Jammu Tourism: बॉलीवुड को भी बनी की प्राकृतिक खूबसूरती लगी है भाने, शूटिंग के लिए पहुंच रहे हैं निर्देशक
लार्ड डलहौजी बनी की प्राकृतिक खूबसूरती के कायल हो गए। उन्होंने बनी को डलहौजी के रूप में विकसित करने की योजना बना डाली लेकिन तब जहां के महाराजाओं की हुकूमत ने उन्हें बनी को डलहौजी बनाने की अनुमति नहीं दी। वाे हिमाचल गए और वहां पर उन्होंने डलहौजी को बसाया।
कठुआ, राकेश शर्मा: जिला का बनी, बसोहली और बिलावर पहाड़ी क्षेत्र प्राकृतिक सौंदर्य से मालामाल है। जहां पर जो पर्यटक पहली बार पहुंचता है तो बस प्राकृतिक द्वारा बिखेरे गए खजाने को बस देखता ही रह जाता है। जहां पर वो सब कुछ पर्यटक को देखने, निहारने व स्पर्श करने का मौका मिलता, जो अब तक पर्यटक धरती का स्वर्ग कहे जाने वाले कश्मीर में है। जहां के गुलमर्ग जैसे सरथल मेंं हरियाली की चादर लपेटे खुले मैदान, छत्तरगलां में मई, जून तक बर्फ के जमे पहाड़, ढग्गर मेें स्कींइंग की आपार संभावना वाले बर्फ के मैदान, महानपुर बिलावर रोड पर दोनों ओर देवदार के पेड़ वहां से गुजरने वाले हर किसी को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। एक बार जो इस क्षेत्र में आ जाता है,वो बार बार आने के लिए उतावला रहता है। इसी के चलते विगत पांच साल से बॉलीवुड को भी मिनी कश्मीर कहे जाने वाले बनी में शूटिंग के लिए रुख करने लगे हैं।
अब तक चार फिल्मों की बनी में शूटिंग हो चुकी है और कोरोना महामारी अगर कम होती है तो नवंबर व दिसंबर में गत वर्ष की तरह लाइअ साउंड कैमरे की आवाज सुनने को मिलेगी। जिला के इस पहाड़ी क्षेत्र की जिला मुख्यालय से हालांकि 25 से 200 किलोमीटर की दूरी है,जो सड़क मार्ग से कवर की जा सकती है। हाइवे के लखनपुर से बसोहली की दूरी 80 किलोमीटर है,लेकिन बीच में पहले 25 किलोमीटर की दूरी पर थैं के पास रंजीत सागर झील का विहंगम दृश्य हर किसी को वहां से गुजरते समय ये अहसास करा देता है कि वो कश्मीर नहीं गए तो क्या, ये भी किसी कश्मीर की डल झील से कम नहीं है।
84 किलोमीटर पीरीधि में फैली झील में भरा रावी दरिया का शीतल नीले रंग का पानी जनत में पहुंचने का अहसास करा देता है। इसके बाद झील के किनारे-किनारे बसोहली को जाने वाले मार्ग के बीच परुथू का हरा भरा मैदान मिनी गोवा के नाम से चर्चित स्थान जहां तनाव से मुक्त होता हर कोई दिखता है। फिर दस किलोमीटर की दूरी पर जम्मू कश्मीर और उत्तर भारत में पहला रावी दरिया पर बना केबिल स्टेयड अटल सेतु पुल भी पर्यटकों के लिए शाम के समय पंसदीदा स्थल रहता है। जहां पर सेल्फी लेने वालों की भरमार रहती है। पंजाब और हिमाचल की सीमा पर बना अटल सेतु पुल तीन राज्यों का संस्कृतिक दृष्टि से मिलन कराने वाले पुल से एक घंटे में डलहौजी पहुंचा सकता है। हालांकि कोरोना महामारी के चलते कुछ महीनों से बनी क्षेत्र भी प्रभावित हुआ है लेकिन आसपास क्षेत्र के लोग बनी जिसे मिनी कश्मीर की संज्ञा दी जाती है में पहुंच कर प्राकृतिक का निहार कर तनाव भरे माहौल से निकल कर जहां सकून का समय बिताते हैं।
