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जम्मू-कश्मीर में इन वजहों से टूट गया बीजेपी-पीडीपी का गठबंधन, महबूबा ने राज्‍यपाल को सौंपा इस्तीफा

भारतीय जनता पार्टी ने जम्मू-कश्मीर सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया है। पीडीपी नेता महबूबा मुफ्ती वर्ष 2015 में जम्मू कश्मीर राज्य की पहली महिला मुख्यमंत्री बनी थीं।

By Preeti jhaEdited By: Published: Tue, 19 Jun 2018 03:12 PM (IST)Updated: Tue, 19 Jun 2018 04:12 PM (IST)
जम्मू-कश्मीर में इन वजहों से टूट गया बीजेपी-पीडीपी का गठबंधन, महबूबा ने राज्‍यपाल को सौंपा इस्तीफा
जम्मू-कश्मीर में इन वजहों से टूट गया बीजेपी-पीडीपी का गठबंधन, महबूबा ने राज्‍यपाल को सौंपा इस्तीफा

जम्‍मू,एजेंसी। भारतीय जनता पार्टी ने जम्मू-कश्मीर सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया है। बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने आज ही दिल्ली में राज्य के सभी बड़े पार्टी नेताओं के साथ बैठक की जिसके बाद बीजेपी ने समर्थन वापस लेने का फैसला किया है।

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महबूबा ने बुलाई बैठक 

भारतीय जनता पार्टी द्वारा गठबंधन से अलग होने और समर्थन वापस लेने के एलान से उपजे राजनीतिक हालात पर विचार विमर्श के लिए पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने अपने निवास पर पार्टी के सभी वरिष्ठ नेताओं और विधायकों की एक आपात बैठक बुलाई है। यह बैठक शाम चार बजे होगी।

महबूबा ने दिया इस्तीफा 

मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने मंगलवार को भाजपा द्वारा राज्य में सत्तासीन गठबंधन सरकार से अलग होने का एलान करने के बाद अपना इस्तीफा  राज्यपाल एनएन वोहरा को सौंप दिया है। राज्य सरकार के प्रवक्ता और सत्ताधारी पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी के वरिष्ठ नेता नईम अख्तर ने महबूबा मुफ्ती द्वारा इस्तीफा दिए जाने की पुष्टि की है। उन्होंने कहा कि पाटीZ की एक बैठक होने जा रही हे, उसमें ही हम अपनी अगली रणनीति का एलान करेंगे। 

इस बीच,उपमुख्यमंत्री कवींद्र गुप्ता ने भी भाजपा की तरफ से मुख्यमंत्री महबूबा मुफती के मंत्रीमंडल में शामिल सभी मंत्रियों के इस्तीफों की पुष्टि करते हुए कहा कि अब हम गठबंधन से अलग हो चुके हैं। इसलिए मंत्रीमंडल और सरकार में बने रहने का कोई औचित्य नहीं हैं। हमन6े अपने इस्तीफे मुख्यमंत्री को सौंप दिए हैं। 

बीजेपी ने समर्थन वापस लेने का किया फैसला

राज्य में कानून-व्यवस्था की बिगड़ती हालत की वजह से पार्टी ने यह निर्णय लिया। पीडीपी चाहती थी कि सीजफायर को आगे बढ़ाया जाए और हुर्रियत से बातचीत हो। लेकिन बीजेपी का केंद्रीय नेतृत्व इससे सहमत नहीं था।बीजेपी प्रवक्ता राममाधव ने इसकी जानकारी देते हुए कहा, 'पीडीपी के इरादों पर सवाल नहीं है, लेकिन राज्य सरकार विफल रही है। जम्मू और लद्दाख के विकास में बीजेपी के मंत्रियों को अड़चने आती रहीं। कई विभागों में काम के लिहाज से जम्मू और लद्दाख की जनता के साथ भेदभाव जनता महसूस करती रही।'

 उन्होंने कहा, ' देश की अखंडता और सुरक्षा के व्यापक हितों को देखते हुए, कश्मीर को देश का अखंड हिस्सा मानते हुए बीजेपी ने यह निर्णय लिया है और राज्य में गवर्नर का शासन लाकर परिस्थिति में सुधार पर विचार किया है।' उन्होंने कहा कि कश्मीर में जो परिस्थ‍ति बनी उसका आकलन पार्टी ने किया। गृह मंत्रालय, तमाम एजेंसियों से आवश्यक इनपुट लेने के बाद बीजेपी ने यह निर्णय लिया। बीजेपी के लिए इस गठबंधन में आगे चलना संभव नहीं था। पार्टी ने प्रदेश नेतृत्व और राज्य सरकार के मंत्रियों से भी यह चर्चा की।

