मरीज की हालत गंभीर होने से पहले ही चौकन्ना कर देगा बायोमार्कर टेस्ट
कोरोना वायरस के कई मरीजों और उनके तीमारदारों की शिकायत रही कि उन्हें समय पर इलाज नहीं मिल पाया। इस कारण कई मरीजों की मौत हो गई।
रोहित जंडियाल, जम्मू
कोरोना वायरस के मरीजों को बड़ी सौगात मिली है। अब उनकी हालत गंभीर रूप से बिगड़ने से पहले ही इसका पता चल जाएगा। इसके बाद डॉक्टर इसी आधार पर इलाज शुरू कर देंगे और मरीज की जान बचाई जा सकेगी। यह सब बायोमार्कर टेस्ट से संभव होगा। राजकीय मेडिकल कॉलेज (जीएमसी) अस्पताल जम्मू के बायोकैमिस्ट्री विभाग में एक सप्ताह पहले ही यह सुविधा उपलब्ध करा दी गई है।
कोरोना वायरस के कई मरीजों और उनके तीमारदारों की शिकायत रही कि उन्हें समय पर इलाज नहीं मिल पाया। इस कारण कई मरीजों की मौत हो गई। इसका एक कारण राजकीय मेडिकल कॉलेज अस्पताल में बायोमार्कर टेस्ट की सुविधा नहीं होना था। हालांकि, एक सप्ताह से यह सुविधा जीएमसी में शुरू हो गई है। इससे कोरोना के मरीजों की जिदगी बचाने में मदद मिल रही है। इस टेस्ट से कोरोना के मरीजों की स्थिति गंभीर होने के बारे में समय से पहले पता चल जाता है। इससे समय रहते मरीज की जान बचाई जा सकती है।
बायोकैमिस्ट्री विभाग के एचओडी डॉ. एएस भाटिया ने बताया कि बायोमार्कर टेस्ट शुरू होने से कोरोना के मरीजों को काफी लाभ पहुंच रहा है। टेस्ट के बाद मरीजों को अलग-अलग वर्गो में बांटकर उनकी गंभीरता के आधार पर इलाज किया जा रहा है। इस टेस्ट से डॉक्टरों को यह अनुमान लग जाता है कि मरीज की जिदगी को बचाया जा सकता है या नहीं। डॉ. भाटिया ने कहा कि जिस प्रकार से मौसम विभाग सुनामी आने से पहले ही इसकी चेतावनी जारी कर देता है कि इसका असर कहां-कहां होगा। उसी तरह से बायोमार्कर टेस्ट भी एक तरह से बीमारी का पूर्वानुमान बताने में मदद करते हैं। 150 मरीज ले चुके लाभ
बायोमार्कर टेस्ट की सुविधा का अब तक डेढ़ सौ से अधिक मरीज इसका लाभ उठा चुके हैं। इनमें 17 मरीजों के टेस्ट में पाता चला है कि उनकी हालत ठीक नहीं है। इससे इन सभी मरीजों का इलाज समय पर शुरू कर दिया गया। इन मरीजों में से अधिकांश की हालत अब पहले से ठीक है। बायोमार्कर टेस्ट से यह भी अनुमान लग जाता है कि मरीज ठीक होगा या नहीं। मरीज डेंजर जोन में है, इसकी जानकारी मिलने पर तुरंत इलाज शुरू कर दिया जाता है। एम्स, पीजीआई जैसे संस्थानों में ही है यह सुविधा
बायोमार्कर मार्कर टेस्ट की सुविधा अभी तक एम्स, पीजीआइ जैसे संस्थानों में ही थी। जम्मू कश्मीर में राजकीय मेडिकल कॉलेज श्रीनगर में ही यह सुविधा उपलब्ध थी। अब एक सप्ताह पहले जीएमसी जम्मू में भी इसे शुरू कर दिया गया है। हालांकि, जम्मू में इसकी प्रक्रिया अप्रैल में ही शुरू हो गई थी, लेकिन जीएमसी की राजनीति में यह उलझ गई। टेस्ट करने के लिए दवाई भी छह महीने बाद खरीदी जा सकी। जीएमसी में कोरोना मरीजों के लिए यह टेस्ट निशुल्क है, लेकिन निजी लैब में इसकी फीस काफी है।
क्या है बायोमार्कर टेस्ट
बायोमार्कर टेस्ट से शरीर में संक्रमण के स्तर का पता चलता है। संक्रमण होने पर खून में थक्के बनने लगते हैं। खून के ये थक्के छोटी रक्त वाहनियों को बंद कर देते हैं। इससे शरीर में आक्सीजन की सप्लाई सही से नहीं हो पाती। इस कारण मरीज की मौत भी हो जाती है। इस बायोमार्कर टेस्टिंग में कई प्रकार के टेस्ट होते हैं, जिनमें इंटरल्यूकिन सिक्स, डीडाइमर, प्रोकैल्सीटोनिन, फेरीटाइन और सीआरपी प्रमुख हैं। मरीज के खून का सैंपल लेकर यह टेस्ट होता है। दो घंटों में इसका परिणाम आ जाता है।