देश की आजादी के पहले ब्रिटिश हुकूमत के लार्ड डलहौजी पहले बनी को ही डलहौजी बनाने जहां आए थे, लेकिन....: जम्मू कश्मीर के कठुआ जिला की बनी क्षेत्र की प्र्राकृतिक सौंदर्य से ब्रिटिश हुकूमत भी कायल थी। इसी के चलते आजादी के कई दशक पहले बनी में पहुंचे लार्ड डलहौजी बनी की प्राकृतिक खूबसूरती से कायल हो गए थे। उन्होंने बनी को डलहौजी के रूप में विकसित करने की योजना बना डाली, लेकिन तब जहां के महाराजाओं की हुकूमत ने उन्हें बनी को डलहौजी बनाने की अनुमति नहीं दी। वाे हिमाचल गए और वहां पर उन्होंने डलहौजी को बसाया। अगर उन्हें राजाओं से अनुमति मिलती तो हिमाचल का डलहौजी आज बनी में होता।
जिला में मनमोहक पर्यटक स्थल बसोहली में रंजीत सागर झील, पूरथू, अटल सेतु, चंचलो माता का मंदिर, बसोहली की विश्व प्रसिद्ध बसोहली पेटिंग, पशमीना शाल, बनी कस्बे के बीच बहता सेवा दरिया, सरथल के खुले हरे भरे घास से लदे मैदान, भंडार व ढग्गर में बर्फबारी के मैदान, छत्त्रगलां में मई जून में भी बर्फ के जमे पहाड़, बसोहली-बनी मार्ग पर खड़कल के पास प्राकृतिक सेवन फाल का झरना, बनी में ट्राउट मछली का तालाब, महानपुर में देवदार के पेड़ों के बीच गुजरते हुए बिलावर मार्ग, बिलावर का पांडल काल का प्रसिद्ध बिलकेश्वर मंदिर, प्रसिद्ध माता सुकराला देवी का मंदिर, मशेड़ी में नानगलां, मल्हार की पहाड़ियां और इधर भारत पाक सीमा पर बॉर्डर टूरिज्म, मिनी हरिद्वार के नाम से चर्चित नगरी तहसील में ऐरवां पवित्र बावलियां, जांडी में यामदगिनी गंगा, लखनपुर प्रवेश द्वार पर लखनदेव राजा के पुराने महल और वहां मां काली का मंदिर आदि।
ऐसे पहुंचे इन पर्यटक स्थलों पर: कठुआ जिला मुख्यालय से बसोहली तक बस और कार द्वारा 84 किलोमीटर की दूरी तय कर पहुंचा जा सकता है। रास्ते में रंजीत सागर झील, पूरथू, अटल सेतु भी दिखेगा। बसोहली से बनी तक कार और बस द्वारा 87 किलोमीटर का सड़क मार्ग तय कर पहुंचा जा सकता है। बनी से 25 किलाेमीटर की दूरी निजी हल्के वाहन से तय कर सरथल पहुंचा जा सकता है। बिलावर पहुंचने के लिए कठुआ जिला मुख्यालय से हाइवे से दियालाचक से 80 किलोमीटर की दूरी तय कर बिलावर कस्बे में पहुंचा जा सकता है। बिलावर में कस्बे स्थित पांडल काल में बना बिलकेशर मंदिर, पंजतीर्थी और रैनकी बाबली का नजारा लिया जा सकता है। वहां से सात किलोमीटर की दूरी पर मशेड़ी मार्ग पर माता सुकराला के मंदिर में पहुंचा जा सकता है। जहां भी बस और निजी हल्के वाहन जाते हैं। वहां से मशेडी की खूबसूरती निहारने के लिए करीब 30 किलोमीटर बस और हल्के वाहन से पहुंचा जा सकता है। इधर जांडी में यमदागिनी गंगा में पहुंचने के लिए हीरानगर हाइवे से बस और हल्के वाहन से आ सकते हैं। वहीं कठुआ के ऐरवां में पवित्र बावलियों तक पहुंचने के लिए शहर से बस और हल्के वाहन से जा सकते हें। भारत पाक अंतरराष्टीय सीमा हीरानगर में बॉर्डर टूरिज्म का नजारा लेने के लिए हीरानगर, लोंडी मोड़, चड़वाल हाइवे से होकर बस और हल्के वाहन से पहुंचा जा सकता है।