गौरतलब है कि तीन साल पहले यह सरकार बनी थी, उस समय खंडित जनादेश था। जम्मू इलाके में बीजेपी तो कश्मीर घाटी में ज्यादातर सीटें पीडीपी को मिली थीं। चार महीने की कवायद के बाद दोनों दलों ने एक कॉमन मिनिमम प्रोग्राम बनाकर सरकार बनाया था। जम्मू-कश्मीर में बीजेपी ने महबूबा मुफ्ती सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया है। इसके साथ ही राज्य में तीन सालों से चला आ रहा पीडीपी-बीजेपी गठबंधन खत्म हो गया है। बीजेपी ने राज्य में राज्यपाल शासन की मांग की है।

जम्मू कश्मीर में पीडीपी के साथ बीजेपी गठबंधन से अलग हो गई है जिसकी वजह से मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती की सरकार अल्पमत में आ गई है। जम्मू कश्मीर के लिए बीजेपी के प्रभारी राममाधव ने दिल्ली में एक संवाददाता सम्मेलन में गठबंधन से अलग होने की वजह बताते हुए कहा, ''हमने तीन साल पहले जो सरकार बनाई थी, जिन उद्देश्यों को लेकर बनाई थी, उनकी पूर्ति की दिशा में हम कितने सफल हो पा रहे हैं, उस पर विस्तृत चर्चा हुई।'' उन्होंने कहा, ''पिछले दिनों जम्मू कश्मीर में जो घटनाएं हुई हैं, उन पर तमाम इनपुट लेने के बाद प्रधानमंत्री मोदी और पार्टी अध्यक्ष अमित शाह से परामर्श लेने के बाद आज हमने निर्णय लिया है कि गठबंधन सरकार में चलना संभव नहीं होगा।''

बीजेपी ने जम्मू कश्मीर में राज्यपाल शासन लगाने की मांग की है। जम्मू कश्मीर विधानसभा में कुल 87 सीटें हैं। मौजूदा विधानसभा में महबूबा मुफ़्ती की पीडीपी के कुल 28 विधायक हैं। वहीं बीजेपी 25 सीटों के साथ दूसरे पायदान पर है। उमर अब्दुल्लाह की नेशनल कांफ्रेंस 15 सीटों के साथ तीसरे स्थान पर है, जबकि कांग्रेस 12 सीटों के साथ चौथे स्थान पर है।

पीडीपी नेता महबूबा मुफ्ती वर्ष 2015 में जम्मू कश्मीर राज्य की पहली महिला मुख्यमंत्री बनी थीं। वहीं गठबंधन सरकार में उप मुख्यमंत्री रहे निर्मल सिंह ने कहा, ''बीजेपी के मंत्रियों ने राज्यपाल को अपना इस्तीफ़ा भेज दिया है।''राममाधव का कहना था, ''पिछले तीन साल से ज्यादा समय में बीजेपी अपनी तरफ से सरकार अच्छे से चलाने की कोशिश कर रही थी, राज्य के तीनों प्रमुख हिस्सों में विकास को आगे बढ़ाने की कोशिश कर रही थी. आज जो हालात राज्य में बने हैं, जिसमें एक भारी मात्रा में आतंकवाद और हिंसा बढ़ गई। उग्रवाद बढ़ रहा है, नागरिकों के मौलिक अधिकार और बोलने की आज़ादी ख़तरे में पड़ गए हैं।''

राममाधव ने पीडीपी से गठबंधन होने की तमाम वजहें गिनाते हुए वरिष्ठ पत्रकार शुजात बुख़ारी की गोली मारकर हत्या किए जाने का भी जिक्र किया। केंद्र सरकार ने दो दिन पहले ही जम्मू कश्मीर में घोषित एकतरफा संघर्षविराम को और आगे नहीं बढ़ाने का फ़ैसला किया था। यह संघर्षविराम रमज़ान के महीने के दौरान राज्य में 16 मई को घोषित किया गया था। गृह मंत्रालय ने कहा कि चरमपंथियों के ख़िलाफ़ फिर से अभियान शुरू किया जाएगा। यह घोषणा ईद के एक दिन बाद की गई थी। क्या पीडीपी गठबंधन से अलग होने की एक वजह संघर्ष विराम को आगे बढ़ाने पर पीडीपी के साथ मतभेदों का होना था।


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