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जेल जाने के लिए चोर ने जानबूझ कर जज के घर में की चोरी, बिल्डर से बचना चाहता है चोर

नाटक में बताया गया एक चोर जज के घर में चोरी करने के इरादे से घुसता है और वहां बड़े ही नाटकीय अंदाज में वहं एक पत्रकार की हत्या के मामला सुलझ जाता है जिसका चश्मदीद चोर होता है।

By Lokesh Chandra MishraEdited By: Published: Mon, 10 Jan 2022 06:34 PM (IST)Updated: Mon, 10 Jan 2022 06:34 PM (IST)
जेल जाने के लिए चोर ने जानबूझ कर जज के घर में की चोरी, बिल्डर से बचना चाहता है चोर
शंकर शेष के लिखे नाटक 'आधी रात के बाद' के मंचन कर विश्व हिंदी दिवस मनाया।

जम्मू, जागरण संवाददाता : नटरंग नाट्य संस्था ने सोमवार काे शंकर शेष के लिखे नाटक 'आधी रात के बाद' के मंचन कर विश्व हिंदी दिवस मनाया। इस नाटक का निर्देशन मोहम्मद यासीन ने किया, जबकि नाटक में बृजेश अवतार सिंह, सुशांत सिंह चाढ़क और अभिनव शर्मा ने अभिनय किया। दरअसल, दस जनवरी को विश्व हिंदी दिवस मनाया जाता है। इस दिन भाषा के प्रचार-प्रसार के लिए देश भर में कई तरह के कार्यक्रम किए जाते हैं। इसी कड़ी में नटरंग नाट्य संस्था ने जम्मू में नाटक का मंचन किया।

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नाटक में बताया गया एक चोर जज के घर में चोरी करने के इरादे से घुसता है और वहां बड़े ही नाटकीय अंदाज में वहं एक पत्रकार की हत्या के मामला सुलझ जाता है जिसका चश्मदीद चोर होता है। नाटक की शुरुआत चोर के एक जज के घर में घुसने के साथ होती है। चोर के पीछे एक बड़ा बिल्डर लगा है जिसका चोर पर्दाफाश करने में लगा है। चोर जज से गुहार लगाता है कि वे उसे पुलिस के हवाले कर दें ताकि जेल के अंदर वह सुरक्षित रह सके और माैका मिलते ही वह बिल्डर की असलियत दुनिया के सामने ला सके। चोर और जज के बीच संवाद के दौरान चोर बताता है जिस पत्रकार की मौत सड़क हादसा बताई जा रही है, वह हादसा नहीं बल्कि हत्या है।

नाटक में उस सच्चाई को जज तक पहुंचाया गया जो कोर्ट में नहीं पहुंच पा रही थी। नाटक को बहुत ही बेहतर निर्देशित किया गया था जबकि कलाकारों ने भी अपने अभिनय से सबको प्रभावित किया। नाटक में जज की भूमिका में बृजेश अवतार शर्मा और चोर की भूमिका में सुशांत सिंह चाढ़क ने प्रभावित किया। वहीं नाटक में पड़ोसी की भूमिका निभा रहे अभिनव शर्मा ने भी प्रभावित किया।

नाटक में कहीं व्यंग्य तो कहीं गंभीरता नजर आई और कलाकारों ने अपने मजबूत अभिनय से दर्शकों को अंत तक दर्शकों को बांधा रखा। वहीं नाटक के निर्देशक मोहम्मद यासीन ने बताया कि नाटक बताता है कि वह बताता है कि इस न्याय व्यवस्था में जो रसूखदार, पूंजीपति, पैसे वाले हैं वे बड़े से बड़ा गुनाह कर भी बच जाते हैं, जबकि गरीब इसमें मारा जाता है।


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