पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की स्थापना मं अहम भूमिका निभायी। वह वर्ष 2002 में बारामुला से जम्मू कश्मीर विधानसभा के लिए विधायक चुने गए। वह पूर्वमुख्यमंत्री स्व मुफती मोहम्मद सईद के नेतृत्व वाली पीडीपी-कांग्रेस गठबंधन सरकार में पहले वित्तमंत्री और कानून मंत्री रहे । इसके बाद गुलाम नबी आजाद के नेतृतव वाली पीडीपी-गठबंधन सरकार में उन्होंने उपमुख्यमंत्री का कार्यभार संभाला था। वर्ष 2014 में वह उत्तरी कश्मीर की बारामुला संसदीय सीट से बतौर सांसद चुने गए थे।

जावेद अहमद टाक ने दिव्यांगों को दी नइ राह

पदमश्री पुरस्कार से सम्मानित किए जा रहे जावदे अहमद टाक ने कहा कि यह सब खुदा की मेहरबानी है। मैने तो यह भी कभी नहीं सोचा था कि मैं अपने बिस्तर से उठ पाऊंगा। खैर, जो हुआ, सो हुआ। जम्मू कश्मीर में दिव्यांगों की आवाज बन चुके जावेद अहमद टाक ने कहा कि मुझे पदमश्री का सम्मान ,उन लोगों का सम्मान और प्रोत्साहण है जो किन्हीं कारणों से दिव्यांग हो,जिंदगी में आगे बढ़ना चाहते हैं। चेन्नई से दैनिक जागरण के साथ टेलीफोन पर बातचीत में जावेद अहमद टाक ने कहा कि यह सम्मान पूरे जम्मू कश्मीर के लोगों के लिए है। यह मेरे मां-बाप और मेरे उन साथियों की मेहनत का नतीजा है, जिन्होंने मेरे मुश्किल वक्त में मेरा साथ दिया है। कश्मीर घाटी में दिव्यांग बच्चों के लिए जेबा आपा इंस्टीच्यूट और हयूमैनिटी वेल्फेयर आर्गेनेाईजेशन हैल्पलाईन के संस्थापक जावेद अहमद ने कहा कि मुझे गुस्सा उस समय आता है जब लोग अपने दिव्यांग बच्चों को लेकर मायूस हो जाते हैं, उनकी पढुाई लिखाई से कतराते हैं। मैं उन्हें समझाता हूं।

आतंकियों की गोली से हमेशा के लिए दिव्यांग हुए जावेद अहमद टाक ने कहा कि 21 मार्च 1997 की वह घटना है जब आतंकियों ने मुझे गोली मारी थी। बीजबेहाड़ा के रहने वाले जावेद उस समय अपनी बीमार मौसी की तीमारदारी में लगे हुए थे। आतंकियों की गोली लगने क बाद जब मैने आंख खोली तो अस्पताल में थे। मुझे संभलने में बहुत वक्त लगा। मैं हमेशा के लिए चलने से मजबूर हो गया था। मैं घर में बिस्तर पर लेटा रहता था। फिर मैंनं एक दिन अपने पड़ौस के कुछ बच्चों को पढ़ने के लिए बुलाया। मैने उन्हें पढ़ाना शुरु किया और कुछ ही दिनों में बच्चों की संख्या बड़ गई। मैने भी अपनी पढ़ाइ्र शुरु की। बीएड किया, एम ए किया, कंप्यूटर कोर्स भी किया। मैने यहां दिव्यांगों के लिए सार्वजनिक स्थलों और कार्यालयों में विशेष सुविधाओं का प्रावधान यकीनी बनाने का प्रयास किया है। आज हमारे संस्थान में दिव्यांग बच्चों काे उनकी सहूलियत के मुताबिक हर प्रकार की शिक्षा दी जाती है। हम नेत्रहीन बच्चें को भी पढ़ाते हैं।

वरिष्ठ साहित्यकार निर्मोही को पद्मश्री

साहित्य व शिक्षा के क्षेत्र में सराहनीय सेवाओं के लिए पद्मश्री सम्मान मिलने पर वरिष्ठ साहित्यकार शिव निर्मोही ने कहा कि शायद कहानियां और कविताएं लिखने पर ही पद्मश्री मिलता होगा। जिस दिशा में वह काम कर रहे है, उसमें शायद यह सम्मान मिलता ही नहीं होगा। लेकिन आज जब पद्मश्री सम्मान मिला है तो एक सपना साकार हो गया है। इससे पहले कई सम्मान मिल चुके हैं लेकिन आज मेरी कलम और काम करने के जज्बे को जो सम्मान मिला है उसने आगे और कड़ी मेहनत करने के लिए प्रेरित किया है। साहित्याकार निर्मोही की लोक संस्कृति, साहित्य, देवी देवताओं और ऐतिहासिक तथ्यों को खंगालती 35 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। जिनमें नौ पुस्तकें लोक संस्कृति पर हैं। पांच पुस्तकें लोक साहित्य, छह पुस्तकें लोक संस्कृति पर हैं। डुग्गर का लोक साहित्य, डुग्गर दी लोक गाथाएं के लिए जम्मू-कश्मीर कला संस्कृति एवं भाषा अकादमी दो बार सर्वश्रेष्ठ पुस्तक सम्मान से सम्मानित हो चुके हैं। इसके अलावा कई साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संगठन भी उन्हें सम्मानित कर चुके हैं।


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