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पुस्तक दिवस: हमारी सबसे अच्छी दोस्त हैं पुस्तकें, इसे उपहार में भी दें

प्रदर्शनी में पुस्तकों को देखने कई विद्यार्थी पाठक पहुंचे हुए थे। कई लोगों ने लाइब्रेरी के संग्रह को देख कर सदस्यता लेने की भी रुचि दिखाई।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Wed, 24 Apr 2019 01:08 PM (IST)Updated: Wed, 24 Apr 2019 01:08 PM (IST)
पुस्तक दिवस: हमारी सबसे अच्छी दोस्त हैं पुस्तकें, इसे उपहार में भी दें
पुस्तक दिवस: हमारी सबसे अच्छी दोस्त हैं पुस्तकें, इसे उपहार में भी दें

जम्मू, जागरण संवाददाता। ऐसे साहित्यकार, इतिहासकर, कहानीकार जिन्होंने अपनी किताबों के माध्यम से किसी भी बात को कहा ही नहीं, बल्कि पाठकों के दिलो-दिमाग में गहरी छाप छोड़ी। अपनी लेखनी के माध्यम से जीवन के यथार्थ को दिखाने वाले कई वरिष्ठ लेखकों की किताबों, राजाओं के एलबमों, कई दुर्लभ एवं रेफरेंस बुक्स, पांडुलिपियों, कलाकृतियों एवं धार्मिक किताबों को विश्व पुस्तक दिवस पर श्री रणवीर लाइब्रेरी में प्रदर्शित किया गया। यहां पुस्तक प्रदर्शनी का उद्घाटन डायरेक्टर जनरल लाइब्रेरीज शमीम अहमद लहरवाल ने किया। इस मौके पर उन्होंने कहा कि पुस्तकें हमारी सबसे अच्छी दोस्त हैं।

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प्रदर्शनी में पुस्तकों को देखने कई विद्यार्थी, पाठक पहुंचे हुए थे। कई लोगों ने लाइब्रेरी के संग्रह को देख कर सदस्यता लेने की भी रुचि दिखाई। डिप्टी डायरेक्टर लाइब्रेरीज रेणु कुमारी ने कहा कि कोई लाइब्रेरी का सदस्य बन सकता है। इसके लिए कोई खास औपचारिकता नहीं है। लाइब्रेरी से फार्म लेकर आधार कार्ड और फोटो के साथ, इसे किसी गेजटेड आफिसर से अटेस्ट करवाकर जमा करवा देने पर आप सदस्य हो जाएंगे। उसके बाद आप कोई भी किताब 14 दिन के लिए घर ले जा सकते हैं। अगर सदस्यता न भी हो तब भी लाइब्रेरी के रीडिंग रूम में बैठकर कोई भी पढ़ सकता है।

जम्मू विश्वविद्यालय में दुर्लभ पुस्तकों की प्रदर्शनी

विश्व पुस्तक और कॉपीराइट दिवस के अवसर पर जम्मू विश्वविद्यालय ने स्वर्ण जयंती समारोह पर आयोजित कार्यक्रमों की श्रृंखला में धन्वंतरि पुस्तकालय में पुस्तक प्रदर्शनी का आयोजन किया। प्रदर्शनी का उद्घाटन प्रो. आरके गंजू, निदेशक, कॉलेजेज डेवलपमेंट काउंसिल, सीडीसी जम्मू विश्वविद्यालय प्रो. जसबीर सिंह आदि मौजूद थे। प्रदर्शनी में कई दुर्लभ पुस्तकों, पांडुलिपियों, पुराने समाचार पत्रों और कुछ प्रमुख नई आगमनियों को प्रदर्शित किया गया। जेम्स मिल द्वारा इतिहास की दुर्लभ पुस्तकें जैसे ब्रिटिश भारत का इतिहास ईएसक्यू जेम्स मैडेन एंड कंपनी, लंदन 1840 द्वारा प्रकाशित मारियन डौटी द्वारा कश्मीर घाटी के माध्यम से अफूट, सैंड्स कॉम लंदन, 1902, द वैली कश्मीर, 1895 द्वारा प्रकाशित, मेहर चंद महाजन की आत्मकथा, लुकिंग बैक, 1963, एचएच के क्षेत्र में आगंतुकों और निवासियों द्वारा पालन के लिए नियमय जम्मू और कश्मीर के महाराजा, 1941, एक भारतीय उद्यान के पक्षी, 1924, सरदार पटेल के पत्रचार 1945-50 आदि आकर्षण का केंद्र बनी रहीं।

पुस्तकालयों में बढ़ेंगी सुविधाएं

डायरेक्टर जनरल लाइब्रेरीज ने कहा कि राज्य के सभी पुस्तकालयों को आधुनिक ढांचागत सुविधाओं से लैस किया जाएगा। नीट, जेईईई, बैंकिंग आदि की तैयारियों के लिए अलग से सेक्शन बनाई गई है। बच्चों को सीट के लिए इंतजार करना पड़ता है। इस पुस्तकालय के विस्तारीकरण का भी प्रयास हो रहा है। उन्होंने कहा कि पुस्तकों से अच्छा कोई दोस्त नहीं हो सकता। हमें आदत बनानी चाहिए कि पुस्तकों का आदान-प्रदान किया जाए। कोशिश करनी चाहिए कि उपहार के रूप में भी हम किताबें देना शुरू करें। पुस्तकों से प्रेम जरूरी है।


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