Move to Jagran APP

13 जुलाई : जम्मू में विभिन्न संगठनों ने मनाया काला दिवस

जागरण संवाददाता, जम्मू : कश्मीर घाटी से गैर-मुस्लिमों के सामूहिक पलायन की 13 जुलाई 1931 मे

By JagranEdited By: Published: Sat, 14 Jul 2018 03:06 AM (IST)Updated: Sat, 14 Jul 2018 03:06 AM (IST)
13 जुलाई : जम्मू में विभिन्न संगठनों ने मनाया काला दिवस
13 जुलाई : जम्मू में विभिन्न संगठनों ने मनाया काला दिवस

जागरण संवाददाता, जम्मू : कश्मीर घाटी से गैर-मुस्लिमों के सामूहिक पलायन की 13 जुलाई 1931 में नींव रखे जाने का दावा करते जम्मू के विभिन्न संगठनों ने शुक्रवार को काला दिवस मनाया। वर्ष 1931 में तत्कालीन राजा के विरोध में इस दिन जलूस निकाला गया था जिस पर फाय¨रग के दौरान 20 से अधिक लोगों की मौत हुई थी। कश्मीर में इस दिन को शहीदी दिवस के रूप में मनाया जाता है। जम्मू में आज विभिन्न संगठनों ने विरोध प्रदर्शन किए और इस दिन पर घोषित सरकारी अवकाश को रद करने की मांग भी की।

loksabha election banner

नरसंहार पर कश्मीरी विस्थापित संगठन पनुन कश्मीर ने इस दिन पर कश्मीर में हुए नरसंहार की फोटो प्रदर्शनी लगाई। प्रधान अश्विनी कुमार चरंगू व राजनीतिक मामलों की कमेटी के चेयरमैन विरेंद्र रैना ने कहा कि 13 जुलाई 1931 को मुस्लिम कांफ्रेंस ने कश्मीर में हिन्दू समुदाय के खिलाफ बड़ी साजिश रची। तत्कालीन महाराजा के खिलाफ विद्रोह करते हुए कश्मीर में बसे हिन्दुओं को निशाना बनाया गया और हत्याएं व लूटमार की गई। आज के दिन पर होने वाले सरकारी अवकाश को रद करने की मांग करते हुए उन्होंने कहा कि आज का दिन जम्मू-कश्मीर के इतिहास में काला अध्याय है।

वकीलों ने काम करके जताया विरोध

जम्मू : 13 जुलाई के सरकारी अवकाश का विरोध करने के लिए वकीलों ने शुक्रवार को काम किया। हालांकि अदालतें बंद थी लेकिन जेएंडके हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के बैनर तले कोर्ट परिसर में एक निशुल्क शिविर लगाकर लोगों को कानूनी सलाह दी गई। इससे पूर्व वकीलों ने काली पट्टियां बांध कर प्रदर्शन भी किया। आज के दिन को काले दिवस के रूप में मनाते हुए वकीलों ने सरकारी अवकाश रद करने की मांग की। एसोसिएशन के प्रधान बीएस सलाथिया ने इस मौके पर कहा कि 13 जुलाई के इतिहास को तोड़मरोड़ कर

पेश किया जाता रहा है। वास्तव में आज के दिन कुछ शरारती तत्वों ने अंग्रेजों के इशारों पर तत्कालीन महाराजा के खिलाफ विद्रोह करते हुए वहां से गैर मुस्लिमों को बाहर निकालने की मुहिम छेड़ी थी। कुछ मासूम पंडितों को मार दिया गया और उनकी दुकानें लूट ली गई। सलाथिया ने कहा कि ऐसी साम्प्रदायिक ¨हसा में शामिल लोगों के मारे जाने पर उन्हें शहीद का दर्जा नहीं दिया जा सकता। लिहाजा आज के दिन होने वाली सरकारी छुट्टी को रद किया जाना चाहिए। मंदिरों के संरक्षण के लिए बने कानून

जम्मू : भाजपा कश्मीर डिस्प्लेसड डिस्ट्रक्ट ने भी काला दिवस मनाते हुए डोगरा चौक में धरना प्रदर्शन किया। एमएलसी जीएल रैना की अगुआई में कार्यकर्ताओं ने कश्मीर घाटी में मंदिरों के संरक्षण के लिए कानून बनाने की मांग भी की। संगठन प्रधान चांदजी भट्ट ने इस मौके पर कश्मीर घाटी में अभी भी मंदिरों, श्राइन व श्मशान घाट की जमीनों पर अवैध कब्जे हैं। विस्थापितों ने जो संपत्ति छोड़ी थी, उनके संरक्षण की जिम्मेदारी संबंधित जिलाधीशों को सौंपी गई लेकिन जमीनी स्तर पर आज भी उनकी जमीनों पर अवैध कब्जे हैं। भट्ट ने 13 जुलाई पर सरकारी अवकाश का विरोध करते हुए कहा कि यह दिन जम्मू-कश्मीर के इतिहास में एक काला धब्बा है। इस दिन कश्मीरी पंडितों को घाटी से बाहर निकालने की साजिश रची गई ।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.