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बॉर्डर पर माहौल खराब होते ही सिहर उठते हैं सीमांत लोग

संवाद सहयोगी रामगढ़ पुलवामा आतंकी हमले के बाद भारत-पाक के बीच बने तनाव का सीमांत लोगा

By JagranEdited By: Published: Tue, 26 Feb 2019 08:13 AM (IST)Updated: Tue, 26 Feb 2019 08:13 AM (IST)
बॉर्डर पर माहौल खराब होते ही सिहर उठते हैं सीमांत लोग
बॉर्डर पर माहौल खराब होते ही सिहर उठते हैं सीमांत लोग

संवाद सहयोगी, रामगढ़ : पुलवामा आतंकी हमले के बाद भारत-पाक के बीच बने तनाव का सीमांत लोगों की जिंदगी पर बुरा असर पड़ रहा है। दोनों देशों के बीच माहौल खराब होते ही लोग सिहर उठते हैं। लोगों को यही डर रहता है कि पता नहीं कब पाकिस्तान गोलाबारी कर दे, और गोले किसी की जान ले लें। पिछले करीब 12 वर्षो से लगातार सीमांत गांवों के लोग सरहद पर पैदा होने वाली तनाव की स्थिति को झेलते आ रहे हैं। बीते पांच वर्षो से इस तनाव की स्थिति ने कई घातक रूप भी दिखाए हैं।

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वर्ष 2016 के पहली नवंबर को सीमांत लोग शायद ही भूल पाएंगे, जब सीमांत गांवों मे हर तरफ पाक ने मोर्टार के गोले बरसाए थे। इस भारी गोलाबारी में सात लोगों की मौत हो गई थी और नौ लोग गंभीर रूप से घायल हुए थे। मृतकों में सीमांत गांव रंगूर के एक ही परिवार के चार सदस्यों की मौत ने पूरे क्षेत्र को झकझोर कर रख दिया था। अन्य सीमांत गांवों जेरडा, नंदपुर, दग, सामदू, जस्सोचक, छावनी, महाल, पलोटा, डडेयाल, नंगा, कमोर, केसो, बरोटा आदि में भी हर तरफ भारी पाक गोलाबारी से अफरा-तफरी मची थी। पाकिस्तान ने अपनी इन नापाक करतूतों को लगातार बढ़ावा दिया। पहले सरहद पर दोनों देशों के बीच छोटे हथियारों से गोलाबारी होती थी, जिससे जानमाल का नुकसान कम होता था, लेकिन पिछले कुछ वर्षो से मोर्टार से बरसाए जा रहे गोलों ने सरहद के साथ लगते पांच किमी दायरे में रह रहे लोगों के जीवन को संकट में डालने का काम किया है। बीते वर्ष जनवरी 2018 में पाक द्वारा दागे गए मोर्टार के गोले भारतीय सीमांत गांवों की उस दूरी तक पहुंचे, जहां पर कभी युद्ध जैसे माहौल में गोलाबारी नहीं हुई थी। पुलवामा आतंकी हमले के बाद दोनों देशों के बीच बनी तनाव की स्थिति क्या रंग दिखाएगी, इसकी चिंता ने लोगों का सुख-चैन छीन लिया है।

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दोनों देशों के बीच तनाव सीमांत लोगों की जिंदगी पर बुरा असर डालता है। सीमांत लोग इस तनाव से निजात नहीं पा रहे और न ही कहीं से इस तनाव से राहत मिलने की उम्मीद नजर आती है। इस हमेशा के तनाव की जिंदगी से बेहतर है कि एक बार दोनों देशों के बीच आमना-सामना हो ही जाए।

- मोहन ¨सह भट्टी, पूर्व सरपंच जेरडा

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सब सेक्टर रामगढ़ के सीमांत गांव सरहद के तनाव से अछूते नहीं रहे। अब तो उन गांवों पर भी पाक गोलाबारी का खतरा गहरा जाता है, जहां पर कभी इस तरह गोलाबारी नहीं हुई। आखिर इस गोलाबारी के ग्रहण से कब तक लोगों का सुख-चैन छिनता रहेगा।

- कुलदीप वर्मा, सरपंच केसो

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पाकिस्तान जैसे नापाक पड़ोसी की नीयत पर भरोसा करना खुद के पांव पर कुल्हाड़ी मारने के बराबर है। पहले भी भारत ने कई बार पाक पर भरोसा किया, लेकिन उसके बदले में पाकिस्तान ने आतंकवाद और आतंकी घटनाओं को बढ़ावा देकर आपसी तनाव को हवा देने का काम किया है।

- निरंजन सिंह, निवासी जेरडा

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पुलवामा हमले के बाद से लगातार दोनों देशों के बीच बढ़ता तनाव लोगों की चिंता को बढ़ा दिया है। हर समय इस तनाव को महसूस करने वाले सीमांत गांवों के लोग न खुलकर रातों को नींद ले पा रहे और न ही दिन की राहत मिल रही। अपने घर परिवार पर हर समय मंडराते इस तनाव के खतरे से लोग दहशत में हैं।

- बलविंदर सिंह


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