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बिपुल पाठक बने उप राज्यपाल मुर्मू के प्रमुख सचिव

बिपुल पाठक जम्मू कश्मीर के उप राज्यपाल के सलाहकार

By JagranEdited By: Published: Sat, 02 Nov 2019 09:25 AM (IST)Updated: Sun, 03 Nov 2019 06:43 AM (IST)
बिपुल पाठक बने उप राज्यपाल मुर्मू के प्रमुख सचिव
बिपुल पाठक बने उप राज्यपाल मुर्मू के प्रमुख सचिव

राज्य ब्यूरो, जम्मू : केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर में कामकाज को सुचारू बनाने के लिए आइएएस अधिकारी बिपुल पाठक को उपराज्यपाल जीसी मुर्मू का प्रमुख सचिव बनाया गया है। इसके साथ वरिष्ठ वकील डीसी रैना को जम्मू कश्मीर का एडवोकेट जनरल भी बनाया गया है।

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जम्मू कश्मीर सरकार ने शुक्रवार को उप राज्यपाल के निर्देश पर बिपुल पाठक समेत तीन आइएएस अधिकारियों का तत्काल प्रभाव से तबादला व तैनाती की। नई तैनाती से पहले पाठक समाज कल्याण विभाग के प्रमुख सचिव थे। अलबत्ता, वह सूचना एवं प्राद्योगिकी व साइंस एवं तकनीक विभाग के प्रशासनिक सचिव का अतिरिक्त पदभार भी संभालेंगे। वहीं आइएएस अधिकारी व योजना विभाग के प्रमुख सचिव रोहित कंसल को सूचना विभाग के प्रशासनिक सचिव का अतिरिक्त प्रभार दिया गया है। पहले इस विभाग का प्रभार आइएएस अधिकारी मनोज कुमार द्विवेदी के पास था। इस समय कंसल के पास हास्पिटेलिटी, इस्टेट व सिविल एविएशन विभागों के प्रशासनिक सचिव का भी अतिरिक्त प्रभार है। इसके साथ वन विभाग के आयुक्त सचिव मनोज कुमार द्विवेदी समाज कल्याण विभाग के प्रशासनिक सचिव का अतिरिक्त प्रभार भी दिया गया है। एक अन्य आदेश में जम्मू कश्मीर सरकार ने वरिष्ठ वकील डीसी रैना को केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर का एडवोकेट जनरल बनाया है। डीसी रैना को प्रतिमाह एक लाख रुपये का वेतन मिलेगा। इसके साथ तीन हजार के अतिरिक्त भत्ते भी होंगे। उन्हें श्रीनगर व जम्मू में सरकारी आवास भी मिलेंगे। अगर वह अपने घर में रहते हैं तो 12 हजार रुपये का अतिरिक्त भत्ता भी मिलेगा। उच्च न्यायलय में यूटी जनहित, अन्य मामलों में उनकी काउंसिल फीस प्रति सुनवाई पांच हजार होगी। वहीं उच्चतम न्यायालय में प्रभावी सुनवाई के लिए उनकी फीस पचास हजार रुपये प्रति सुनवाई होगी। उच्चतम न्यायालय में गैर प्रभावी सुनवाई के लिए उनकी फीस पांच हजार होगी। उच्चतम न्यायालय या दिल्ली हाई कोर्ट में जजों की कांफ्रेंस के लिए उनकी फीस प्रति कांफ्रेंस पचास हजार रुपये होगी। केंद्र शासित प्रदेश के अंदर प्रभावी सुनवाई के लिए उनकी फीस दस हजार रुपये प्रति सुनवाई व गैर प्रभावी सुनवाई के लिए उनकी फीस तीन हजार होगी। वहीं केंद्र शासित प्रदेश के बाहर प्रभावी सुनवाई के लिए उनकी फीस 25 हजार रुपये प्रति सुनवाई व गैर प्रभावी सुनवाई के लिए उनकी फीस पांच हजार रुपये होगी। इसके साथ उन्हें विभागों से उच्च न्यायालय में लंबित मामलों के लिए चार हजार का इंसीडेंटल एक्सपेंस व उच्च न्यायालय में मामलों के लिए पांच हजार का इंसीडेंटल एक्सपेंस भी मिलेगा। कानूनी मामले में सुनवाई के इंतजार के लिए प्रतिदिन एक हजार व यात्रा के दिनों के लिए प्रतिदिन पंद्रह सौ रुपये अलग से होंगे।


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